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Buxar Top News: पौराणिक परम्पराओं को जीवंत करती शुरु हुई आध्यामिकता की गाथाएं, वैदिक मंत्रोच्चार के बीच रामलीला तथा कृष्णलीला का शुरु हुआ मंचन.



- शुरु हो गयी रामलीला और कृष्णालीला.

-1941 से शुरु हुआ था 21 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव.
- वैदिक मंत्रोच्चार के साथ की गयी शुरुआत.


बक्सर टॉप न्यूज़, रामलीला मैदान के विशाल मंच पर श्री रामलीला समिति द्वारा आयोजित 21 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव की शुरुआत बुधवार को वेदत् ध्वनि व वैदिक मंत्रोधार के बीच दोल नगाड़ो के साथ की गई. आयोजन का विधिवत उदघाटन लक्ष्मी नारायण मंदिर के मंहत श्री श्री 1008 श्री राजगोपालाचार्य जी महाराज उर्फ त्यागी श्री महाराज जी के कर -कमलों द्रारा दीप प्रज्जवनन व हनुमत पूजन के साथ किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के कार्यकारी अध्यक्ष रामावतार पाण्डेय व संचालन -सचिव बैकुण्ठ नाथ शर्मा ने की. वही धन्यवाद ज्ञापन समिति के संयुक्त सचिव हरिशंकर गुप्ता ने किया.
इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व मंत्री सुखदा पांडेय तथा सदर अनुमंडलाधिकारी गौतम कुमार मौजूद रहे.

बक्सर टॉप न्यूज़: 21वीं शताब्दी में जहां लोग संचार क्रांति की दौर से गुजर रहे है. वहीं अपनी पुरानी परम्परा को भले ही भूलते जा रहे हो, लेकिन आज भी बक्सर की पौराणिक धरती अपनी संस्कृति को बचाने के प्रति सजग व गंभीर है. यहां की रामलीला और कृष्णालीला जिले की आध्यात्मिक पहचान है. वक्त के साथ आध्यात्मिक आयोजनों के प्रति कमी आई है, लेकिन दशहरा के अवसर पर होने वाली 21 दिवसीय रामलीला महोत्सव के प्रति आज भी बक्सर वासियों का जुड़ाव पहले जैसा ही है. इस मोहत्सव को लेकर जिलेवासी एक माह पहले से ही तैयारी में जुट जाते है. इस महोत्सव में सबसे खास बात यह है कि इस महोत्सव में रामलीला के साथ कृष्णलीला का आयोजिन किया जाता है. दिन में कृष्णालीला का आयोजन किया जाता है. वहीं रात में रामलीला का आयोजन किया जाता है. जिउतिया के अवसर पर प्रारंभ होने वाली रामलीला व कृष्णलीला इस बार भी धूमधाम से प्रारंभ होने जा रहा है.

श्री रामलीला समिति द्वारा आयोजित 21 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव के सचिव बैकुंठ नाथ शर्मा ने बताया कि महोत्सव की सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी है. प्रत्येक साल की भांति इस साल भी जिउतपुत्रिका के दिन यानी बुधवार 13 सितम्बर को महोत्सव का भव्य  शुभारम्भ किया गया. इसकी शुरुआत वैदिक मंत्रोचार द्वारा हुई. उदघाटना श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर के महंत श्री श्री 1008 श्री राजगोपालाचार्य जी महाराज के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया.

क्या है इस महोत्सव का इतिहास

वर्ष 1941 में शहर के नया चौक स्थित श्रीचंद्र मंदिर पर पहली बार शहर के वरिष्ठ समाज सेवी जमुना केसरी के पुत्र रामनारायण केसरी, हनंत लालजी लोहिया द्वरा इस महोत्सव की शुरुआत की गई थी. उस समय श्रीचंद्र मंदिर के अलावा लीला को प्रसंग के अनुसार जंगल, नदी व तालाब के समीप प्रदर्शित किया जाता था. ताकि लीला की दृश्यात्मक मौलिकता दी जा सके. अश्विन कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि यानि जीवित्पुत्रिका व्रत की रात को लीला की शुरूआत होती है. जिसका समापन दशहरा के तीसरे दिन होता है.

  1985 से किला मैदान में हुआ शिफ्ट

बदलते परिवेश व बढ़ती भीड़ को देखते हुए श्रीचंद्र मंदिर से रामलीला आयोजन को वर्ष 1985 में किला मैदान में स्थाई रूप से शिफ्ट कर दिया. हालांकि, इसका संगठनात्मक ढांचा 1941 में तैयार कर दिया गया था. 1941 में नगर के  बुद्धिजीवियों व व्यवसायी वर्ग के लोगों के प्रयास से 'श्री रामलीला समिति' का गठन हुआ किया गया था. तब इसके लिये धन का जुगाड़ जिले के सभी व्यापारी व राइस मिलरों के सहयोग से किया जाता है. आज भी बिना किसी सरकारी सहायता के जन सहयोग से यह भव्य आयोजन होता है.

 सर्वधर्म सम्भाव के दिखती गई झलक

समिति के सचिव बैकुंठनाथ शर्मा व कोषाध्यक्ष का कहना है कि लीला के आयोजन में सर्वधर्म सम्भव की झलक देखने को मिलती है. सभी धर्मों के लोग मिलकर इस आयोजन को कामयाब बनाते हैं और जिले की आस्था से जुड़ी लीला को देखने देर रात तक बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग भी मौजूद रहते हैं. उन्होंने बताया कि इस महोत्सव में सबसे खास भरत मिलाप होता है. जिसमें सभी धर्मों के लोग शामिल होते हैं.

 कार्यक्रम
  • 18 सितंबर - तड़का व
  • 21 सितंबर -धनुष यज्ञ
  • 22 सितंबर  -लक्ष्मण परसुराम संवाद
  • 24 सितंबर -राम वनवास
  • 26 सितंबर-सुपर्णखा नाशिक भंग
  • 27सितंबर-लंका दहन
  • 30 सितंबर-रावण वध का समय निर्धारित किया गया है.
  • 2 अक्टूबर -रात्रि में भरत मिलाप
  • 3 अक्टूबर-  भगवान श्री राम के राजतिलक प्रसंग के साथ रामलीला संपन्न होगी.













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