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Buxar Top News: राष्ट्रीय राजमार्ग-84 को फोर लेन हेतु अधिग्रहण-मुआवजा को लेकर चार दिवसीय शिविर का आयोजन..



शिविर में चार मौजा के किसानो की जमीन की जांच की जा रही है.हर साढ़े तीन किलोमीटर पर शिविर का आयोजन किया जाएगा. इसके अंतर्गत पड़ने वाले जमीन की जांच कर भू-स्वामी को मुआवजा दिया जाएगा

- आपत्ति एवं अविश्वास पर खटखटा सकते हैं प्राधिकार का दरवाजा.

- जमा कागजों को जांच एवं दुरुस्त कर मुआवजे के लिए की गई अनुशंसा.


बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: डुमराँव प्रखंड में आयोजित चार दिवसीय शिविर में राष्ट्रीय राजमार्ग - 84 को फोरलेन में बदलने हेतु किसानों एवं भू-स्वामियों की अधिग्रहित किया गया. 

सांसद अश्विनी कुमार चौबे के द्वारा पिछले दिनों जिलाधिकारी के साथ हुई बैठक के उपरांत इस शिविर का आयोजन किया गया है. शिविर में चार मौजा के किसानों की जमीन की जांच की जा रही है. जांचोपरांत त्रुटिपूर्ण कागजातों को सही किया जा रहा है. साथ ही पारदर्शिता बरतते हुए जिसकी जमीन है. उसी को मुआवजा देने की अनुशंसा की जा रही है.

हर साढ़े तीन किलोमीटर पर शिविर का आयोजन किया जाएगा. इसके अंतर्गत पड़ने वाले जमीन की जांच कर भू-स्वामी को मुआवजा दिया जाएगा.

प्रशासन चाहती है कि साढे़ तीन किलोमीटर का कार्य निपटाने के बाद कंपनी से काम शुरू कर दिया जाएगा.  शिविर लगा के अगले साढे़ तीन  किलोमीटर की जमीन की जांच कर निपटारा करना शुरू किया जाएगा. 

शिविर में ही दावा आपत्ति का भी निपटारा किया जा रहा है. वैसे तो अनुमंडल स्तर पर 42 मौजा मौजूद हैं, जो फोरलेन में पड़ रहा है. फिलहाल 30 मौजा पर काम चल रहा है. 

इस चार दिवसीय शिविर में जो साढ़े तीन किलोमीटर के भीतर कि  रैयत है. उसके कागजातों की जांच की जा रही है. शिविर में चार मौजा चौकियां रामपुर, छतनवार एवं ढकाईच के भू-स्वामी अपने अपने कागजात को लेकर आए हुए थे, साथ ही जिसके कागजात जमा थे उसकी त्रुटि को दूर कर सही किया जा रहा है.

1667 भूस्वामियों का हो चुका है भुगतान:

मिली जानकारी के अनुसार 2828 रैयतों में कुल प्लांटों की संख्या 1524 है. जिसमें 1667 किसानों के भूमि का मुआवजा दिया जा चुका है. अब तक 451 आवेदन डाले जा चुके हैं.

सभी आवेदनों के निपटारे के लिए काम तेजी से किया जा रहा है. भू अर्जन पदाधिकारी का कहना है कि इधर निपटारा होता रहेगा और उधर काम शुरू रहेगा.

दावा आपत्ति के लिए प्राधिकार का भी सरकार ने गठन किया है. शिविर में यदि कोई आपत्ति हो या होने वाले काम पर विश्वास ना हो तो वे पटना स्थित प्राधिकार के शरण में जा सकते हैं.




















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