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वीडियो: भगवान भरोसे है व्यवहार न्यायालय की सुरक्षा, भय के साए में जी रहे अधिवक्ता ..

स्थिति यह थी कि जहां मुख्य द्वार पर मामूली रोक-टोक के बाद लोग आ जा रहे थे. वहीं, दूसरी तरफ पिछले गेट पर अकेला खड़ा सैप का जवान किसी को रोकने की स्थिति में भी नहीं था. नतीजा यह था कि लोग आराम से न्यायालय परिसर में प्रवेश कर रहे थे.


-  सुरक्षाकर्मी नदारद, खराब है मेटल डिटेक्टर.
- दानापुर में हुई हत्या के बाद भी नहीं जागा प्रशासन.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: दानापुर में अपराधियों द्वारा भागने के क्रम में सिपाही की गोली मारकर हत्या के बाद सूबे के सभी न्यायालयों की सुरक्षा पर सवाल उठना लाजमी है. सुरक्षा की स्थिति जानने के लिए जब हम व्यवहार न्यायालय में पहुंचे तो सुरक्षा के प्रति काफी असंवेदनशीलता देखने को मिली.  पुलिसकर्मी जहां ड्यूटी से गायब दिखे, वहीं मेटल डिटेक्टर भी खराब दिखाई दिया. इस संबंध में अधिवक्ताओं से बात करने पर उन्होंने भयभीत होकर कार्य करने की बात की.

ड्यूटी से गायब दिखे सुरक्षाकर्मी, बेरोकटोक प्रवेश था जारी:

मुख्य द्वार पर कुर्सी पर बैठे सुरक्षाकर्मी छाता लेकर स्वयं बारिश से बचने के प्रयास में लगे हुए थे, वहीं पिछले द्वार पर पर ड्यूटी में तैनात तीन बिहार पुलिस तथा दो सैप के जवानों में केवल एक सैप जवान नजर आए पूछने पर मालूम चला कि बाकी 3 पुरुष व एक महिला सुरक्षाकर्मी कहीं जलपान वगैरह के लिए गए हुए हैं. स्थिति यह थी कि जहां मुख्य द्वार पर मामूली रोक-टोक के बाद लोग आ जा रहे थे. वहीं, दूसरी तरफ पिछले गेट पर अकेला खड़ा सैप का जवान किसी को रोकने की स्थिति में भी नहीं था. नतीजा यह था कि लोग आराम से न्यायालय परिसर में प्रवेश कर रहे थे.

सुरक्षा को लगाए गए हैं 100 से ज्यादा कैमरे:

न्यायालय परिसर में सुरक्षा को लेकर 100 से ज्यादा कैमरे लगाए गए हैं जो कि न्यायालय के चप्पे-चप्पे पर नजर रखे हुए हैं. बताया जा रहा है कि बेल्ट्रॉन के द्वारा लगाए गए यह कैमरे बेहतर ढंग से काम कर रहे हैं. कैमरे पर नजर रखने के लिए एक तरफ जहां एक अलग डिस्प्ले रूम बनाया गया है. वहीं, दूसरी तरफ जिला एवं सत्र न्यायाधीश के चेंबर में भी डिस्प्ले लगाया गया है. ताकि, वह स्वयं न्यायालय परिसर में होने वाली हर गतिविधि को देख सकें.

खराब पड़ा है न्यायालय में लगा मेटल डिटेक्टर:

न्यायालय के भीतरी भवन में प्रवेश करने के लिए लगाया गया मेटल डिटेक्टर अब बिल्कुल ही खराब हो चुका है. कई दिनों से बंद मेटल डिटेक्टर के बारे में किसी न्यायिक पदाधिकारी को भी कोई सूचना नहीं दी गई है. ऐसे में न्यायालय की मुख्य बिल्डिंग भी असुरक्षित हो गई है. संभव है कि कोई अपराधी किसी प्रकार का आग्नेयास्त्र लेकर प्रवेश कर जाए.

बक्सर कोर्ट में भी हुई थी हत्या:

8 मई 2014 में व्यवहार न्यायालय में भी अब बाइक सवार अपराधियों ने अंधाधुंध गोलीबारी कर जेल से पेशी के लिए लाए गए एक कैदी कमलेश यादव की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस हमले से अधिवक्ताओं के बीच दहशत का माहौल कायम हो गया था. वहीं न्यायालय परिसर से पुलिसकर्मी को गोली मारकर को चकमा देकर कुख्यात अपराधकर्मी शेरू सिंह भी भाग गया था. बताया जा रहा है कि इन घटनाओं के बाद न्यायालय परिसर की सुरक्षा के प्रति चिंता जगी थी. लेकिन, यह चिंता ज्यादा समय तक नहीं रही. हालांकि, परिसर की चहारदीवारी तो ऊंची कराई गई है. लेकिन सुरक्षा को लेकर उदासीनता कहीं ना कहीं व्यवस्था की पोल खोलती नजर आती है. 

डर-डर कर काम करते हैं अधिवक्ता: 

अधिवक्ता गणेश ठाकुर, विनोद मिश्रा, दयासागर पांडेय, उमेश सिंह, रामनाथ ठाकुर, सूबेदार पांडेय समेत कई अधिवक्ताओं ने एक स्वर में बताया कि हालात यह है कि न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं को डर-डर कर काम करना पड़ता है, कि कब कोई गोली उन्हें आकर लग जाए.

एसडीपीओ ने कहा होगी कार्रवाई:

सुरक्षा को लेकर न्यायालय परिसर तथा दोनों द्वारों पर पुलिसकर्मी तथा सैप जवानों की तैनाती की गई है. ड्यूटी के दौरान कोई भी सुरक्षाकर्मी यदि अपनी जगह से अनुपस्थित पाया जाता है तो उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

सतीश कुमार
एसडीपीओ, बक्सर

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