Buxar Top News: दवाओं के नियमित सेवन से पाई जा सकती है टीबी रोग पर विजय - डॉ. सीएम सिंह ।
जिन्होंने पूर्व में दवा खाई है, और बिना कोर्स पूरा किए उसे छोड़ दिया है उन रोगियों पर अब कोई दवा असर नहीं करती और अंततः वह मौत के मुंह में समा जाते हैं.
- साबित खिदमत फाउंडेशन एवं सीबीसी कार्ड के बैनर तले आयोजित की गई विचार गोष्ठी.
- पूरे विश्व से रोग को मिटाए जाने का संकल्प लेने की कही गई बात.
- लाल रोशनी से वीर कुंवर सिंह चौक को जगमग कर टीबी मुक्ति का लिया गया संकल्प.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: विश्व क्षय दिवस के अवसर पर चीनी मिल मोहल्ले स्थित मां तालिमी मरकज के प्रांगण में सीबीसी कार्ड एवं साबित खिदमत फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में एक सेमिनार सह विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया.
इस दौरान सीबीसी कार्ड के कोऑर्डिनेटर अतुल कुमार तथा गौरव कुमार समेत जिले के कई वरिष्ठ चिकित्सक, समाज सेवी एवं आम लोग मौजूद रहे.
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कोऑर्डिनेटर अतुल कुमार ने बताया कि टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है परंतु इसे छिपाना खतरनाक हो सकता है. उन्होंने बताया कि सीबीसी कार्ड के द्वारा चलाए जा रहे अभियान में वह गांव गांव जाकर ग्रुप डिस्कशन एवं घर-घर जाकर लोगों की जांच एवं इस रोग से बचाव के बारे में उन्हें बता रहे हैं. साथ ही साथ वॉल पेंटिंग एवं अन्य माध्यमों से भी लोगों को इस रोग से बचाव के जानकारियां दी जा रही है. उन्होंने बताया कि बक्सर जिले में 159 टीबी के मरीज पाए गए हैं जो कि अपने आप में एक खतरनाक संकेत है, साथ ही साथ उन्होंने बताया कि रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती रही है. गौरव कुमार ने बताया कि चौसा राजपुर बक्सर इटाढ़ी 4 प्रखंडों में लगभग हर माह सौ लोग टीबी के मरीज मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब प्रतिदिन नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी की जांच हो रही है और जांच के बाद रोगियों का डाटा सरकार के भी पोर्टल पर अपडेट करने के साथ-साथ उन्हें मुफ्त में दवा की भी उपलब्धता कराई जा रही है. उन्होंने बताया कि टीबी के रोगी जिन्होंने पूर्व में दवा खाई है, और बिना कोर्स पूरा किए उसे छोड़ दिया है उन रोगियों पर अब कोई दवा असर नहीं करती और अंततः वह मौत के मुंह में समा जाते हैं. जबकि अगर नियमित रूप से दवा की जाए तो टीवी का पूर्ण इलाज संभव है. उन्होंने बताया कि सभी प्रखंडों के आशा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं अस्पतालों में दवाएं उपलब्ध उपलब्ध हैं. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा ऑटोमेटिक डॉट नामक सुविधा भी शुरू की गई है जिसमें अगर रोगी ने दवा खाई और एक टोल फ्री नंबर पर उसने केवल मिस्ड कॉल कर दिया तो वह यह संदेश चला जाता है कि रोगी ने आज की दवा खाई है.
कार्यक्रम में आगे बोलते हुए प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ आशुतोष कुमार सिंह ने बताया कि टीबी माउथ टू माउथ फैलता है. अगर सामने बैठा व्यक्ति जिसे टीबी है और वह खाँसता है तो उसे चाहिए कि हमेशा मुंह पर कपड़ा रख कर खांसे, क्योंकि टीबी का बैक्टीरिया रोगी के मुंह से निकल कर सामने बैठे व्यक्ति के मुँह माध्यम से उसके शरीर में चला जाता है. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि यह बैक्टीरिया हवा में ज्यादा देर तक जिंदा नहीं रह सकता. उन्होंने लोगों को कहा कि इलाज से ज्यादा जरूरी बचाव भी है उन्होंने यह भी कहा टीबी गरीबी से फैलने वाला रोग नहीं नहीं है यह बैक्टीरिया जनित रोग है.
