बुकिंग काउंटर के पास गिरी दीवारों पर लगी ग्रेनाइट टाइल्स, बाल-बाल बचे यात्री ..
दीवार पर चिपकाए गई मोटी ग्रेनाइट टाइल्स निकल कर गिर गई थी. इस हादसे में टिकट कटाने के लिए लाइन में खड़े एक दो रेल यात्रियों को मामूली चोटें भी आई. गनीमत यह रही कि ग्रेनाइट की मोटी टाइल्स यात्रियों के सिर पर नहीं गिरी जिससे कि एक बड़ी दुर्घटना होते-होते रह गई.
- निर्माण के समय अनियमितता का खामियाजा भुगत रहे लोग.
- खस्ताहाल में है रेल कर्मियों के आवास, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: प्रतिमाह करोड़ों रूपयों का राजस्व वसूलने के बाद भी रेलवे स्टेशन पर यात्री सुविधा नाम की कोई चीज यदि आपको देखने को मिल जाए तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं होती. ट्रेन पकड़ने के दौरान कोच इंडिकेटर से लेकर शुद्ध पेयजल तक के लिए रेलवे स्टेशन पर आए दिन यात्रियों को परेशानी झेलनी नहीं पड़ती है. सबसे बड़ा दुर्भाग्य तो यह है कि करोड़ों रुपए की लागत से बने भवनों के निर्माण के दौरान अनियमितता अब लोगों के जान पर भी भारी पड़ने लगी है.
इसी क्रम में रेलवे स्टेशन के बुकिंग काउंटर के पास उस समय अफरा तफरी का माहौल कायम हो गया जब बुकिंग काउंटर के पास दीवार भरभरा कर गिर गयी. दीवार गिरते हैं वहां अफरा-तफरी का माहौल कायम हो गया और लोग जान बचाकर भागने लगे. दरअसल, दीवार पर चिपकाए गई मोटी ग्रेनाइट टाइल्स निकल कर गिर गई थी. इस हादसे में टिकट कटाने के लिए लाइन में खड़े एक दो रेल यात्रियों को मामूली चोटें भी आई. गनीमत यह रही कि ग्रेनाइट की मोटी टाइल्स यात्रियों के सिर पर नहीं गिरी जिससे कि एक बड़ी दुर्घटना होते-होते रह गई. बताया जा रहा है कि बुकिंग काउंटर निर्माण के दौरान अनियमितता के कारण इस तरह का हादसा सामने आया है बताया जा रहा है कि बुकिंग काउंटर निर्माण के दौरान पहले से अवस्थित कैंटीन की भवन कि केवल छत को बदलकर पुरानी दीवारों पर ही टाइल्स को चिपका दिया गया था. हालांकि, बीच-बीच में नए पिलर लगाए गए थे जिससे कि नई छत को सपोर्ट मिल रहा रहा है. जिससे कि दीवारों पर ज्यादा भार भी नहीं है.
हाल में ही टूट कर गिर गई थी रेलकर्मी के आवास की छत:
पिछली 21 मई को सीआईटी रामेश्वर साह की कि क्वार्टर संख्या 32/बी की छत भरभरा कर गिर गई थी. गनीमत यह रही कि रेलकर्मी की बच्ची उसी वक्त उस जगह से उठकर अपना मोबाइल लाने गई थी. जिसके कारण उसकी जान बच गई. वरना कोई बड़ा हादसा हो सकता था. आश्चर्य की बात तो यह है कि तीन-तीन बार मरम्मति के लिए आवेदन देने के बावजूद उनका भवन नहीं बनाया गया था, तभी यह हादसा सामने आ गया.
इस संदर्भ में आई.ओ.डब्ल्यू. पीके सिंह से बात करने पर उन्होंने बताया कि दीवारें तो पुरानी हैं, लेकिन पिलर नए लगाए गए हैं. करीब 10 वर्ष पूर्व लगाए गए ग्रेनाइट टाइल्स गिर गए हैं. शीघ्र ही उनकी मरम्मत करा दी जाएगी. दूसरी तरफ उन्होंने कहा कि जींद रेल कर्मियों के आवास जर्जर अवस्था में पहुंच गए हैं, वह यदि चाहे तो उन्हें किसी और भवन में शिफ्ट कराया जा सकता है.
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