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नगर परिषद के कारनामे से शर्मिंदा हुए राष्ट्रपिता ..

किसी भी दिन इधर से गुजरने पर इसी तरह का नजारा देखने को मिल सकता है. मोहल्ले वासियों ने बताया कि, आवारा सूअर मोहल्ले की ही पहचान बन गए हैं तथा साफ सफाई नहीं होने के कारण कचरे के ढेर तथा गंदी नालियों के बीच रहना उनकी विवशता बन गई है. ऐसे में रोगों से ग्रसित होने की आशंका भी बनी रहती है.
- स्वच्छता के दूध की जयंती के अवसर पर भी नगर में पसरी रही गंदगी.
- नाम से जाने जाने वाले बाजार में भी बापू के आदर्शो को कुचलने का हुआ काम.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: एक तरफ जहां पूरा देश महात्मा गांधी तथा लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाने में मशगूल है. वहीं, दूसरी तरफ नगर परिषद महात्मा गांधी के विचारों को कुचलने पर आमदा है. नगर के महात्मा गांधी बाजार में एक ऐसा नजारा देखने को मिला जो हर व्यक्ति को खुद ही शर्मिंदा कर दे. दरअसल, नगर के सिविल लाइन्स मोहल्ले में अवस्थित महात्मा गांधी बाजार में नप द्वारा महात्मा गांधी के आदर्शों को कुचलने का काम किया जा रहा है. यहां एक तरफ जहां सड़क पर गंदगी पसरी हुई है. वहीं, दूसरी तरफ आवारा पशु आराम से विचरण कर रहे हैं. दुर्भाग्य तो यह है कि, जिस बाजार का नाम महात्मा गांधी के नाम पर है. महात्मा गांधी के जयंती पर भी उसकी सफाई नहीं कराई गई है. स्थानीय निवासियों की मानें तो यह नजारा आम है. किसी भी दिन इधर से गुजरने पर इसी तरह का नजारा देखने को मिल सकता है. मोहल्ले वासियों ने बताया कि, आवारा सूअर मोहल्ले की ही पहचान बन गए हैं तथा साफ सफाई नहीं होने के कारण कचरे के ढेर तथा गंदी नालियों के बीच रहना उनकी विवशता बन गई है. ऐसे में रोगों से ग्रसित होने की आशंका भी बनी रहती है.

नगर परिषद के अधिकारियों की माने तो परिषद के हर वार्ड में सफाई के लिए प्रतिदिन चार नियमित मजदूर दिए जाते हैं. इसके साथ ही कचरे के उठाव लिए प्रतिमाह एक एजेंसी को लाखों रुपए प्रदान किए जाते हैं. जनता की गाढ़ी कमाई इस तरह उड़ाने के बावजूद भी सफाई की व्यवस्था ऊपर दी गई तस्वीर में साफ नजर आ रही है. मजे की बात तो यह है कि, महात्मा गांधी बाजार से नगर परिषद को लाखों रुपयों के राजस्व की प्राप्ति भी होती है. बावजूद इसके परिषद का ध्यान इस बाजार तथा बाजार के आसपास के इलाकों पर कितना है यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है.

मामले में सिटी मैनेजर असगर अली ने बताया कि, कचरे का उठाव नहीं हुआ है तो निश्चित रूप से इसके लिए एनजीओ जबाबदेह है. एनजीओ के संबंधित अधिकारियों से बातचीत कर तुरंत कचरे का उठाव सुनिश्चित कराया जाएगा.













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