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अधिकारियों की खींचतान, हज़ारों किसानों को नहीं मिल पा रहा सम्मान ..

विभाग ने बताया कि कृषि समन्वयक के बाद आवेदनों को अंचलाधिकारियों के पास भेजा जाता है जहां से स्वीकृति के बाद उन्हें पटना भेज दिया जाता है. दूसरी तफर बताया जा रहा है कि विभिन्न अंचलों के अंचलाधिकारियों के पास कुल मिलाकर 32,666 आवेदन भेजे गए थे, जिनमें से अंचलाधिकारियों द्वारा 3049 आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं.

- चुनाव के बाद अभी तक खाते में नहीं गई है किसान सम्मान की राशि.
- लटके हैं किसानों के 15 हज़ार से ज्यादा आवेदन, अधिकारी एक दूसरे पर मढ़ रहे दोष.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना की स्थिति जिले में कागजी तौर पर भले ही मजबूत बताया लेकिन धरातल पर इसकी स्थिति बहुत ही खराब है. यहाँ, अधिकारियों की आपसी खींचतान का नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है. बताया जा रहा है कि योजना के काफी  आवेदन लंबित पड़े हुए हैं वहीं, दूसरी तरफ जिन आवेदनों को स्वीकृत बताया जा रहा है उन किसानों को भी अभी तक इस योजना का लाभ नहीं मिल सका है. चुनाव के दौरान जहां किसानों के खाते में 2 हज़ार रुपये की पहली किस्त गई थी वहीं अब किसान विभाग की तरफ टकटकी लगाकर बैठे हुए हैं.

कृषि समन्वयकों के साथ-साथ अंचल कार्यालयों में भी लटके हैं मामले:

जिला कृषि विभाग से मिले आंकड़ों पर गौर करें तो 27 जून तक जिले में कुल 11 प्रखंडों को मिलाकर 54,291 आवेदन प्राप्त किए गए हैं. जिनमें 42,328 आवेदनों को स्वीकृत किया गया है वहीं कृषि समन्वयक स्तर पर 2697 आवेदनों को निरस्त कर दिया गया है. इसके साथ ही कृषि समन्वयकों के पास 9273 आवेदन लंबित पड़े हुए हैं. विभाग ने बताया कि कृषि समन्वयक के बाद आवेदनों को अंचलाधिकारियों के पास भेजा जाता है जहां से स्वीकृति के बाद उन्हें पटना भेज दिया जाता है. दूसरी तफर बताया जा रहा है कि विभिन्न अंचलों के अंचलाधिकारियों के पास कुल मिलाकर 32,666 आवेदन भेजे गए थे, जिनमें से अंचलाधिकारियों द्वारा 3049 आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं. इसके साथ ही 6,613 आवेदन उनके यहां लंबित बताए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि इन सब प्रक्रियाओं को पूरी करने के पश्चात अब तक राज्य को 30,151 आवेदन भेजे गए हैं. जिनमें वहां भी 76 आवेदनों को निरस्त किया गया है तथा 2,339 आवेदन लंबित हैं. 

अधिकारी लगा रहे हैं एक दूसरे पर सुस्ती बरतने का आरोप:

जिला कृषि पदाधिकारी कृष्णानंद चक्रवर्ती की मानें तो अंचलाधिकारियों की सुस्ती इस योजना के क्रियान्वयन पर भारी पड़ रही है. वहीं इस संदर्भ में जब सदर अंचलाधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कृषि विभाग का यह दावा पूरी तरह से बेबुनियाद है. विभाग के द्वारा  उनके पास आवेदनों की हार्ड कॉपी ही नहीं भेजी गई है. ऐसे में उनके यहां आवेदन लंबित कैसे हो सकते हैं.


इस संदर्भ में कई किसानों से बात करने पर उन्होंने अभी तक प्रधानमंत्री सम्मान योजना की राशि उनके खाते में एक रुपया भी आने की बात नहीं कही है. ऐसे में एक बात तो साफ है कि अधिकारियों की आपसी खींचतान का खामियाजा किसानों  को उठाना पड़ रहा है.









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