अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने आयोजित की विचार गोष्ठी ..
कहा कि गुरु राष्ट्र के लिए उतना ही जरूरी है जितना कि जीवन के लिए पानी. जिस तरह विश्वामित्र ने राम को, चाणक्य ने चंद्रगुप्त को दीक्षा देकर राष्ट्र खंडित होने से बचाया, उसी तरह आज भी गुरु अपने शिष्यों को गुणवान बना सकते हैं.
- विचार गोष्ठी में गुरु की महत्ता पर डाला गया प्रकाश
- वक्ताओं ने कहा, पानी की तरह आवश्यक है गुरु.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: अखिल भारतीय साहित्य परिषद की ब्रह्मपुर इकाई के द्वारा गुरु पूर्णिमा के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान गुरु व्यास मुनि एवं भारत माता की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया.
मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद परिषद के केंद्रीय सदस्य रविंद्र शाहाबादी ने कहा कि गुरु राष्ट्र के लिए उतना ही जरूरी है जितना कि जीवन के लिए पानी. जिस तरह विश्वामित्र ने राम को, चाणक्य ने चंद्रगुप्त को दीक्षा देकर राष्ट्र खंडित होने से बचाया, उसी तरह आज भी गुरु अपने शिष्यों को गुणवान बना सकते हैं. मुख्य वक्ता डॉ. कमल सिंह "अमोरजा" ने कहा कि शिष्यों को संस्कार की सीख लेनी चाहिए. विशिष्ट अतिथि जितेंद्र कुमार ने कहा कि गुरु सदैव देने वाला होता है. परिषद के महामंत्री राम निवास वर्मा ने गुरु और शिष्य के संबंध पर स्वरचित कविता का पाठ किया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता के क्रम में परिषद के संचालक शिव जी पांडेय अपने माता-पिता को असली गुरु बताया. संचालन के क्रम में परिषद के स्थानीय अध्यक्ष रमेश ओझा राही ने गुरु की खासियत बताते हुए कहा कि "गुरु गुण गुड़ के जैसा, ग्रहण करे जो मिले मिठास, करे प्रकाश सूर्य के जैसा, जीवन में करत कुछ खास."
अन्य वक्ताओं में प्रियंका कुमारी, शिव मोहन पांडेय, सच्चिदानंद तिवारी, राज वर्मा समेत परिषद के कई सदस्य मौजूद रहे.
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