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संकटों को हरनेवाले श्रीहरि हैं : आचार्य भारतभूषण

उन्होंने जीवन के एक-एक क्षण को मूल्यवान और वापस नहीं लौटनेवाला बताते हुए जीवन को साधना और उपासना का सोपान बनाने का आग्रह किया. आचार्य ने कथा को धर्म, भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और विवेक आदि का सुंदर साधन बताते हुए इसे भगवान की शरणागति द्वारा जीवन को सफल-सार्थक बनाने का सबसे बड़ा मार्ग बताया. 

- सुरौंधा गांव में आयोजित लक्ष्मी नारायण यज्ञ में बोले आचार्य
- बताया, गुरु होंगे पक्के तो सिद्धि भी होगी पक्की

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सुरौंधा गाँव के तिलक बाबा मंदिर में आयोजित श्रीलक्ष्मी नारायण यज्ञ में श्रीमद्भागवत-कथा के पाँचवे दिन प्रवचन करते हुए आचार्य डॉ. भारतभूषण जी महाराज ने कहा कि, किसी भी प्राणी के ऊपर जब संकट आता है तो भगवान ही उसका हरण करते हैं. पापों, रोगों व संकटों का हरण करनेवाले भगवान को ही हरि कहा जाता है. ध्रुव, प्रह्लाद और गजेंद्र को भगवान ने हरि के रूप में दर्शन दिया था. भक्तमाल में नाभा स्वामी ने प्रह्लाद को नरहरि दास कहा है. हिरण्यकश्यप को ब्रह्माजी द्वारा दिये गये वरदान के कारण भगवान श्रीहरि को नरहरि के रूप में आना पड़ा. आचार्य ने कहा कि गुरु पक्के होंगे तो सिद्धि भी पक्की होती है. एक ही देवर्षि नारद जी ने पार्वती जी को शिव मंत्र, ध्रुव जी को वासुदेव मंत्र तथा प्रह्लाद जी को नृसिंह मंत्र की दीक्षा दी थी और नारद जी जैसे पक्के गुरु के कारण सभी ने अपने इष्ट को प्राप्त किया.

उन्होंने जीवन के एक-एक क्षण को मूल्यवान और वापस नहीं लौटनेवाला बताते हुए जीवन को साधना और उपासना का सोपान बनाने का आग्रह किया. आचार्य ने कथा को धर्म, भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और विवेक आदि का सुंदर साधन बताते हुए इसे भगवान की शरणागति द्वारा जीवन को सफल-सार्थक बनाने का सबसे बड़ा मार्ग बताया. इस अवसर पर पं. अनिरुद्धाचार्य जी, पं. दीपक मिश्र ज्योतिषाचार्य तथा पं. कृष्ण बिहारी चौबे सामवेदी ने यज्ञशाला एवं व्यासपीठ पर पूजन आदि सम्पन्न कराया. मुख्य यजमान पं. भरत तिवारी के साथ क्षेत्र के कई गाँवों के गण्यमान्य लोगों ने कथा श्रवण किया.



















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