अकारण अभिमान और विरोध हैं कलियुग के लक्षण: आचार्य भारत भूषण
भगवान सभी तत्वों को पोषित कर सृष्टि की रक्षा तथा संसार को शिक्षा देने के लिए अवतार लेते हैं. सनकादिक नारद आदि अवतारों के द्वारा भगवान ने संसार को ब्रह्मचर्य भगवत भक्ति, योग, वैराग्य, धर्म आचरण और सभी के उपकार में तत्पर रहने की शिक्षा दी है.
- श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कथा का महत्व बताते हुए बोले कथावाचक
- कहा, अपने अवतारों से भगवान ने दिया पृथ्वी को बचाने का संदेश
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: नगर के सिविल लाइंस में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कथा के माहात्म्य को बताते हुए आचार्य भारत भूषण जी महाराज ने कहा कि, कलयुग का स्वभाव ही कलह है. अकारण अभिमान और विरोध इस युग के लक्षण है. श्रीमद्भागवत कलयुग के समस्त दोषों को गला कर जीव को शुद्ध, बुद्ध और भगवान के श्री चरणों में समर्पित कर देता है. उन्होंने भगवान के 24 अवतारों का वर्णन करते हुए कहा कि, सांख्य दर्शन के अनुसार सृष्टि में 24 तत्व होते हैं. भगवान सभी तत्वों को पोषित कर सृष्टि की रक्षा तथा संसार को शिक्षा देने के लिए अवतार लेते हैं. सनकादिक नारद आदि अवतारों के द्वारा भगवान ने संसार को ब्रह्मचर्य भगवत भक्ति, योग, वैराग्य, धर्म आचरण और सभी के उपकार में तत्पर रहने की शिक्षा दी है.
नर, नारायण, कपिल, व्यास, बुद्ध आदि अवतारों के माध्यम से तपस्चर्या, शिक्षा, विद्या के प्रचार-प्रसार और विस्तार की प्रेरणा है. वाराह और यज्ञ जैसे अवतारों से भगवान ने पृथ्वी, पानी, प्रकाश, पवन, आकाश आदि की शुद्धि और हर प्रकार के प्रदूषण से मुक्ति का संदेश दिया. राम और कृष्ण जैसे पूर्णावतारों के द्वारा भगवान ने राजगद्दी का शोधन किया और प्राणी मात्र का हित करने वाला आदर्श राज्य वैदिक साम्राज्य "रामराज्य" की स्थापना भी की.
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