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Buxar Top News: स्कूली बच्चों ने ली शपथ, नहीं करेंगे स्मार्टफोन तथा सोशल साइट्स का प्रयोग, एसडीएम तथा डीएसपी ने समझाई कानूनी बारीकियां ..

उन्होंने कहा कि यह जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है कि फेक अकाउंट बनाना कानूनी तौर पर गलत है और यह एक अपराध की श्रेणी में आता है.

- फाउंडेशन स्कूल में आयोजित था एक दिवसीय सेमिनार
- प्रशासनिक अधिकारियों ने बच्चों से की अपील, नहीं करें सोशल साइट्स का इस्तेमाल.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: आज के परिवेश में जहां स्मार्टफोन का प्रचलन बढ़ गया है वहीं स्मार्टफोन के गलत इस्तेमाल से समाज में विभिन्न तरह के अपराधिक घटनाओं को बल मिल रहा है. ऐसे में बच्चों को चाहिए कि वे स्मार्टफोंस का केवल आवश्यक उपयोग ही करें. क्योंकि स्मार्टफोन का गलत प्रयोग उन्हें गलत रास्तों पर ले जाएगा जहां से लौटना उनके लिए मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन होगा.

 ये बातें सदर अनुमंडलाधिकारी ने स्थानीय फाउंडेशन स्कूल में आयोजित एक सेमिनार के दौरान कही. उन्होंने कहा कि पेज़र, फीचर फोन के बाद अब स्मार्टफोन ने दुनिया में एक नई क्रांति ला दी है. अब हर वह चीज जो आप चाहे आप को स्मार्ट फोन पर दृश्य हो सकती है. 21 वर्ष की आयु वर्ग से ज्यादा बड़े लोग जो मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं उन्हें स्मार्टफोन के माध्यम से इंटरनेट पर मौजूद अच्छी एवं बुरी चीजों में फर्क करना आता है. लेकिन बच्चे इन चीजों में फर्क नहीं कर पाते. जिसका नतीजा यह होता है कि किशोर उम्र में ही वह अपराध के दलदल में फंसते चले जाते हैं. साथ ही साथ स्मार्टफोन का अत्याधिक इस्तेमाल बच्चों को शारीरिक रूप से कमजोर बना देता है. उन्होंने कहा कि छोटी उम्र में बच्चों को स्मार्ट फोन से काफी दूरी रखनी. चाहिए उन्हें शारीरिक रूप से खेले जाने वाले खेलों में अपनी रुचि बढ़ानी चाहिए, क्योंकि बाल्यावस्था में ही उनका शारीरिक विकास तेजी से होता है. ऐसे में उन्हें अधिकाधिक आउटडोर गेम्स खेलने चाहिए. उन्होंने कहा कि मोबाइल का दुष्परिणाम एक छोटी सी बात से समझा जा सकता है. ज्यादा देर तक मोबाइल इस्तेमाल करने वाले लोगो के आंखों की रोशनी भी कम होने के कई मामले सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों को अत्यंत आवश्यकता पड़ने पर ही स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट कहा कि विद्यार्थियों को फेसबुक अकाउंट की कोई जरूरत है ही नहीं. ऐसा देखने में आता है कि कई विद्यार्थी फेक अकाउंट बनाते हैं और फेक अकाउंट से दूसरों को परेशान करते हैं. उन्होंने कहा कि यह जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है कि फेक अकाउंट बनाना कानूनी तौर पर गलत है और यह एक अपराध की श्रेणी में आता है. उन्होंने कहा कि ऐसा भी देखने में आता है कि एसएमएस या व्हाट्सएप संदेश भेज कर लोगों को परेशान करने की कोशिश की जाती है. ऐसे में या ध्यान देना भी जरूरी है कि इस तरह का कृत्य एक आपराधिक कृत्य माना जाता है.

दूसरी तरफ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरक्षी उपाधीक्षक सतीश कुमार ने कहा कि आज यह देखकर बहुत दुख होता है कि साइबर क्राइम से जुड़े अधिकतर मामलों में किशोरों का नाम सामने आता है. सभी स्कूली बच्चे होते हैं. दरअसल, सोशल साइट्स पर वायरल हर चीज सही नहीं होती. सोशल साइट पर दिखने वाली सामग्री का कैसे इस्तेमाल करना है इसकी जानकारी भी बच्चों को नहीं होती. नतीजा यह होता है कि वे अनजाने में ही कुछ ऐसी गलती कर देते हैं जिससे उनका भविष्य भी खराब हो जाता है. उन्होंने बताया कि कभी-कभी गलत वायरल मैसेज सांप्रदायिक तनाव जैसे माहौल पैदा कर देता है. इसलिए बिना जाने समझे किसी मैसेज को फॉरवर्ड करना भी किसी अपराध से कम नहीं है. उन्होंने भी बच्चों से स्मार्ट फोन का इस्तेमाल ना करने की अपील की.


कार्यक्रम के दौरान प्राचार्य विकास ओझा ने कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकी को जानना तथा उसे अपनाना आवश्यक है. स्मार्टफोन का प्रयोग सकारात्मक कार्यों के लिए किया जाना चाहिए. एक विद्यार्थी को फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम तथा ट्विटर का इस्तेमाल करने की कोई आवश्यकता नहीं है. सभी विद्यार्थी अपना फेसबुक अकाउंट डिलीट करें. सभी अभिभावक भी अपने बच्चों को स्मार्टफोन ना दें. जरूरत पड़ने पर ही अपने सक्षम बच्चों को स्मार्ट फोन का प्रयोग करने दें. मौके पर प्रबंधक एम.के. चौबे समेत विद्यालय परिवार के शिक्षक-शिक्षकाएं तथा कक्षा अष्टम तथा नवम के विद्यार्थी भी मौजूद रहे.

कार्यक्रम के अंत में बच्चों ने शपथ ली कि वे स्मार्ट फोन का प्रयोग नहीं करेंगे. सकारात्मक कार्यों के लिए पड़ने पर माता-पिता की सहमति से इनका इस्तेमाल करेंगे.
























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