मौन रह कर करे सत्संग तो मिलता है हर समस्या का समाधान: ब्रह्म स्वरूप महाराज
माता-पिता अपने बच्चे को कोई वस्तु देकर प्रसन्न करना चाहते हैं पर गुरु अपने शिष्यों को वो ज्ञान दे देते हैं, जिसके बाद शिष्यों को कभी मांगने की आवश्यकता ही न हो. गुरु का सानिध्य ही तप, तपस्या, पूजा, ध्यान की प्राप्ति हो जाती है.
- कमरपुर गांव के हनुमत धाम में आयोजित है सदगुरुदेव पुण्य स्मृति महोत्सव
- रात्रि में आयोजित हुई रामलीला में राम विवाह संपन्न
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सदर प्रखंड के कमरपुर गांव के हनुमत धाम में चल रहे सदगुरुदेव पुण्य स्मृति महोत्सव के 12 वें वर्ष के आयोजन के तीसरे दिन का कार्यक्रम अखंड हरिकीर्तन एवं दोपहर श्री भक्तमाल चरित्र के सामूहिक पाठ के साथ शुभारंभ हुआ. वहीं, वृंदावन धाम से पधारे रामकथा के सुमधुर गायक अनंत श्री विभूषित ब्रह्म स्वरूप जी महाराज ने भरत चरित्र की कथा सुनाई. उन्होंने कहा कि, जिनमें दो चीजों का जोड़ा हो वही तो दुनिया है. जैसे सुख के साथ दुख, दिन के साथ रात, पुण्य के साथ पाप हैं. उन्होंने कहा कि, के सानिध्य में अगर मौन रहकर सत्संग सुना जाए तो हर समस्या का हल मिल जाता है. उन्होंने आगे कहा कि, माता-पिता अपने बच्चे को कोई वस्तु देकर प्रसन्न करना चाहते हैं पर गुरु अपने शिष्यों को वो ज्ञान दे देते हैं, जिसके बाद शिष्यों को कभी मांगने की आवश्यकता ही न हो. गुरु का सानिध्य ही तप, तपस्या, पूजा, ध्यान की प्राप्ति हो जाती है.
स्वयंवर में योद्धा तोड़ना तो दूर, हिला तक नहीं पाए धनुष:
मामाजी के परिकरों के द्वारा रात्रि में चल रहे रामलीला के तीसरे दिन धनुष यज्ञ की मंचन किया गया. जिनमे दिखाया गया कि, धनुष यज्ञ की नाम सुनकर देश-विदेश के राजा धनुष तोड़ कर सीता से स्वयंवर के लिए जनकपुरी पहुंचते हैं तब राजा जनक अपने लोगों को सभी राजाओं के सामने अपना प्रण बताने की कहते हैं. प्रण को सुन जब सभी राजा धनुष तोड़ने के लिए जाते हैं तो वो धनुष को तोड़ना तो दूर, उसे तिल भर भी नहीं हिला पाते हैं. इस पर राजा जनक जब भरी सभा में अपनी पुत्री के कुंवारे रहने का दुख जताते हुए होकर क्रोधित मन से पृथ्वी को क्षत्रियों से विहीन होने की बात कहते हैं तब लक्ष्मण जी क्रोधित हो जाते हैं. इसके बाद मर्यादा पुरषोतम राम गुरु विश्वामित्र से आशीर्वाद लेकर धनुष को तोड़ देते हैं. इसके बाद जय सियाराम के नारों से पूरा पंडाल गूंज उठता है. सीता जी श्रीराम जी को वरमाला पहनाती हैं.
रामलीला व्यास अवध धाम से पधारे सन्त आचार्य नरहरि दास जी महाराज, समिति के संस्थापक श्री रामचरित्र दास जी महाराज रहे. वहीं, लीला के मुख्य भूमिका में जनक-अनिमेष, विश्वामित्र-मनोरंजन,शतानंद-रामकृपाल सिंह, श्री राम-पुरुषोत्तम, लक्ष्मण-कुश, सीता- मनु, सुनयना-अनीश रहे. साथ ही प्रिंस, मनीष, पिंटू, बच्चाजी, जयशंकर, राजऋषि, हरिजी, नमोनारायण, धनंजय, रविलाल, नंदबिहारी राजेश समेत अन्य कलाकार रहे. कार्यक्रम में मनोहर जी, श्यामजी, श्याम प्रकाश, नीतीश, प्रवीण, रमन, श्रृंगारी जी, दिलीप, विनीता दीदी समेत महाराज जी के परिकर उपस्थित रहे.
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