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Hindi Top News: घंटा बजाकर लागू हुआ गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स, पूरे देश में अब एक होंगी कीमतें, ब्रांडेड के शौकीनों पर बढ़ जाएगा बोझ ...


हिंदी टॉप न्यूज़, नई दिल्ली: स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे बड़ा कर सुधार कहा जा रहा - गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स, यानी जीएसटी - शनिवार, 1 जुलाई, 2017 से लागू हो गया. बहुप्रतीक्षित जीएसटी को संसद भवन के एक भव्य समारोह में लागू कर दिया गया। संसद भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली सहित सरकार के मंत्री और सौ से अधिक गणमान्य लोग मौजूद रहे। इस दौरान जहाँ कांग्रेस ने इसका विरोध किया वहीँ जेडीयू तथा समाजवादी पार्टी के नेता कार्यक्रम में शामिल हुए |

संसद पहुंचे जन प्रतिनिधियों का अंग वस्त्र देकर किया गया स्वागत, घंटा बजाकर लागू किया गया जीएसटी, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा वित्त मंत्री ने बताया एकीकरण को बढ़ावा  :
संसद भवन पर जैसे-जैसे प्रतिनीधि पहुंचते गए, उनका स्वागत अंग वस्त्र भेंट कर किया गया। समारोह में सबसे पहले पहुंचने वालों में वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण अडवानी और एनसीपी के नेता शरद पवार शामिल थे। उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पहुंचने के बाद राष्ट्र गान हुआ। कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, सभी केंद्रीय मंत्री, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, उद्योगपति रतन टाटा, कानून के जानकार सोली सोराबजी, केके वेणुगोपाल आदि मौजूद रहे।
घंटा बजा कर लागू हुआ जीएसटी, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा वित्त मंत्री ने कहा, एकीकरण को मिलेगा बढ़ावा:
आधी रात को घड़ी की सूई 12 बजे पर पहुंची तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने घंटा बजाकर जीएसटी को लागू कर दिया ।
मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आशा जताई कि देश में महंगाई पर लगाम लगेगी, नौकरियों के नए अवसर पैदा होंगे, कर का आधार बढ़ेगा और जीडीपी का दायरा बढ़ जाएगा। प्रधानमंत्री ने आशा जताई कि इस नई व्यवस्था से देश एक ऐतिहासिक घटना का साक्षी हुआ। जो रास्ता हमने चुना है, जो व्यवस्था हमने बनाई है, वह किसी एक दल की कोशिश नहीं है, बल्कि साझी व्यवस्था का परिणाम है। उन्होंने कहा कि जब संविधान बना तो इसने देश के नागरिकों को समान अवसर दिया और आज जीएसटी सभी राज्यों को एक धागे में पिरोने और आर्थिक व्ययवस्था के एकीकरण का बढ़ाया है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी लागू होने से नई यात्रा की शुरुआत हो रही है। इस यात्रा में कई लोगों का सहयोग रहा है। हमारा लक्ष्य एक देश, एक टैक्स का है। इस सिस्टम को पास करने में केंद्र और राज्य सरकार का सहयोग रहा है, राष्ट्र के हित में पूरा देश एक साथ आया है। सभी राज्यों ने एक साथ आकर देश के संघीय ढांचे का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि आज से हमारा लक्ष्य सभी को साथ चलने का है।
राष्ट्रपति  प्रणब मुखर्जी इस यात्रा के अहम गवाह हैं। एनडीए की सरकार ने  2003 में ऐतिहासिक रिपोर्ट दी थी, जिसके बाद 2006 के बजट में यूपीए सरकार ने घोषणा की थी कि 2010 में इसे लागू किया जाएगा। उस दौरान वित्तमंत्री ने इसे सबके सामने रखा था, और संविधान में संशोधन हुआ था।

विशेषज्ञों की राय, चिंता न करें उच्च व निम्न आय वर्ग वाले, मध्यम वर्ग पर बढ़ा बोझ :
बताया जा रहा है कि चूंकि जीएसटी का मकसद 'टैक्स पर टैक्स' को खत्म करना है, समय के साथ वस्तुओं तथा उत्पादों पर कर का बोझ कुल मिलाकर कम ही होगा | जीएसटी के तहत खुले अनाज, गुड़, दूध, अंडे और नमक जैसी बहुत-सी आवश्यक वस्तुओं पर कोई टैक्स नहीं लगेगा | बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं महंगी हो जाएंगी, क्योंकि जीएसटी के तहत इन्हें मौजूदा 15 फीसदी की स्लैब से निकालकर 18 फीसदी की दर में रखा गया है|


विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी के लागू हो जाने के बाद दुकानों में बिकने वाली बहुत-सी सामान्य वस्तुओं की कीमतें अपरिवर्तित रहने की संभावना है |
जीएसटी के लागू हो जाने के बाद 500 रुपये से कम कीमत वाले जूते-चप्पलों, तैयार पोशाकों जैसी कई वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी, जबकि टीवी तथा छोटी कारें महंगी होने जा रही हैं |

पेट्रोल, डीज़ल तथा एविएशन टर्बाइन फ्यूल जैसे पेट्रोलियम पदार्थों को फिलहाल जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है | जीएसटी काउंसिल इस मुद्दे पर बाद में फैसला करेगी, फिलहाल शराब को भी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है | विशेषज्ञ बताते हैं कि इस देश में उच्च वर्ग की जो स्थिति है, उसे करों की चिंता करने की जरूरत नहीं है, निम्न आय वर्ग के लिए जीएसटी कोई खास परेशानी लानेवाला नहीं है | हां, मध्यवर्ग को जरूर अपनी जेब को ज्यादा हल्की करवाने का इंतजाम कर लेना चाहिए |

