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तब लालू प्रसाद यादव को भी झुकना पड़ा : संघर्षों से भरी है बक्सर को जिला बनाने की कहानी, सुनिए रामेश्वर प्रसाद वर्मा की जुबानी ..

 बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को सख्त अल्टीमेटम दिया गया कि, यदि 12 मार्च 1991 तक बक्सर को जिला नहीं बनाया गया तो बक्सरवासी 17 मार्च 1991 से आमरण अनशन पर चले जाएंगे तथा जेल भरो अभियान के तहत जबरदस्त आंदोलन भी प्रारंभ कर दिया जाएगा. 



- बक्सर जिला के स्थापना दिवस पर विशेष प्रस्तुति
- वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया 10 वर्षों  के संघर्षों का इतिहास

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: आज बक्सर जिले का स्थापना दिवस है. 17 मार्च 1991 को बक्सर को जिला बनाया गया था. बक्सर को जिला बनाने को लेकर काफी संघर्ष हुआ था जिसके बाद  अंततः बक्सर को जिला बना दिया गया. 

इसके संघर्षों की कहानी को याद करते हुए वरिष्ठ पत्रकार व अधिवक्ता रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने बताया कि, जनवरी 1980 से अनवरत संघर्ष के तहत सभा धरना प्रदर्शन बक्सर बंद एवं जनसंपर्क अभियान के परिणाम स्वरुप "बक्सर जिला बनाओ संघर्ष समिति" की चिर प्रतिक्षित मांग पर 17 मार्च 1991 को बिहार सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने उच्च स्तरीय प्रशासनिक अधिकारियों के साथ स्वयं बक्सर आकर पुरानी कचहरी स्थित अनुमंडल मुख्यालय परिसर में मुख्य सचिव बिहार सरकार के द्वारा उद्घोषित नोटिफिकेशन के पश्चात बक्सर को विधिवत जिला का दर्जा सरकारी एवं प्रशासनिक स्तर पर प्रदान किया और तब उसी दिन यानी ऐतिहासिक तिथि 17 मार्च 1991 को बक्सर जिला अपने वैधानिक अस्तित्व में पूर्ण रुप से आ गया. उसके पूर्व बक्सर पुराने शाहबाद और फिर 1971 से 16 मार्च 1991 तक भोजपुर जिले का एक प्रगतिशील सशक्त और ऐतिहासिक अनुमंडल था. यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि, शाहाबाद तृतीय के अनुसार पुराने शाहबाद जिला का निर्माण 1650 में हुआ था. जिसके अंतर्गत बक्सर, आरा, भोजपुर, भभुआ, कैमूर और सासाराम, रोहतास, प्रशासनिक स्तर पर विधिवत ऐतिहासिक परिवेश में बक्सर अनुमंडल का निर्माण पुराने शाहाबाद जिला अंतर्गत 1857 में हुआ था. 

1972 में शाहबाद जिला से अलग हटकर भोजपुर आरा जिला बनाने के बाद से भोजपुर जिला का एक महत्वपूर्ण अनुमंडल के रूप में बक्सर का अस्तित्व कायम रहा. मगर बक्सर वासियों को अपनी सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यवसाय प्रशासन से निपटने के के निमित्त आरा मुख्यालय की दौड़ लगानी पड़ती थी. इस क्रम में बिचौलियों एवं दलालों के पौ-बारह थे. विवश होकर बक्सर के बुद्धिजीवी और समाजसेवियों व्यवसायियों, श्रमिकों, किसान और साहित्यकारों, पत्रकारों, रंगकर्मी और छात्र-छात्राओं सहित हर तबके से जुड़े लोगों ने महसूस किया कि, विभिन्न तात्कालिक सामाजिक परेशानियों से उबरने का एकमात्र उपाय यह है कि, बक्सर को जिला बनाया जाए.


