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राष्ट्रद्रोह की शिकायत पर लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने डीएम को सौंपी जांच की जिम्मेदारी ..

प्रथम अपील प्रमंडलीय आयुक्त पटना के समक्ष परिवाद पत्र दायर कर मामले में तथ्यपरक एवं न्याय संगत सुनवाई के लिए अपील की.सुनवाई प्रारंभ होने के बाद 16 जनवरी को अंतिम निर्णय सुनाया गया. 

- शिक्षक विहीन विद्यालयों में ताला लटके रहने का है मामला.
- डीइओ के जवाब से असंतुष्ट प्रमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने डीएम को सौंपा जांच का जिम्मा.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: प्रमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने एक परिवाद की सुनवाई करते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी से जिले में चलने वाले शिक्षक विहीन विद्यालयों ,चरवाहा विद्यालय तथा उन में स्वीकृत शिक्षकों की जानकारी मांगी है. जिसके बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों से इस संदर्भ में जल्द से जल्द जानकारी प्रदान करने की बात कही है.

असल में, सरकार एक तरफ जहां बच्चों की शिक्षा को लेकर कई तरह के दावे करती है वहीं वास्तविक स्थिति यह है कि जिले में कई विद्यालय जहां शिक्षकों की कमी हो गई है वहीं, जिले के तीन विद्यालयों में शिक्षकों के अभाव में महीनों से ताला बंद रहा. ऐसे में न सिर्फ शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित हुई बल्कि, मध्यान्ह भोजन भी बंद रहा.

मामले को लेकर अखिल भारतीय सत्यशोधक संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव प्रसाद सिंह ने लोक शिकायत निवारण अधिनियम के तहत लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी बक्सर को पत्र लिखकर इस मामले में उचित कार्यवाही की मांग की थी. 

बाद में  इस संदर्भ में जवाब मांगे जाने पर लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा दिए गए प्रतिवेदन के आलोक में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने अपना निर्णय सुना दिया. जिसमें शिकायतकर्ता के आरोपों को निराधार साबित कर दिया गया. हालांकि, वादी इस फैसले से संतुष्ट नहीं थे. ऐसे में उन्होंने फिर प्रथम अपील प्रमंडलीय आयुक्त पटना के समक्ष परिवाद पत्र दायर कर मामले में तथ्यपरक एवं न्याय संगत सुनवाई के लिए अपील की.सुनवाई प्रारंभ होने के बाद 16 जनवरी को अंतिम निर्णय सुनाया गया. जिसमें प्रथम अपीलीय प्राधिकार के द्वारा परिवाद पर संज्ञान लेते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी से प्रतिवेदन की मांग की गयी. 

लेकिन, जिला शिक्षा पदाधिकारी का जवाब संतोषजनक नहीं होने पर प्रमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के द्वारा जिलाधिकारी को निर्देशित किया गया है कि, वह जिला शिक्षा अधिकारी से मिले प्रतिवेदन के विस्तृत जांच करें और बिना पद सृजित हुए विद्यालय का संचालन कैसे हो रहा है तथा पंचायतों में कितने शिक्षक है इतनी जल्द से जल्द जानकारी प्रदान करें. इसके साथ ही सभी विद्यालयों में शिक्षक पदस्थापन करने के संबंध में आवश्यक कार्रवाई करें.

क्या था मामला:

दरअसल, जिला शिक्षा पदाधिकारी ने 20 जुलाई 2019 को पूरे जिले में शैक्षणिक पठन-पाठन हेतु विद्यालयों में प्रतिनियुक्त शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति रद्द कर दी थी जिसके कारण लगभग 50 विद्यालय  में एक शिक्षक ही रह  गए और तीन विद्यालय पूर्णता बंद हो गए जो विद्यालय बंद हो गए थे उनमें सदर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय रमडीहा, चरवाहा प्राथमिक विद्यालय, राजपुर एवं गोसेसी डीहरा प्राथमिक विद्यालय, राजपुर शामिल थे इस संदर्भ में समाचार पत्रों में समाचार प्रकाशित होने के बाद भी जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा संज्ञान नहीं लिया गया और काफी दिनों के बाद 24 अगस्त 2019 को जिले के सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को शैक्षणिक व्यवस्था हेतु प्रतिनियोजन करने का निर्देश जारी किया गया.

ऐसे में अखिल भारतीय सत्यशोधक संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव प्रसाद सिंह ने यह सवाल उठाया है कि, इन विद्यालयों में शैक्षणिक गतिविधियों के साथ मध्यान्ह भोजन भी बंद रहा. इस प्रकार बच्चों को भूखे रखने का दोषी कौन है? साथ ही उन्होंने यह भी पूछा है कि 15 अगस्त 2019 को राष्ट्रीय ध्वज भी नहीं फहराया गया यह भी एक संगीन अपराध एवं देशद्रोह का मामला है.















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