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सिर्फ कागजों में ही नमामि गंगे योजना, 3,867 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी हालात खराब - रामाशंकर तिवारी

उन्होंने नमामि गंगा योजना पर सवाल उठाते हुए कहा है कि, सरकार सिर्फ कागजी कसरत के सहारे गंगा साफ कर रही है. उन्होंने बताया कि योजना के तहत अब तक कुल 3 हज़ार 867 करोड़ रुपये खर्च कर डाले गए हैं. लेकिन, गंगाजल की गुणवत्ता में कहीं भी कोई सुधार नहीं हुआ है.

- बक्सर पहुंचे गंगा मुक्ति और प्रदूषण विरोधी अभियान के राष्ट्रीय प्रभारी ने किया नमामि गंगे के कार्यों का निरीक्षण.
- कहा, नदी सभ्यता खंडित करने पर नहीं बचेगा गंगा का अस्तित्व

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: गंगा मुक्ति एवं प्रदूषण विरोधी अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामाशंकर तिवारी ने प्रेस बयान जारी कर बताया है कि नदी सभ्यता को खंडित कर पतित पावनी गंगा के सुनहरे संसार को जिंदा रखना संभव नहीं है. उन्होंने नमामि गंगा योजना पर सवाल उठाते हुए कहा है कि, सरकार सिर्फ कागजी कसरत के सहारे गंगा साफ कर रही है. उन्होंने बताया कि योजना के तहत अब तक कुल 3 हज़ार 867 करोड़ रुपये खर्च कर डाले गए हैं. लेकिन, गंगाजल की गुणवत्ता में कहीं भी कोई सुधार नहीं हुआ है.

रामाशंकर तिवारी मंगलवार को रामरेखा घाट पर नमामि गंगे योजना की जानकारी लेने के बाद लोगों के बीच गंगा मुक्ति एवं प्रदूषण विरोधी अभियान के विषय में जानकारी दे रहे थे. उन्होंने बताया कि, विश्व की धरोहर तथा भारत की आत्मा गंगा का व्यवसायिक प्रयोग प्राकृतिक असंतुलन को बढ़ावा दे रहा है. गंगा के दर्द की दवा सरकार को मालूम नहीं है. विश्व की कोई भी तकनीक टिहरी बांध से गंगा को अविरल किए बिना प्रदूषण मुक्त नहीं कर पाएगी. उन्होंने कहा कि, बक्सर में तो गंगा प्रदूषण नियंत्रण में कहीं कोई प्रगति नहीं हुई है. गंगा में गिरने वाले नाले गंगाजल को कलंकित कर रहे हैं. रामरेखा घाट पर मौजूद अन्य लोगों में प्रमोद पांडेय, मनोज पांडेय, हरिद्वार पांडेय, अभिनंदन चौधरी, बालाजी पांडेय, रामेश्वर पांडेय तथा दीनदयाल पांडे प्रमुख थे.














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