बक्सर को जिला बनाने के निमित एक वृहद विशेष बैठक सभा का आयोजन 15 जनवरी 1980 को स्थानीय श्री चंद्र मंदिर परिसर में आयोजित किया गया. जिसकी अध्यक्षता राम उदार राय (अब दिवंगतत) ने की. उक्त विशेष बैठक व सभा का संचालन मैंने यानि कि, अधिवक्ता व पत्रकार रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने की. गहन विचार-विमर्श के उपरांत "बक्सर जिला बनाओ संघर्ष समिति" का गठन किया गया. जिसके संयोजक सर्वसम्मति से अधिवक्ता रामेश्वर प्रसाद वर्मा बनाए गए. उस संघर्ष समिति के सक्रिय सदस्यों में ललन चौबे (अब दिवंगतत) अजय चौबे, सिद्धेश्वरानंद, नेत लाल सिंह (अब दिवंगतत), गणपति मंडल अधिवक्ता, सिद्धेश्वर उपाध्याय, उमाकांत चौबे (अब दिवंगतत), कुमार नयन, जुनैद आलम, ओमप्रकाश केसरी "पवन नंदन", जनार्दन राय अधिवक्ता, चंद्रहास उपाध्याय (अब दिवंगतत), अरुण मोहन भारवि, दुनिया प्रसाद राय (अब दिवंगतत), विजय नारायण मिश्र अधिवक्ता, जगदीश गौतम (अब दिवंगतत), विजयानंद तिवारी (अब दिवंगतत), अतुल मोहन प्रसाद पत्रकार, अली अनवर पत्रकार,  तेज नारायण सिंह अधिवक्ता, कमलेश पत्रकार, बद्री सिंह बागी (अब दिवंगतत), मन्नू प्रसाद पत्रकार, शौकत अली (अब दिवंगतत), ईश्वर चंद्र चौधरी, प्रोफेसर सच्चिदानंद सिन्हा, मुर्तजा अली (अब दिवंगतत), मो. फरीद अधिवक्ता, गौरीशंकर पत्रकार (अब दिवंगतत) सलाउद्दीन अंसारी, राजेंद्र ठाकुर (अब दिवंगतत), मुख्तार अहमद, आनंद मोहन उपाध्याय अधिवक्ता, श्री प्रकाश राय, विद्यापति पांडेय अधिवक्ता, विजय कुमार वर्मा उर्फ झब्बू जी अधिवक्ता, शिवपूजन लाल अधिवक्ता, स्वतंत्रता सेनानी अखौरी राम नरेश सिन्हा (अब दिवंगतत), पत्रकार श्री राम अनुग्रह नारायण सिन्हा (अब दिवंगतत), शिवजी पाठक, हृदय नारायण सिंह अधिवक्ता, पवन सिंह यादव, श्रीकांत पाठक, हृदय नारायण सिंह, नंद गोपाल प्रसाद, मिथिलेश सिंह, बबन ओझा अधिवक्ता, आदि प्रमुख थे. इनके अतिरिक्त संघर्ष समिति के संरक्षक के रूप में काशेश्वर नाथ वर्मा "प्रदुम्न जी" (अब दिवंगतत), प्रोफेसर के.के. तिवारी, पंडित जगनारायण त्रिवेदी (अब दिवंगतत), डॉ. स्वामी नाथ तिवारी, राम नारायण राम, डॉक्टर जगनारायण सिंह (अब दिवंगतत), महाराजा कमल सिंह (अब दिवंगतत), एवं राज नारायण ठाकुर अधिवक्ता (अब दिवंगतत), मंजू प्रकाश, विजय नारायण भारती मनोनीत थे.

"बक्सर जिला बनाओ संघर्ष समिति" द्वारा लिए गए निर्णय एवं पारित प्रस्तावों के आलोक में प्रत्येक प्रखंड मुख्यालयों में प्रत्येक रविवार को नुक्कड़ नाटक, हर 15 दिनों पर प्रदर्शन व प्रत्येक माह के अंतिम मंगलवार को आम सभा, रविवार के अतिरिक्त अन्य दूसरे अवकाश के अवसरों पर जनसंपर्क अभियान एवं हस्ताक्षर करो तथा पत्र लिखो अभियान संचालित किया गया. राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के अतिरिक्त बिहार के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन एवं मांग पत्र प्रेषित किए गए तत्कालीन केंद्रीय मंत्री प्रोफेसर के.के.तिवारी द्वारा बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री केंद्रीय गृह मंत्री एवं प्रधानमंत्री को अपने विशेष पत्रों के माध्यम से बक्सर जिला बनाओ संघर्ष समिति के कार्यक्रमों का हवाला देते हुए बक्सर को अविलंब जिला का दर्जा देने का अनुरोध किया गया. वहीं, श्रीकांत पाठक (विधायक) ने भी बिहार विधानसभा में इस मसले को उठाया था. तेज तर्रार नेत्री मंजू प्रकाश द्वारा बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को सख्त अल्टीमेटम दिया गया कि, यदि 12 मार्च 1991 तक बक्सर को जिला नहीं बनाया गया तो बक्सरवासी 17 मार्च 1991 से आमरण अनशन पर चले जाएंगे तथा जेल भरो अभियान के तहत जबरदस्त आंदोलन भी प्रारंभ कर दिया जाएगा. उस आंदोलन में सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल होकर अपनी सहभागिता भागीदारी देंगे दूसरी तरफ रामेश्वर प्रसाद वर्मा पत्रकार, अली अनवर पत्रकार, शिवजी पाठक और पत्रकार कमलेश ने आज, आर्यावर्त, जनशक्ति, जनसत्ता, पहुंच, इंडियन नेशन, सर्चलाइट, नवभारत टाइम्स, भारत मेल, प्रदीप आदि पत्र-पत्रिकाओं में आलेख लिखकर व वक्तव्य दिलवाकर बिहार सरकार को विनम्रता पूर्वक सौम्य व शालीन चेतावनी भी दी.  1980 से 1990 तक पांच बार बक्सर बंद किया गया तब कहीं जाकर बिहार सरकार की कुंभकरण ई व नशीली नींद भंग हुई. सरकार चेती, स्थिति की गंभीरता को देखते हुए 17 मार्च 1991 को बक्सर को विधिवत जिले का दर्जा दिया गया.

इसके पूर्व कैमूर जिला घोषित हो गया था, अगले दिन ही बक्सर की विधायक मंजू प्रकाश ने 1अणे मार्ग मुख्यमंत्री निवास पर धरना देने का संकल्प लिया वह तारिख थी 01.02.1991. लालू प्रसाद ने धरना स्थल पर ही घोषणा कर दी कि, बक्सर जिला बन गया. आधिकारिक रूप से आकाशवाणी समाचार में7:30बजे घोषणा हुई. कैमूर जिला और बक्सर जिला का उद्घाटन 17 मार्च 1991को विधायक मंजू प्रकाश के पिता कामरेड ज्योति प्रकाश के शहादत दिवस पर की गई. मौके पर अशोक कुमार सिंह, सुधीर कुमार श्रीवास्तव अधिवक्ता, नंद गोपाल प्रसाद अधिवक्ता , गुरु दयाल सिंह, अजय कुमार सिंह, बबन सिंह आदि मौजूद थे.
रामेश्वर प्रसाद वर्मा




















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