झूमते-गाते की गई बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी की विदाई ..
इसके बाद पूजा पंडालों से प्रतिमाओं को ठेला, ट्रैक्टर व अन्य संसाधनों के सहारे शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए सुविधानुसार पोखर तट तक पहुंचाया गया, जहां नम आंखों से बुद्धि की अधिष्ठात्री मां शारदे की प्रतिमाओं को जल में विसर्जित कर श्रद्धालु घर लौटे.
सोमेश्वर स्थान के समीप बनाए गए पोखर में प्रतिमा विसर्जन करते श्रद्धालु |
- देर रात तक चलता रहा प्रतिमा विसर्जन का सिलसिला
- झूमते गाते विसर्जन स्थल तक पहुंचे युवा
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में पंडालों में स्थापित मां सरस्वती की विदाई शनिवार को उत्सवी माहौल के बीच की गई. इसको लेकर यहां के विभिन्न मूर्ति विसर्जन स्थलों पर श्रद्धालुओं के जत्था का दोपहर से पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ तो यह क्रम देर शाम तक जारी रहा. प्रतिमाओं के साथ पूर्व से निर्धारित इन चिह्नित स्थलों पर पहुंचे छात्र व युवक मां शारदे की जयकारा लगा रहे थे. मूर्ति विसर्जित करने से पूर्व वैदिक रीति-रिवाज के साथ मां सरस्वती की पूजा की गई तथा परंपरागत तरीके से पूजा का समापन किया गया. इसके बाद पूजा पंडालों से प्रतिमाओं को ठेला, ट्रैक्टर व अन्य संसाधनों के सहारे शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए सुविधानुसार पोखर तट तक पहुंचाया गया, जहां नम आंखों से बुद्धि की अधिष्ठात्री मां शारदे की प्रतिमाओं को जल में विसर्जित कर श्रद्धालु घर लौटे.
प्रतिमाओं को तालाबों तक ले जाने के क्रम में युवकों का उत्साह देखते ही बन रहा था. इस दौरान साउंड बॉक्स पर बज रहे भक्ति व देवी गीतों की धुन पर युवा जमकर ठुमके लगा रहे थे. वहीं, मां के विभिन्न नाम से जयकारे दिए जा रहे थे. इस क्रम में उनके द्वारा उड़ाए जा रहे अबीर-गुलाल व मचाए जा रहे धमाल होली के आगाज का अहसास भी करा रहा था. खिली भरपूर धूप के कारण मौसम भी अनुकूल बना हुआ था. प्रतिमा के साथ चल रहे छात्रों का काफिला और उनके द्वारा सड़कों पर प्रस्तुत किए जा रहे नाच-गान के कारण कई जगहों पर जाम की स्थिति बन गई थी. यह नौबत उन्हीं जगहों पर बनते दिखी जहां मार्ग संकीर्ण था. हालांकि, लोगों को परेशानी न हो, इसका भी ख्याल उनके द्वारा रखा जा रहा था.
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