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Buxar Top News: विश्व रेडक्रॉस दिवस: सेवा व समर्पण के लाल क्रॉस का ये प्रयोग है गैरकानूनी, जाने अनसुने तथ्य ...

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: बिहार में आम तौर पर रेडडक्रॉस साइन को कोई भी लगाकर घूमता नजर आ जाता है। शहर में एम्बुलैंस, दवाई की दुकान से लेकर हॉस्पिटल तक इसी चिन्ह का प्रयोग हो रहा है, जबकि सफेद पृष्ठभूमि में लाल रंग से एक-दूसरे को काटती रेखाएं यानी रैडक्रॉस के चिन्ह का इस तरह इस्तेमाल करना गैर-कानूनी है। इस चिन्ह का दुरुपयोग करने पर जुर्माना होने के साथ-साथ उस संपत्ति को भी जब्त किये जाने का प्रावधान है जिस पर रेडक्रॉस का चिन्ह बना हो।
उक्त बातें आरटीआई एक्टिविस्ट अमित राय ने कही। बिहार में रेडक्रॉस चिन्ह का गैर-कानूनी रूप से इस्तेमाल होने की शिकायत इन्होंने सरकार से की है।

रेडक्रॉस संस्था एवं इसके चिन्ह के बारे में कुछ रोचक जानकारी से पाठकों को आज रूबरू कराते हैं जिसे जानना आवश्यक है।

क्या है रेडक्रॉस:

आज विश्व के अधिकांश ब्लड बैंकों की देख-रेख रेडक्रॉस एवं उसकी सहयोगी संस्थाओं के द्वारा किया जाता है। जगह-जगह रक्तदान शिविर आयोजित करके लोगों को रेडक्रास के बारे में जागरुक किया जाता है। रेडक्रास द्वारा चलाए गए रक्तदान जागरुकता अभियान के कारण ही आज थैलीसिमिया, कैंसर, एनीमिया जैसी अनेक जानलेवा बीमारियों से हजारों लोगों की जान बच रही है।

भारतीय रेडक्रॉस:

भारत में वर्ष 1920 में पार्लियामेंट्री एक्ट के तहत भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी का गठन हुआ, तब से रेडक्रॉस के स्वंय सेवक विभिन्न प्रकार की आपदाओं में निरंतर निःस्वार्थ भावना से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। भारत में प्राकृतिक आपदा अपने चरम पर रहती है उसको देखते हुए रेडक्रास सोसाइटी मानवता की सेवा के लिए भारत के कोने-कोने में अभियान भी चलाती है।

रेड क्रॉस के चिन्ह का इस्तेमाल गैर-कानूनी:

रेड क्रॉस का जब नाम मन में आता है तो आप क्या सोचते हैं? अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति ? या अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस संस्था? शायद नहीं। भारत में रेड क्रॉस शब्द का अर्थ है, गाँवों और शहरों में दौड़ने वाले एम्बुलेंस, अस्पताल, दवाई की दुकान पर लगे बैनर जिसपर रेडक्रॉस का चिन्ह बना होता है, इमरजेंसी सुविधाओं के लिए भी इसी चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है की सफेद पृष्ठभूमि में लाल रंग से 2 एक दूसरे को काटती रेखाएं यानी रेड क्रॉस के चिन्ह का इस तरह इस्तेमाल करना गैर-कानूनी है

मुख्यमंत्री कार्यालय में की शिकायत:

आरटीआई एक्टिविस्ट अमित राय ने शिकायत कर कहा है कि बिहार में हर जगह इस चिन्ह का गैर-कानूनी इस्तेमाल हो रहा है। केवल हॉस्पिटल्स, कैमिस्ट शॉप्स व एम्बुलैंस पर ही इस चिन्ह का दुरुपयोग नहीं हो रहा, बल्कि बी.सी.आर. पर भी इस चिन्ह का दुरुपयोग होता हुआ देखा जा सकता है। गौरतलब है कि यदि कानून के रखवालों द्वारा ही इस चिन्ह का दुरुपयोग होगा तो बाकी लोग इसे क्यों गंभीरता से लेंगे। लोगों में इस चिन्ह को लेकर जागरूकता की कमी है। इसी के चलते हर कोई इस चिन्ह का धड़ल्ले से प्रयोग कर रहा है, इसपर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।


आरटीआई एक्टिविस्ट अमित राय बताते हैं की भारतीय संसद द्वारा मान्य 1960 के जिनेवा कन्वेंशन के अनुसार रेडक्रॉस के चिन्ह के दुरुपयोग होने की दशा में आर्थिक जुर्माना का नियम है और उस संपत्ति को भी जब्त किया जा सकता है जिसपर ये चिन्ह लगा हो। इसके अंतर्गत अस्पतालों, एम्बुलेंस, आदि पर प्रतिबन्ध तक लगाया जा सकता है। जिनेवा कन्वेंशन के नियमों के मुताबिक रेड क्रॉस के चिन्ह का इस्तेमाल केवल संघर्ष या युद्ध की स्थिति में चिकित्सा कर्मिओं और उन वाहनों के लिए किया जाता है जिनमें चिकित्सा सम्बन्धी सामग्री हो। यह चिन्ह पीड़ितों के लिए एक उम्मीद की किरण होने के साथ-साथ उन लोगों के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। विषम परिस्थितियों भी पीड़ितों की सहायता के लिए प्रसिद्ध है, और यही कारण है की इस चिन्ह का इस्तेमाल केवल उन्हीं लोगों द्वारा होना चाहिए जो आधिकारिक रूप से इसके लिए चुने गये हों। इस चिन्ह का इस्तेमाल केवल सेना के चिकित्सक जवानों, अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट मूवमेंट के द्वारा ही किया जा सकता है।

अमित राय कहते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रॉस समिति के कई कोशिशों के बावजूद रेडक्रॉस के चिन्ह का गैर-कानूनी रूप से इस्तेमाल बदस्तूर जारी है। अपनी क्लिनिक पर रेड क्रॉस के चिन्ह लगाए डॉक्टरों को न जानकारी है और न डर है की ये उन्हें मुसीबत में डाल सकती है, यहाँ तक की कई प्राइवेट क्लिनिक के डॉक्टरों को इस चिन्ह के बारे में पता भी नहीं है।

 बक्सर टॉप न्यूज़ आप सभी नागरिकों से आग्रह करती है की इस चिन्ह का इस्तेमाल गैर-सरकारी, सरकारी, मेडिकल, डॉक्टर, एम्बुलेंस आदि के लिए न करें ।


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