साबित खिदमत फाउंडेशन के फाउंडर मेंबर साबित रोहतासवी ने मंच से लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूकता लाने की अपील की. उन्होंने कहा कि इस बीमारी को जड़ से मिटाते हुए देश से ही भगा देने का संकल्प ह
र किसी को लेना होगा. सभी लोगों के प्रयास से ही यह संभव हो पाएगा उन्होंने कहा कि रोगियों की संख्या अगर जिले में 150 है तो ऐसी जागरुकता फैलाई जाए कि वह पूरी तरह खत्म हो जाए ना कि वह 1500 की संख्या में तब्दील हो जाए.
प्रसिद्ध चिकित्सक डॉक्टर सीएम सिंह ने कहा कि टीबी मरीजों के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं वह काफी भयावह हैं. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू की मौत इसी बीमारी के कारण हुई थी. दूसरी ओर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जिन्ना साहब भी इसी बीमारी के शिकार हुए. हालांकि तब इस बीमारी का इलाज संभव नहीं था लेकिन अब यह संभव है. ऐसे में लोगों को चाहिए कि वह इस बीमारी को छिपाए नहीं. बल्कि इसे बताकर इसका नियमित इलाज कराएं. उन्होंने कहा कि अब हर चिकित्सक टीबी का इलाज कर सकता है. इसके लिए किसी स्पेशलिस्ट की जरूरत नहीं है. उन्होंने लोगों से अपील की कि टीबी का नि:शुल्क इलाज सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं में किया जा रहा है. रोगियों को चाहिए कि वह इसका लाभ लें. उन्होंने कहा कि आज की परिस्थिति में हर मिनट एक रोगी मौत के मुंह में समा रहा है. ऐसे में अगर किसी को भी 15 दिन से अधिक खांसी हो तो उसे एक बार जांच कराते हुए यह सुनिश्चित अवश्य करा लेना चाहिए कि उसे टीबी है अथवा नहीं? और अगर है तो उसे छह माह तक नियमित दवा का सेवन करना चाहिए. जिससे कि वह पूरी तरह स्वस्थ हो जाएगा. लेकिन अगर दवा को बीच में बंद कर दिया गया तो उस रोगी का इलाज बहुत ही मुश्किल हो जाता है. और अंततः उसे बचाया नहीं जा सकता.
कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन करते हुए साबित खिदमत फाउंडेशन के संस्थापक डॉ दिलशाद आलम ने बताया कि विश्व बैंक की सहायता से चलाए जा रहे हैं टीबी मुक्ति अभियान के द्वारा इस रोग से पूरे विश्व को मुक्त कराने का प्रयास किया जा रहा है. हालांकि, जबतक लोगों में इस रोग के प्रति तथा इससे बचाव के प्रति जागरूकता नहीं आएगी तब तक इस प्रयास को सफलता नहीं मिल सकती. उन्होंने कहा कि आज के परिवेश में जब इस रोग का इलाज संभव है तो लोगों को इसका इलाज अवश्य कराना चाहिए साथ ही साथ नियमित रूप से इसकी दवाई भी ली जानी चाहिए. तभी हम इस रोग पर पूरी तरह से नियंत्रण पाते हुए इसे पूरे विश्व से मिटा पाएंगे.
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन परिष्कार संगठन के संयोजक राजू श्रीवास्तव ने किया कार्यक्रम के दौरान शिक्षाविद मुन्ना पांडेय, समाज सेविका लता श्रीवास्तव, मजदूर नेता भरत मिश्रा, बृजनंदन पंडित समेत कई बुद्धिजीवी मौजूद थे.
इसके पूर्व नगर के वीर कुंवर सिंह चौक को लाल रोशनी से जगमग करते हुए टीबी मुक्ति का संकल्प लिया गया इस दौरान प्रसिद्ध चिकित्सक तथा साबित खिदमत फाउंडेशन के संस्थापक डॉ दिलशाद आलम सीबीसी कार्ड के कोऑर्डिनेटर अतुल कुमार नगर थाना अध्यक्ष अविनाश कुमार समेत कई लोग मौजूद थे.
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