गुड्स एंड सर्विस टैक्स या माल और सेवा कर दरअसल देश की महत्वपूर्ण सेवा अर्थव्यवस्था को ज्यादा बेहतर तरीके से दूह पाएगा | अधिकांश सेवाओं की कर दर 15 पर्सेंट से बढ़ाकर 18 पर्सेंट हो गई है | 15 से 18 तक का सफर यूं तो तीन पर्सेंट बिंदुओँ का है, पर इसमें मध्यवर्ग की जेब से बड़ी रकम निकालने के इंतजाम हो गए हैं | इसकी वजह भी साफ है कि सेवाओं का उपभोग ज्यादातर मध्यवर्ग और उच्च मध्यवर्ग ही करता है |
ऐसा नहीं है कि निम्न आय वर्ग में सेवाओं का प्रयोग नहीं होता | पर आनुपातिक तौर पर देखें, तो आईआईटी की कोचिंग, मोबाइल के बिल, फाइव स्टार होटलों में स्टे- ये सब निम्न आय वर्ग के मामले नहीं होते | इसलिए सरकार जोर-शोर से इश्तिहारों में ये बताने में जुटी है कि गुड़, गेहूं, दूध, अन-ब्रांडेड शहद, ताजी सब्जियों, अन-ब्रांडेड आटे, अन-ब्रांडेड मैदा, अन-ब्रांडेड बेसन, अंडे, दही, लस्सी, बिना पैकिंग के पनीर, नमक, फूलवाली झाड़ू पर जीएसटी 0 पर्सेंट है यानी कोई जीएसटी नहीं है |
चीनी, चाय, खाने के तेल, मिल्क पाऊडर, घरेलू एलपीजी, 500 रुपए तक फुटवीयर, 1000 रुपए तक कपड़ों, अगर बत्ती पर सिर्फ 5 पर्सेंट जीएसटी है | आईसक्रीम, हेयर आयल, टूथपेस्ट, साबुन वगैरह पर 18 पर्सेंट का जीएसटी है. तो जीएसटी ने करामात यह की है कि सर्विस टैक्स अधिकांश सेवाओं का करीब 15पर्सेंट से बढ़ाकर 18 पर्सेंट कर दिया है |
ब्रांड का क्रेज आय बढ़ने के साथ बढ़ता है | अन-ब्रांडेड आइटम सिर्फ प्रयोग करने के लिए होते हैं, ब्रांड शुदा आइटम स्टेटस बढ़ाने के लिए भी काम आते हैं | यानी कुल मिलाकर ब्रांड वाला स्टेटस चाहिए होगा तो फिर जेब ज्यादा ढीली करने की तैयारी भी करनी होगी |

टेलीकॉम, कोचिंग, होटल, इंश्योरेंस, क्रेडिट कार्ड जैसी सेवाओं पर 15 से 18 पर्सेंट टैक्स, यानी हर हजार पर तीस रुपए ज्यादा :
टेलीकॉम सेवा, कोचिंग सेवा, होटल, इंश्योरेंस, क्रेडिट कार्ड जैसी अधिकांश सेवाओं पर अब तक कर 15 पर्सेंट के आसपास था, अब यह बढ़कर 18 पर्सेंट हो गया है | यानी अर्थव्यवस्था का करीब दो तिहाई हिस्सा करीब 15 पर्सेंट के मुकाबले 18 पर्सेंट टैक्स के दायरे में आ गया है | सेवा कर 15 से 18 पर्सेंट तक जाते ही उन जेबों पर बोझ बढ़ा देगा, जिनसे तमाम तरह की सेवाओँ के भुगतान होते हैं |
इंश्योरेंस प्रीमियम से लेकर क्रेडिट कार्ड तक, मोबाइल पेमेंट से लेकर कोचिंग सर्विस तक पर सर्विस टैक्स 15 पर्सेंट से बढ़ाकर 18 पर्सेंट होना है. इसका मतलब यह हुआ कि  अगर मोबाइल का बिल 1000 रुपए का है तो उस पर तीस रुपए ज्यादा देने की तैयारी करें अगर मोबाइल बिल 3000 रुपए का आता है, तो नब्बे रुपए ज्यादा देने पड़ेंगे |
भारत में मध्यवर्गीय परिवारों में आईआईटी एक सपने की तरह आता है, उसकी कोचिंग कोटा समेत तमाम शहरों में फैली हुई है. आईआईटी की कोचिंग हजारों में नहीं लाखों की कीमत पर आती है, एक लाख रुपए पर तीन हजार रुपए ज्यादा देने होंगे | यानी अगर बच्चे की कोचिंग की फीस तीन लाख  रुपए है, तो फिर नौ हजार रुपए पहले के मुकाबले ज्यादा देने होंगे |

ब्रांडेड सामान होंगे महंगे :  
ब्रांडेड, एक तय सीमा से ऊपर की रेट के सामान और सेवाएं जैसे जूते, कपड़े, होटल महंगे होंगे | हजार से ऊपर के कपड़े खरीदेंगे, तो जीएसटी 12 पर्सेंट लगेगा | 1000 रुपए से नीचे के होटल कमरों पर टैक्स नहीं है, अगर 7500 रुपए से ऊपर के होटल कमरे लेनेवाले 28 पर्सेंट जीएसटी देंगे | यानी स्टैंडर्ड बढ़ाएंगे, तो सरकार के खजाने में योगदान करना भी आपकी जिम्मेदारी होगी | कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है मध्यवर्ग को ज्यादा महंगाई के लिए तैयार हो जाना चाहिए |





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