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आखिर क्यों चल रहा था खराब गेंहू के एडजस्टमेंट का खेल ..

वहाँ से बक्सर आने में तकरीबन तीन से पाँच दिन का समय लगता है. वहीं, जानकार बताते हैं कि, भंडारण के दौरान सल्फास की गोलियां गेंहू के बीच रखी होती हैं. ऐसे में गेंहू का इतने कम समय मे खराब होना संभव नहीं है.

- मामला सामने आने के बाद किया जा रहा है खाद्यान का उपचार.
- क्वालिटी की जांच के लिए बक्सर पहुंचेंगे खाद्य निगम के वरीय पदाधिकारी.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: भारतीय खाद्य निगम के बक्सर गोदाम में पंजाब से भेजा गया 13 हज़ार क्विंटल गेहूं दरअसल, खाद्य निगम की नाकामी को छिपाने की कोशिश के मद्देनजर भेजा गया था. आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पंजाब के मोगा से भेजा गया गेहूं पंजाब में ही उचित भंडारण नहीं होने के कारण गेंहू खराब हो गया था. ऐसे में अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए अधिकारियों ने इसे बिहार में एडजस्ट करने की बात सोची और 22 वैगनों में भरा 26 हज़ार क्विंटल गेहूं बक्सर के डिपो में भेज दिया. हालांकि, इसमें केवल आधा गेहूं ही खराब था. माना जा रहा है कि, ऐसा इसलिए किया गया ताकि, गेंहू क्वालिटी टेस्ट में नहीं फंसे. हालांकि, बक्सर के डिपो मैनेजर संजय कुमार का कहना है कि, गेंहू रास्ते में भी बारिश से खराब हो सकता है.

तीन से पाँच दिनों में बक्सर पहुँचता है गेँहू:

डिपो मैनेजर संजय कुमार के मुताबिक, पंजाब से हमेशा गेंहू आता है लेकिन, वह खराब नहीं होता. वहाँ से बक्सर आने में तकरीबन तीन से पाँच दिन का समय लगता है. वहीं, जानकार बताते हैं कि, भंडारण के दौरान सल्फास की गोलियां गेंहू के बीच रखी होती हैं. ऐसे में गेंहू का इतने कम समय मे खराब होना संभव नहीं है. ऐसे में डिपो मैनेजर के इस जवाब को संतोषप्रद नहीं माना जा सकता.

खराब गेंहू का किया जा रहा है उपचार: 

मैनेजर ने बताया कि, मामले से जहाँ पंजाब के खाद्य निगम के डिपो मैनेजर को सूचित कर दिया गया है. वहीं, इस मामले से निगम के वरीय अधिकारियों को भी अवगत करा दिया गया है. उन्होंने बताया कि, प्रभावित गेहूं को ठीक करने के लिए उसमें सल्फास की गोलियां तथा पाउडर डालकर उसका उपचार किया जा रहा है. जब गेहूं ठीक हो जाएगा तो ही उसे एसएससी को दिया जाएगा. इस बीच वरीय अधिकारी तथा क्वालिटी कंट्रोल  के अधिकारी भी गेहूं की जांच करेंगे. हालांकि जो गेहूं खराब हो गया है उसे दवाओं से ठीक करना की बात गले नहीं उतर रही.

क्वालिटी कंट्रोल अधिकारी की भूमिका पर उठ रहे सवाल:

खाद्य निगम के डिपो में देश के किसी भी भाग से जब कोई भी खाद्यान्न आता है तो क्वालिटी कंट्रोल अधिकारी उसकी जांच करते हैं. जिसके बाद ही उसे वैगन से उतारा जाता है लेकिन, आश्चर्य की बात है. क्वालिटी टेस्ट में गेहूं को बेहतर बता दिया गया जिसके बाद उसे उतारा गया.

पीडीएस दुकानदारों ने कहा, अधिकारियों के डर से रहना पड़ता है चुप:

फेयर प्राइस डीलर्स एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष डॉ. मनोज यादव का कहना है कि, इतनी अधिक मात्रा में खराब गेंहू का आना कहीं ना कहीं किसी बड़ी साजिश का संकेत है. बाद में इसी को एसएफसी के माध्यम से डीलरों में बाँट दिया जाता. उन्होंने कहा कि, अक्सर डीलरों को खाद्यान्न में कुछ खराब खाद्यान्न मिल जाता है. लेकिन, अधिकारियों के भय के कारण डीलर कुछ भी नहीं बोल पाते.













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