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बड़ी खबर: डुमराँव महाराज कमल सिंह का निधन, केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने जताया शोक ..

महाराज के निधन पर ना सिर्फ डुमराँव राजपरिवार बल्कि, पूरे शाहाबाद के लोगों में शोक की लहर दौड़ गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री सह बक्सर सांसद अश्विनी कुमार चौबे ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि आज एक स्वर्णिम इतिहास का अंत हो गया. 
डुमरांव महाराज कमल सिंह की फाइल फ़ोटो

- सुबह 5:10 मिनट पर ली अंतिम साँस
- लंबे समय से बीमार चल रहे थे महाराज कमल सिंह

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: डुमराँव राजघराने के महाराज तथा भारतीय संसद के स्वर्णिम काल (1952-1962) के सदस्य महाराजा कमल सिंह का रविवार की सुबह 5:10 पर उनके डुमराँव स्थित वह भोजपुर कोठी में निधन हो गया. उनके पुत्र युवराज चन्द्रविजय सिंह ने इस बात की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि, तकरीबन 6 वर्ष से वह काफी बीमार चल रहे थे. 

महाराज के निधन पर ना सिर्फ डुमराँव राजपरिवार बल्कि, पूरे शाहाबाद के लोगों में शोक की लहर दौड़ गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री सह बक्सर सांसद अश्विनी कुमार चौबे ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि आज एक स्वर्णिम इतिहास का अंत हो गया. 

आज की राजनीति तथा जन सेवकों से खिन्न रहते थे महाराज:

लोकसेवा के क्षेत्र में उनका अवदान अत्यंत प्रेरक एवं बेमिसाल है. आदर्श सांसद एवं जनसेवक के दुर्लभ गुणों से समन्वित उनका व्यक्तित्व अत्यंत उद्दात एवं चरित्र उज्ज्वल है. जो आज भी देश दुनिया की ख़बर रखते थे. आज की राजनीति एवं समाज मे आयी गिरावट सार्वजिनक धन का दुरुपयोग तथा लूट- खसोट से महाराजा को अपने को जनसेवक कहने वाले प्रतिनिधियों, व्यक्तियों से बेहद तकलीफ होती थी. भारतीय संसद की गरिमा को गर्त में मिलाने को आतुर संसद सदस्यों के कार्यों से वो खिन्न रहा करते थे। पिछले कई दिनों से स्थानीय लोगों द्वारा सांसद को आदर्श प्रतिमूर्ति बता कर सरकार द्वारा भारत रत्न सम्मान प्रदान करने की माँग की जाती रही थी। 

स्वास्थ्य, शिक्षा हर क्षेत्र में है महाराज का योगदान:

स्वातंत्रयोत्तर भारत के विकास के मद्देनजर महाराजा नें मुक्त हस्त से शिक्षा, स्वास्थ्य के प्रमुख क्षेत्रों में अमिट दान दिया जिसमें उन्होंने पुरानी संस्थाओं को दान तो दिया ही तथा नई संस्थाओं को भी खड़ा किया है, अपने क्षेत्र (बक्सर, बिहार) के बाहर आरा, सासाराम के अतिरिक्त उत्तरप्रदेश के क्षेत्रों में उन्होंने प्रसंसनीय सेवा कार्य किया है. इसके आलावे समय-समय पर प्राकृतिक आपदाओं से आमजन को राहत भी पहुंचाई है.   

देेेश की आजादी के बाद भारत के विकास के लिए महाराजा कमल सिंह ने पुराने शाहाबाद जिला (अब बक्सर, सासाराम, भोजपुर, कैमूर) के अलावा उतर प्रदेश के इलाके में खास तौर पर शिक्षा एवं स्वास्थ के क्षेत्र में मुक्त हस्त से दान देने का काम किया है. उदाहरण के तौर पर बिहार के बक्सर जिले के प्रतापसागर स्थित टीबी अस्पताल वही कुछ ही दूरी पर डुमरांव अनुमंडल के डुमरांव में डुमरांव राज अस्पताल, नगर में मौजूद दो बालिका विद्यालय सहित आरा का महाराजा कालेज, एचडी जैन कालेज सहित दर्जनों स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, मंदिर, मठ-मठिया सहित कई अन्य संस्थान हैं. भारतीय संसद के स्वर्णिम काल (1952-1962) के माननीय सदस्य रहे महाराजा श्री सिंह देश के एक मात्र ऐसे व्यक्ति थे जो 94 वर्ष की उम्र में स्थानीय सहित उनके चाहने वालों  के दिलो मेंं बैठे हुए हैं. उनके निधन से सभी को गहरा आघात पहुंचा है.


29 सितंबर 1926 को हुआ था जन्म 5 जनवरी 2020 को ली अंतिम सांस:

आपको बता दें कि महाराजा कमल सिंह का जन्म 29 सितम्बर, 1926 को डुमरांव राजगढ़ में हुआ था. महाराजा बहादुर रामरण विजय प्रसाद सिंह एवं महारानी कनक कुमारी की प्रथम संतान के रूप में कमल सिंह के जन्म होने पर काफी खुशियां मनायी गई थी. महाराज कमल सिंह की आरंभिक शिक्षा देहरादून स्थित कर्नल ब्राउन्स कैम्ब्रिज स्कूल से पूरी हुई थी. महाराजा बहादुर कमल सिंह की शादी उत्तर प्रदेश के रायबरेली स्थित तिलई इस्टेट के राजा विश्वनाथ प्रसाद सिंह की पुत्री उषा रानी के साथ संपन्न हुई थी. रविवार 5 जनवरी 2020 की सुबह 5:10 पर उन्होंने अंतिम सांस ली. महाराजा अपने पीछे दो पुत्रों में युवराज चंद्रविजय सिंह व वधू कनिका सिंह एवं छोटे युवराज मानविजय सिंह व पुत्रबधु अरूणिका सिंह सहित पोता व पोतियो से भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं.
















2 comments:

  1. महाराज कमल सिंह शाहाबाद में शिक्षा के विकास में जो योगदान दिया वह यूगों यूगों तक याद किया जाएगा। सामाजिक जीवन में विनम्रता और सूचिता के प्रतीक मैं अपने प्रथम सांसद की समृति को प्रणाम करता हूँ।
    मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि।
    - नरेन्द्र पाठक

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