Buxar Top News: दुर्भाग्य ! बक्सर को जिले का दर्जा दिलवाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली बेटी को भूला बक्सर..
वही बेटी बक्सर की दो बार विधायक माकपा की टिकट पर चुनी गई, और यह भी उल्लेखनीय योगदान है कि किसी विधायक ने अपने क्षेत्र में पुस्तकालय स्थापित नहीं किया है.
- जिले का दर्जा दिलवाने में पूर्व विधायक एवं महिला आयोग के अध्यक्ष रह चुके मंजू प्रकाश का रहा था प्रमुख योगदान.
- कामरेड ज्योति प्रकाश की याद में बक्सर के स्थापना दिवस की हुई थी घोषणा.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: बक्सर ज़िला की वर्षगाँठ पर सभी अखबारों में ख़बर अटी पड़ी हैं, ज़िला बनने का श्रेय देने वालों की फेहरिस्त छपी हैं.
चूंकि ज़िला का उद्घाटन समारोह में मैं शिरकत किया था और खबरें भी लिखने का मौका मिला था, इसलिए यह जोड़ना उचित समझता हूँ कि ज़िला का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री लालू प्रसाद ने किया था और पूरे कार्यक्रम में तत्कालीन विधायक श्रीमती मंजू प्रकाश का प्रमुख योगदान रहा था और यही कारण है कि जिला का उद्घाटन समारोह 17 मार्च को उनके पिता स्व. ज्योति प्रकाश के शहादत दिवस पर रखा गया था, उसी का विस्तार है ज्योति प्रकाश मेमोरियल पुस्तकालय जिसका साहित्यकार राजेंद्र यादव ने उदघाटन किया था.
पुनश्च, ज्योति प्रकाश की प्रतिमा का अनावरण भी उसी दिन किया गया था, कामरेड हरकिशन सिंह सुरजीत भी श्री लालू प्रसाद जी के साथ आये थे.
ख़बर में उनका उल्लेख जरूरी था.
प्रसंगवश स्व.ज्योति प्रकाश की शहादत पर भी एक बात, ज्योति प्रकाश की हत्या ज़िले की पहली राजनीतिक हत्या थी क्योंकि मारनेवालो को उनसे क्योंकि व्यक्तिगत अदावत नहीं थी, ज्योति प्रकाश की हत्या उनकी बेटी मंजू प्रकाश के सामने ही हंसराज बस जो पटना से भभुआ तक चलती थी, में दिनदहाड़े कृष्णब्रह्म के पास कर दी गयी थी. ज्योति प्रकाश अपनी बेटी का स्नातक की परीक्षा आरा से दिलवाकर बक्सर लौट रहे थे कि सरेराह उनकी हत्या बेटी के सामने गोली मारकर की गई थी, मैं स्वंय वह बस देखा था जो कुछदिन के लिये नगर थाना के सामने खड़ी रहती थी, खिड़कियों पर गोली के निशान से चटकने के निशान तो सीट पर खून के धब्बे थे.
यह एक मिसाल ही है कि वही बेटी बक्सर की दो बार विधायक माकपा की टिकट पर चुनी गई, और यह भी उल्लेखनीय योगदान है कि किसी विधायक ने अपने क्षेत्र में पुस्तकालय स्थापित नहीं किया है, क्योंकि मेरी जानकारी में शाहाबाद में तो कोई विधायक पुस्तकालय शायद ही खुलवाया हो.
यह उनकी शहादत की विनम्र श्रद्धांजलि है.
लेकिन सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात यह है के स्थापना दिवस समारोह तथा अन्य कार्यक्रमों के दौरान भी जिला प्रशासन अथवा आम लोगों को भी शायद जिला बनाने की लडाई में प्रमुखता से शामिल उस बेटी की याद नहीं आई जिसने अपने पिता की शहादत के बावजूद बक्सर को जिला का दर्जा दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
बड़ी सुन्दर ज्ञान
ReplyDeleteधन्यवाद ओझा जी एवं चंद्रकांत भैया को