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Buxar Top News: दिव्यांगो को नहीं मिल रहा है सरकारी योजनाओं का लाभ ...



बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: केंद्र व राज्य सरकार द्वारा दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। लेकिन धरातल पर इन्हें कोई खास लाभ नही मिल पा रहा है। बिहार सहित बक्सर के दिव्यांग समस्याओं से ग्रसित हैं। इस जमात के अधिकारों एवं हितों की रक्षा तथा पुनर्वास आदि से जुड़ी शासकीय व्यवस्था लचर है। जो लोग चिह्नित किए गए हैं उसमें से आधे से कम लोगों को ही सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। बचे हुए लोगों को सत्यापित कर प्रमाण पत्र देने की गति काफी धीमी है। जिसके चलते दिव्यांगों की बड़ी जमात सीधे तौर पर सरकारी सुविधाओं के लाभ से वंचित हैं।

दिव्यांग जनों के समस्याओं को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट एवं समाजसेवी अमित राय द्वारा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार में एक शिकायत कर कहा गया है कि "बिहार में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 23 लाख से अधिक दिव्यांग व्यक्ति हैं, जिसमे 11 लाख दिव्यांगों को ही प्रमाणपत्र दिया गया है। जिसके कारण 12 लाख से अधिक दिव्यांग व्यक्ति सरकारी योजनाओं से वंचित रह जा रहे हैं। वहीं 11 लाख दिव्यांग प्रमाणपत्रधारियों में से भी 4 लाख से ज्यादा दिव्यांगों को ना ही पेंसन प्राप्त होता है और ना ही अन्य योजनाओं का लाभ"। उक्त शिकायत के आलोक में केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय के नोडल पदाधिकारी पारस कुमार सिंह के पत्रांक 7-1/2017/FC & PG/545 दिनांक 03.04.2017 द्वारा कहा गया है कि यह एक गंभीर मामला है जिसपर 1 महीने के अंदर उचित कार्रवाई की जाएगी | इसके लिये बिहार सरकार को भी पत्र लिखा गया है तथा भारत सरकार के सक्षम पदाधिकारी को भी इस समस्या के समाधान का जिम्मा दिया गया है।

सरकार दवारा चलाई जा रही योजनाएं भी सफल नहीं:

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय नि:शक्तता पेंशन योजना, मुख्यमंत्री साम‌र्थ्य योजना, मुख्यमंत्री नि:शक्त जन शिक्षा ऋण योजना, मुख्यमंत्री निश्चय जन स्वरोजगार योजना, बिहार नि:शक्तता पेंशन योजना।

पटना प्रमंडल इलाके के लिए और कई योजनाएं घोषित भी की गई परंतु एक भी योजनाएं धरातल पर उतर नहीं पाई। योजनाओं का लाभ लेने और प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए जिले के दिव्यांग दर-दर भटक रहे हैं।

विकलांग सशक्तिकरण योजना (संबल) के तहत मानसिक दिव्यांगों के लिए आश्रय गृह तथा साकेत के संचालन हेतु राशि का भी आवंटन किया गया। परंतु उसका कार्य आजतक प्रारंभ नहीं हो पाया। मानसिक दिव्यांगों के दिवाकालीन विद्यालय, संव‌र्द्धन के लिए कोई व्यवस्था नही है। मुख्यमंत्री नि:शक्त स्वरोजगार योजना का लाभ भी लक्ष्य के अनुरूप दिव्यांगों को नहीं मिल रहा है। प्रचार- प्रसार के अभाव में बड़ी संख्या में लोग इस सुविधा से वंचित हैं। भूमिहीन दिव्यांगों को पांच डिसमील जमीन देने का प्रावधान है। परंतु न तो सरकार जमीन दे रही है और न ही आवास की सुविधा ही उपलब्ध कराई जा रही है। बक्सर में  स्थिति यह है कि जिला प्रशासन को जिले में दिव्यांगों की सही जनसंख्या भी पता नहीं है। जिला के कोष में राशि रहने के बावजूद इनका अलग से जनगणना नहीं कराया जा रहा है। पीएचसी में प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने की मुकम्मल व्यवस्था नहीं रहने के कारण हफ्ते में एक दिन समाहरणालय में प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए दिव्यांगों की बड़ी भीड़ उमड़ती है। परंतु अधिकांश को निराश होकर लौटना पड़ता है।


बक्सर जिले में भी नि:शक्तों कि संख्या बहुत ज्यादा है। लेकिन इनके लिये विद्यालय का भी माकूल व्यवस्था नही है और ना ही पुनर्वास केंद्र का। रेलवे स्टेशन व बस स्टेंडों में भी नि:शक्तों के लिए अलग से कोई उचित व्यवस्था नहीं है।

आरटीआई एक्टिविस्ट एवं समाजसेवी अमित राय का कहना है कि सरकार द्वारा सभी योजनाओं में नि:शक्तों को तीन प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। पर असली जरूरतमंदों के बदले कम नि:शक्तकता वाले व संपन्न लोगों को लाभ मिल रहा है। गरीब नि:शक्तों के पास इतने रुपये नही हैं कि वे अधिकारियों को खुश कर सकें। बक्सर में नि:शक्तों के लिए वर्षों से शिक्षण-प्रशिक्षण आवासीय महाविद्यालय की स्थापना की मांग किया है। इसके लिए मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन दिया पर आज तक मांग पूरी नहीं हुई है।

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