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किसानों की हकमारी: नियमों की अवहेलना कर बांटे गए हैं कागजों में चल रहे अनुदानित बीज वितरण केंद्र ..

वहीं किसान बीज वितरण केंद्र ढूंढते-ढूंढते परेशान होकर अंततः बाजार से मनमानी कीमत पर बीजों का उठाव करते हैं. अनुदानित दर पर उठाई गई बीजों की भी मनमानी कीमत किसानों को इसलिए चुकानी पड़ती है, क्योंकि महाघोटाले में हर स्तर पर कमीशन का खेल है.

- एक ही परिवार में कई दुकानों का किया गया है आवंटन.
- भ्रष्टाचारियों की बदौलत मनमानी कीमत पर बीज खरीदने को मजबूर हैं किसान.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: किसानों को अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध कराने के लिए जिले में स्थापित किए बीज वितरण केंद्रों के आवंटन में भी महाघोटाले की बात सामने आ रही है. जिससे कि कृषि विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की परतें भी एक-एक कर खुल रही हैं. दरअसल, कृषि विभाग के द्वारा आवंटित दुकानें न सिर्फ कागजों में ही हैं बल्कि, एक ही परिवार में कई दुकानों का आवंटन कर दिया गया है. विश्वस्त सूत्रों की माने तो बीज वितरण केंद्र खोले जाने में जमकर लूटपाट मचाई गई है तथा नियमों के विरुद्ध जाकर एक ही परिवार के विभिन्न सदस्यों के नाम पर अनुदानित बीज वितरण केंद्रों का आवंटन किया गया है. सूत्रों ने यह भी बताया कि कृषि विभाग के वरीय अधिकारियों ने एक-एक केंद्र खोले जाने के लिए रिश्वत के तौर पर मोटी रकम की उगाही की है. जिसके बाद आंख मूंदकर दुकानों का आवंटन किया गया है.

हर स्तर पर है कमीशन का खेल:

बताया जाता है कि भ्रष्टाचारियों कि इस कारस्तानी से किसानों तक अनुदानित कीमत के बीज पहुंचने के बजाय बीज काला बाजार में पहुंच जाते हैं. वहीं किसान बीज वितरण केंद्र ढूंढते-ढूंढते परेशान होकर अंततः बाजार से मनमानी कीमत पर बीजों का उठाव करते हैं. अनुदानित दर पर उठाई गई बीजों की भी मनमानी कीमत किसानों को इसलिए चुकानी पड़ती है, क्योंकि महाघोटाले में हर स्तर पर कमीशन का खेल है. पहले तो दुकानों के आवंटन के नाम पर कमीशन, फिर अनुदानित बीजों के आवंटन के लिए कमीशन. साथ ही साथ बीज वितरण केंद्र की जांच के नाम पर कमीशन.

माल महाराज का मिर्जा खेले होली:

यह कहावत कृषि विभाग के द्वारा चरितार्थ कर दी जा रही है. एक तरफ जहां बिहार सरकार किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए इस तरह की योजना चला रही है वहीं दूसरी तरफ योजना का लाभ किसानों तक पहुंचने से पूर्व ही अधिकारी तथा भ्रष्टाचारी एक साथ मिलकर तथा किसानों का हक मारकर मालामाल हो जा रहे हैं. जिसके कारण सरकार द्वारा भेजी गई अनुदानित कीमत की बीज को ही पुनः किसान को महंगी दर पर खरीदना पड़ रहा है.

जवाब देने से कतरा रहे हैं अधिकारी:

इस संबंध में जब जिला कृषि  पदाधिकारी कृष्णानंद चक्रवर्ती से संपर्क कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने यह कह कर बात करने से इंकार कर दिया कि वह भी किसी कार्यक्रम में हैं 1 दिन के बाद फोन करने पर भी उनका जवाब यही था.









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