Buxar Top News: आंकड़े बताते हैं, बिहार सरकार ने किया सिंचाई योजना का बंटाधार - अमित |
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: बिहार सरकार ने प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के लिए जिलावार योजना बना कर केंद्र को अबतक नहीं भेजा है। इसे मार्च में ही भेजना था। इसके लिए दो-तीन बार केंद्र और राज्य के अधिकारियों की बैठक भी हुई। जिलों से सिंचाई की समेकित योजना मांगी गई। लेकिन, अभी तक जिलों से रिपार्ट ही नही भेजा गया।
प्रधानमंत्री सिंचाई योजना का नोडल विभाग कृषि है। यह योजना जल संसाधन, लघु जल संसाधन ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से संचालित होनी है। इसके तहत ट्यूवबेल, स्प्रिंक्लर से लेकर तालाब, नहर, चेक डैम आदि बनाए जा सकते हैं। केंद्र सरकार ने इस वर्ष यह योजना लागू की है। देशभर के लिए इस योजना के लिए 50 हजार करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है। राज्य के कृषि विभाग ने इस योजना के लिए लगभग 150 करोड़ का प्रावधान किया है। इसमें 60% यानी 90 करोड़ की राशि केंद्र देगी, जबकि शेष 57 करोड़ की राशि राज्य सरकार को लगानी है।
ये बातें आरटीआई एक्टिविस्ट अमित राय ने कही |
अमित मुताबिक, ऐसे क्षेत्र में सबसे पहले सिंचाई की सुविधा देनी है, जहां सिंचाई की कोई सुविधा नहीं है। मिट्टी के अनुसार सिंचाई योजना बनानी है। इस योजना में निजी के साथ सामूहिक बोरिंग को भी बढ़ावा मिलेगा तथा आहर-पइन पर अतिक्रमण एवं पानी की बर्बादी रोका जा सकेगा। सरकारी ट्यूबवेल्स का मरम्मत होगा तथा जल संरक्षण के लिए वाटरशेड मैनेजमेंट को और विस्तार दिया जाएगा। तालाबों को मछलीपालन के साथ ही सिंचाई से भी जोड़ा जाना है। वहीं, जहां समतल जमीन नहीं है वहां वाटर शेड के माध्यम से जल संचय भी किया जाएगा।
बिहार के कृषि उत्पादन आयुक्त का कहना है कि जिलों में योजना तैयार कर जल्द भेजने के लिए कहा गया है। इस वर्ष प्रधानमंत्री सिंचाई योजना समेकित रूप से शुरू हो रही है, इसलिए थोड़ी देर हुई है। हालांकि इससे काम प्रभावित नहीं होगा। इस योजना के रूप में राज्य की राशि में भी इससे कटौती नहीं होगी। खेतों में पानी पहुंचाने के लिए गांवों में जरूरत के हिसाब से योजना बनायी जा रही है।
आरटीआई एक्टिविस्ट अमित राय ने कहा कि राज्य सरकार न तो उपलब्ध पानी सिंचाई के लिए किसानों को मुहैय्या करा पा रही है न ही कृषि रोड मैप के अन्तर्गत पांच वर्षों में वृहत व लघु सिंचाई योजनाओं से अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का बढ़ा सकी है। राज्य सरकार ने तो जैसे राजकीय नलकूप योजना को बंद ही कर दिया है। सरकार धान खरीद से लेकर कृषि, पशुपालन व सहकारिता के साथ हीं सिंचाई के हर मोर्चे पर भी बुरी तरह से विफल हो गई है।
बिहार सरकार से अमित राय द्वारा मांगी गई जानकारी के आलोक में जो सरकारी आंकड़े पेश किये गए हैं वो चौका देने वाला है। सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार बिहार में सिंचाई के सबसे बड़े साधन राजकीय नलकूप (10,242) में 70 फीसदी बंद पड़े हैं जबकि पांच वर्षों में 4 लाख 27 हजार निजी नलकूप की जगह मात्र 49 हजार ही लगाये जा सके है। वृहत व मध्यम सिंचाई योजना के अन्तर्गत 11.64 लाख हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता के सृजन की जगह मात्र 64 हजार हेक्टेयर तथा लघु सिंचाई के तहत 25.29 लाख हेक्टेयर की जगह मात्र 3.70 लाख हेक्टेयर क्षमता ही सृजित की जा सकी है।
अमित राय ने कहा कि किसानों के प्रति लापरवाही को लेकर बिहार सरकार के विरुद्ध उच्च न्यायालय जाने की पूर्ण योजना है। चूकि किसानों के लिये चलाये जा रहे सभी योजनाएं धरातल पर सफल नही दिख रहे। जबकि कृषि कार्य के नाम पर राज्य में लूट मची है। किसानों के सतही सिंचाई (आहर-पईन) योजनान्तर्गत 3,570 इकाई के निर्माण के लक्ष्य के बावजूद 2,925 का अब तक कार्य आरंभ भी नहीं हो पाया है। पिछले पांच साल में 26.68 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के लक्ष्य के बावजूद करीब 15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को बाढ़(जल जमाव) से मुक्त कराने में सरकार विफल रही है। सरकार के जल संसाधन व लघु सिंचाई विभाग सिंचाई मुहैय्या कराने में पूरी तरह से फेल हैं। आंकड़ो से पता चलता है कि राज्य सरकार किसानों के प्रति बिल्कुल गंभीर नही है। इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। आने वाले दिनों में नीतीश सरकार पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तय है।
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