एनडीए के नोट तंत्र के सामने हार गया लोकतंत्र - अनिल कुमार
डुमराँव में मेडिकल कॉलेज खोले जाने की बात पर उन्होंने कहा कि शिलान्यास होना अथवा भवन बनना अलग बात है, लेकिन उनमें सुविधाओं का होना अलग बात है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की उनके पुरानी मांग तब तक जारी रहेगी जब तक स्वास्थ्य सेवाओं में पूरी तरह सुधार न हो जाए
- प्रेस वार्ता कर एनडीए पर लगाए संगीन आरोप.
- कहा, मतदान की पूर्व संध्या पर जमकर बांटे गए रुपये.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: लोकसभा चुनाव में एनडीए ने जमकर रुपयों का प्रयोग वोट ख़रीदने के लिए किया है. जिसके कारण एक बार फिर नोट तंत्र के आगे लोकतंत्र हार गया. यह कहना है जनतांत्रिक विकास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार का. लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद जनतांत्रिक विकास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार ने प्रेस वार्ता कर अपनी हार का दोष एनडीए पर ही थोप दिया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के बक्सर प्रत्याशी अश्विनी कुमार चौबे के द्वारा चुनाव के 1 दिन पूर्व जमकर पैसे बांटे गए, जिसके कारण जिन गांव में अश्विनी चौबे का जमकर विरोध हो रहा था उन गांवों में भी उन्हें वोट मिले हैं. उन्होंने कहा कि वोट के ठेकेदारों ने पैसे लेकर श्री चौबे को वोट दिलवाया. आश्चर्य की बात तो यह रही कि इस पर जिला प्रशासन तथा चुनाव आयोग ने इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया.
अनिल कुमार ने कहा कि चुनाव के दौरान बक्सर के 215 पंचायतों में भ्रमण करने के बाद जनता का समर्थन उनके साथ था. ऐसे में अश्विनी चौबे की जीत का गणित उन्हें समझ में नहीं आ रहा. अनिल कुमार ने कहा कि चुनाव के बाद भी वह बक्सर की जनता के बीच में रहेंगे. उन्होंने कहा कि जनतांत्रिक विकास पार्टी अपने सभी मुद्दों पर यथावत आंदोलन जारी रखेगी. साथ ही शाहबाद के विकास के लिए भी लगातार प्रयास जारी रहेगा.
डुमराँव में मेडिकल कॉलेज खोले जाने की बात पर उन्होंने कहा कि शिलान्यास होना अथवा भवन बनना अलग बात है, लेकिन उनमें सुविधाओं का होना अलग बात है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की उनके पुरानी मांग तब तक जारी रहेगी जब तक स्वास्थ्य सेवाओं में पूरी तरह सुधार न हो जाए. उन्होंने कहा कि भाजपा हमेशा स्वार्थ की राजनीति करता है. चुनाव प्रचार के दौरान जहां भाजपा नेताओं द्वारा बार-बार पुलवामा शहीदों की चर्चा कर उनके नाम पर लोगों में राष्ट्रवाद जगा कर वोट माँगा जा रहा था. वहीं, प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में शहीदों के परिजनों को बुलाया तक नहीं गया.
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