Header Ads

नहाय-खाय के साथ महापर्व का अनुष्ठान शुरु, छठमय हुआ माहौल ..

संपूर्ण बिहार समेत पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रमुखता के साथ मनाया जानेवाला छठ पूजा साल मे दो बार कार्तिक और चैत्र मास में मनाने की परंपरा है. इसके अंतर्गत कार्तिक मास मे मनाए जानेवाली पूजा के दौरान अधिकांश घरों मे यह पर्व मनाया जाता है. 

- चार दिवसीय अनुष्ठान का हुआ शुभारंभ व्रतियों ने किया एक समय का भोजन
- गंगाजल लेने को गंगा घाट पर उमड़ी लोगों की भीड़.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: लोक आस्था के महापर्व छठ का अनुष्ठान गुरुवार को नहाय-खाय के साथ शुरु ही गया. स्वच्छता और शुद्धता का प्रतीक माने जाने वाले इस महापर्व में सफाई के साथ ही शुद्धता का विशेष महत्व माना जाता है. चार दिवसीय पर्व के पहले दिन आज तमाम व्रती पवित्र स्नान के बाद सिर्फ एक समय भोजन कर इस महाव्रत की शुरूआत करते हैं. कई व्रती भोजन बनाने के लिए गंगाजल का प्रयोग करते हैं जिसके लिए  रामरेखा घाट से जल लेकर जाने वाले लोगों का तांता गुरुवार को लगा रहा. हिन्दू धर्म के अंतर्गत मनाए जाने वाले तमाम पर्व त्योहारों मे छठ पूजा का विशेष महत्व है.

संपूर्ण बिहार समेत पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रमुखता के साथ मनाया जानेवाला छठ पूजा साल मे दो बार कार्तिक और चैत्र मास में मनाने की परंपरा है. इसके अंतर्गत कार्तिक मास मे मनाए जानेवाली पूजा के दौरान अधिकांश घरों मे यह पर्व मनाया जाता है. पर्व के संबंध मे जारी मान्यताओं के अनुसार चार दिनों तक मनाए जाने वाले इस महापर्व के पहले दिन नहाय- खाय के साथ व्रत की शुरूआत की जाती है. छठ पूजा में मुख्य रूप से सूर्य की मानस पुत्री छठी मैया के अलावा भगवान भाष्कर की पूजा अर्चना की जाती है. साथ ही पर्व के तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य के अलावा चौथे और अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य देकर व्रत तोड़ने की परंपरा है. इस बार 31 अक्टूबर से 3 नवम्बर तक होने वाली छठ पूजा के अंतर्गत 2 को अस्ताचलगामी एवं 3 को उगते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य दिया जाना है. इसको ले 31 अक्टूबर को व्रत की नहाय-खाय के साथ शुरूआत की जा रही है. इस अवसर पर चना का दाल मिश्रित लौकी की सब्जी के साथ चावल ग्रहण करने की परंपरा है. जिसे व्रती सिर्फ एक ही बार ग्रहण कर इस आस्था के इस महापर्व का शुभारम्भ करते हैं.

पूर्व संध्या पर 50 रुपये पीस बिका कद्दू:

आस्था के महापर्व पर कद्दू के महत्व को लेकर हर साल नहाय-खाय के एक दिन पहले से ही इसका बाजार भाव प्राय: गर्म हो जाता है और इसके भाव आसमान छूने लगते हैं. इसको ले इस बार भी आमतौर पर 10 से 20 रूपए प्रति की दर से बिकने वाली लौकी बुधवार को ही काफी महंगी बेची गई है. इस दौरान नगर के सत्यदेव बाजार के अलावा मुनीम चौक बाजार मे 50 से 80 रूपए प्रति की दर से लौकी बेची गई है. इस दौरान इसके उंचे भाव को ले जरूरतमंदों ने व्रत का कोरम पूरा करने के लिए छोटे-छोटे टुकड़ों मे इसकी खरीदारी करते देखे गए.















No comments