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उचित मॉनिटरिंग नहीं होने के कारण नरक बना नगर ..

ऐसे में यह बहुत आश्चर्यजनक लगता है कि, जब पीसीसी सड़कों की ढलाई हो जाती है उसके बाद सड़कों को तोड़कर उसमें जलापूर्ति की पाइप बिछाई जाती है. सड़कें टूटने के कारण लोगों जीवन नारकीय बना रहता है. 

- पहले बनाई सड़क फिर तोड़ कर बिछा रहे जलापूर्ति पाइप
- सड़क बनाई तो नाली नहीं, नाली बनाई तो सड़क से ऊंची

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: नगर परिषद के अधिकारियों तथा शहरी आवास एवं विकास विभाग के अभियंता के द्वारा उचित मॉनिटरिंग नहीं होने का परिणाम अब लोगों को भुगतना पड़ रहा है. पूरे नगर में लगभग सभी वार्डों में सड़कों पर जलजमाव के नजारे आम हैं. दरअसल, बिना किसी प्लानिंग के शहर का विकास अब लोगों पर भारी पड़ रहा है. कई स्थानों पर नालियां सड़कों से भी ऊंचे लेवल में हैं. ऐसे में सड़कों पर जमा हुआ पानी नालियों में नहीं जा पाता. यही नहीं, कई मोहल्लों में तो स्थिति यह है कि, मोहल्ले बसने के कई वर्षों के बाद भी अब तक जल निकासी के लिए नालियां भी नहीं बनाई गई हैं. बताया जा रहा है कि, कई मुहल्लों में सड़कें के बनाने के बाद उन पर हुए जलजमाव के कारण जब सड़कें टूटने लगी, तब नगर परिषद को नाली निर्माण की याद आई. ऐसे में नाली तो बनी लेकिन सड़क टूट गई जो कि, जलजमाव का कारण बनी हुई हैं. इसके अतिरिक्त कई स्थानों पर सीवरेज की पाइप बिछाने के लिए सड़कें तोड़ी गई जो कि, अब तक नहीं बन सकी है. जिन स्थानों पर बनी थी उन स्थानों की सड़कों को शहरी जलापूर्ति के लिए फिर से तोड़ा गया है.

बताया जा रहा है कि, नगर में बनने वाली सड़कों तथा नालियों मॉनिटरिंग वुडको के कार्यपालक अभियंता के द्वारा ही की जाती है. वहीं, जलापूर्ति योजना की मॉनिटरिंग भी वही करते हैं. ऐसे में यह बहुत आश्चर्यजनक लगता है कि, जब पीसीसी सड़कों की ढलाई हो जाती है उसके बाद सड़कों को तोड़कर उसमें जलापूर्ति की पाइप बिछाई जाती है. सड़कें टूटने के कारण लोगों जीवन नारकीय बना रहता है. इस संदर्भ में नगर परिषद के प्रभारी कार्यपालक पदाधिकारी सुजीत कुमार से बात करने पर उन्होंने बताया कि, इस तरह की स्थिति कहीं ना कहीं तकनीकी दिक्कत के कारण हुई है. उन्होंने बताया कि, अगर अभियंता सही ढंग से स्थिति को देखते हुए कार्यों को कराएं तो इस तरह के हालात बनेंगे ही नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि, यह अभियंता को देखना चाहिए कि किस जगह पर नालियों का लेवल क्या होना चाहिए. उन्होंने कहा कि, वह केवल योजनाओं की स्वीकृति के संदर्भ में ही बता सकते हैं. योजनाओं का तकनीकी पक्ष नगर विकास विभाग के कार्यपालक अभियंता को ही देखना होता है. ऐसे में अगर कहीं कोई गड़बड़ी है तो उसके जिम्मेदार वहीं है.













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