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Buxar Top News: दुःखद: पर्यटन के मानचित्र से गायब है अपना बक्सर ...

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : ज्ञान और अध्यात्म की कर्म भूमि बिहार के कोने-कोने की अपनी खास पहचान है। सूबे में बक्सर ही एक ऐसा जिला है जो त्रेता युग से लेकर आज तक की स्मृतियों को अपने दामन में समेटे है। भगवान श्रीराम की पाठशाला बक्सर को मिनी काशी भी कहा जाता है।

विभिन्न समुदाय व सत्संग के मठ-मंदिर, श्रीराम से जुड़े स्थल, ब्रह्मपुर का बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ मंदिर, चौसा का मैदान, बक्सर युद्ध का गवाह कथकौली मैदान, खूबसूरत गोकुल जलाशय के आसपास हिरणों का अघोषित अभयारण्य, चौसा के पास उत्तरायण से करवट लेती गंगा की मनमोहिनी चाल, चौसा का च्यवन मुनी आश्रम और भी बहुत कुछ। इतना कुछ होते हुए भी बक्सर पर्यटन के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाता। जबकि, आध्यात्म पर्यटन के बूते ही हरिद्वार, वाराणसी व मथुरा-अयोध्या आदि शहरों का पूरे देश में नाम है। आध्यात्म के जरिये पर्यटन की राह यहां भी बहुत मुश्किल नहीं है, जरूरत है तो बस उसे अमली जामा पहनाने की।

श्रीराम सर्किट से जोडऩे की बात बेमानी

युवा समाजसेवी अमित राय बताते हैं कि राज्य सरकार द्वारा बक्सर को श्रीराम सर्किट से जोडऩे की बात कही गयी थी। लेकिन वह भी अबतक बेमानी साबित हो रही है। सूबे में एनडीए वन के शासनकाल में ही तत्कालीन पर्यटन मंत्री ने भगवान श्रीराम से जुड़े स्थलों को राम सर्किट से जोडऩे की बात कही थी। उसके बाद भी तत्कालीन पर्यटन मंत्री सुनील कुमार "पिंटू" द्वारा यह बात दोहराया गयी थी, परन्तु बाद में इस पर कोई विशेष काम होते नहीं दिखा। बक्सर में भगवान श्रीराम और रामायण से जुड़े इतनी स्मृतियां हैं कि यदि उन्हें संकलित कर पर्यटन के धागे में पिरोया जाये तो न सिर्फ राजस्व का बढिय़ा जरिया बन सकता है बल्कि रोजगार सृजन में भी अहम भूमिका अदा कर सकती है।

हर साल जुटते हैं लाखों श्रद्धालु

आध्यात्मिक व विरासत के इस संगम के महत्व का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि यहां हर वर्ष विभिन्न पर्व-त्योहारों के अवसर पर देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन होता है। लेकिन, उनके यहां आगमन को पर्यटन के रूप में इनकैश नहीं किया जाता। न तो उनके यहां रुकने की कोई माकूल व्यवस्था है और न ही पर्यटन के लिहाज से परिवहन का ढांचा।

धार्मिक या ऐतिहासिक स्थलों की कमी नहीं

बक्सर में खूबसूरत धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थलों की कोई कमी नहीं है। इन स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाये तो यहां की अर्थव्यवस्था का कायाकल्प हो सकता है और स्थानीय युवाओं के रोजगार सृजन में अहम योगदान होगा।

आरटीआई एक्टिविस्ट एवं युवा समाजसेवी अमित राय द्वारा मांगी गई एक जानकारी में पर्यटन निदेशालय के उप-निदेशक द्वारा बताया गया है कि पर्यटकों के ठहरने के लिये बक्सर में होटल विश्वामित्र एवं डुमराँव में जगदीश पैलेस का निर्माण हुआ है, परंतु उनको भोजन करने के लिये कोई रेस्टोरेंट या ढाबा नही है। आगे जानकारी दी गयी है कि चौसा युद्ध भूमि को पर्यटक स्थल के रूप  में विकिसत करने के लिए सरकार ने संभावनाओं की रिपोर्ट की मांग की थी, जिसमें शेरशाह शूरी विजय स्थली को पर्यटक स्थल के रूप में विकिसत  करने, सौंदर्यीकरण करने एवं चौसा गढ़ को पर्यटक स्थल के  रूप में विकिसत करने के लिए करीब 80 करोड़ का बिंदुवार प्रस्ताव अगस्त 2015 और फरवरी 2016 में प्राप्त हुआ। परंतु अबतक उसपर अमल नही हुआ।

अमित राय ने कहा कि बक्सर में विभिन्न पर्यटकीय स्थलों के सौंदर्यीकरण व अन्य कार्य के लिए पर्यटन विभाग तथा जिलाधिकारी द्वारा प्रस्तावित कई करोड़ रुपये का आवंटन हुआ परंतु खर्च नही हो पाया और उक्त राशि लौटा दी गयी | यह क्रम प्रत्येक वित्तीय वर्ष में चलते आ रहा है। पिछले कई वर्षों में जिला प्रशासन द्वारा जो राशि खर्च नही किया गया उससे बक्सर पर्यटन को काफी नुकसान हुआ। उक्त राशि से बक्सर को सजाया जा सकता था जिससे इस शहर का कायाकल्प पलट गया होता।

सीएम ने भी दिया था आश्वासन

अमित राय कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब वर्ष 2012 में बक्सर जिले के सेवा यात्रा पर आये थे, तब चौसा का गढ़ देखने गये थे, उस समय युद्ध स्थली  को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की बात कही थी और यहां म्यूजियम बना कर  खुदाई में मिली वस्तुओं को रखने का भी भरोसा दिया था। बक्सर के अन्य पर्यटन स्थल को विकसित करने का प्रस्ताव दिया गया। उक्त प्रस्ताव की मांग को मुख्यमंत्री की सेवा यात्रा के दौरान किये गये वादे को अमल में लाने के प्रयास के रूप में देखा गया परंतु सीएम नीतीश ने भी बक्सर पर्यटन के लिये कोई कदम नही उठाया।

पर्यटन के मानचित्र पर बक्सर शून्य

विभिन्न नामों से अलंकृत इस जिले में खूबसूरत स्थलों की कोई कमी नहीं है, जिन्हें पर्यटन मानचित्र पर विकसित किया जा सकता है। लेकिन, दुखद पहलू यह है कि इतना आध्यात्मिक व ऐतिहासिक महत्व व गंगा का मनोरम किनारा रहने के बावजूद पर्यटन मानचित्र पर बक्सर शून्य है।

अमित के मुताबिक "समस्या है कि खुद व्यवस्था ही पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए यहां मौजूद सकारात्मक पहलू को नजरअंदाज करते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो पर्यटन की संभावनाएं यहां उपेक्षा का ही शिकार हुई हैं। जबकि, इसको अगर यहां आकार दिया जाये तो न केवल लोगों के सपने साकार होंगे बल्कि रोजगार व विकास के नये रास्ते निकल सकते हैं।"

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