Buxar Top News: पॉलीथिन मुक्त समाज की दिशा में बढ़ता बक्सर: एक मंच पर आए प्रबुद्धजन ..
यह मानसिकता विकसित करने का दौर है. हम कैसी धरती अपने बाद वालों के लिए छोड़े जा रहे हैं यह विचारणीय है.
- पॉलीथिन मुक्त समाज विषय पर आयोजित हुई विचार गोष्ठी
- प्रबुद्ध जनों ने पॉलिथीन मुक्त समाज बनाने की बताई जरूरत.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: डी सी इम्यूनाइजेशन वेलफेयर सेंटर, रजनीकांत फाउंडेशन, भारत विकास परिषद, तथा रेडक्रॉस सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में दैनिक जागरण के सहयोग से पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक गुरुवार को दिन में तकरीबन दो बजे स्थानीय रेडक्रॉस भवन बक्सर में "पॉलीथिन मुक्त समाज" विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. आज के इस संगोष्ठी में शहर के प्रबुद्ध जन, नगर परिषद के प्रतिनिधिगण, चिकित्सक व्यवसायी, समाजसेवी और पत्रकार उपस्थित रहे और स्किल डेवलपमेंट से जुड़ी छात्राओं ने भी अपनी उत्साहवर्धक भागीदारी की.
कार्यक्रम की अध्यक्षता रेड क्रॉस के अध्यक्ष डॉ आशुतोष सिंह ने की. उक्त अवसर पर पूर्व नगर परिषद अध्यक्षा श्रीमती मीना सिंह, नगर परिषद के कार्यपालक अधिकारी राजीव कुमार सिंह, डॉ. महेंद्र प्रसाद, डॉ हनुमान अग्रवाल, दैनिक जागरण के प्रमुख कंचन किशोर, एवं निशांत सिन्हा, पवननन्दन सरस्वती, रेड क्रॉस के उपाध्यक्ष डॉ शशांक शेखर, सचिव डॉ. श्रवण कुमार तिवारी के साथ साथ चिकित्सक डॉ. कन्हैया मिश्रा, अरविंद कुमार राय ने भी अपने विचार रखे.
स्किल डेवलपमेंट की छात्रा समीक्षा एवं दीक्षा ने अत्यंत मजबूती से अपने विचार रखे. दैनिक जागरण के प्रभारी कंचन किशोर ने कहा कि यह मानसिकता विकसित करने का दौर है. हम कैसी धरती अपने बाद वालों के लिए छोड़े जा रहे हैं यह विचारणीय है.
डॉ महेंद्र प्रसाद ने पॉलीथिन और स्वास्थ्य को जोड़ते हुए काफी सारगर्भित जानकारी प्रदान की.
बक्सर प्रेस क्लब अध्यक्ष डॉ. शशांक शेखर ने उक्त अवसर पर" हम सुधरेंगे, जग सुधरेगा" के तर्ज पर चलने की इच्छा जताई.
रजनीकांत फाउंडेशन के सचिव सतीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि जिस तरह हम दुश्मन देशों से अपनी धरती बचाने की जुगत में लगे हैं उसी प्रकार का युद्ध स्तरीय प्रयास पॉलीथिन के कब्जे में आई धरती को मुक्त करने के लिए करना होगा.
"नवका विहान" संस्था के सचिव श्री अवधेश पाठक ने घर से पॉलीथिन मुक्त होने की शुरुआत पर बल दिया.
डॉ. हनुमान प्रसाद अग्रवाल ने कपड़ों के थैलों पर जोर देते हुए यह कहा कि प्रतीकात्मक तौर पर हम कुछ थैलों को बंटवा कर लोगों में इसके प्रति जागरूकता प्रसारित करने का एक कदम उठाएंगे. साथ ही साथ यह प्रशासनिक सख्ती के भी विषय होगा, ताकि समाज में इस कुप्रथा के विरुद्ध एक माहौल तैयार किया जा सके.
Post a Comment