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पंचतत्व में विलीन हुए डुमरांव रियासत के महाराज कमल सिंह, बड़े पुत्र चंद्र विजय सिंह ने दी मुखाग्नि ..

बड़े युवराज का यह फैसला महाराज के प्रति उनके अथाह प्रेम तथा एक पुत्र का अपने पिता के प्रति बड़ी श्रद्धा और आदर का परिचायक है. उन्होंने कहा कि श्राद्ध शब्द ही श्रद्धा से बनी है. इसलिए श्राद्धकर्म श्रद्धा के साथ ही करना चाहिए.

- युवराज चन्द्र विजय सिंह ने ली लग्गी, पूरा करेंगे श्राद्धकर्म
- राजशाही परंपरा से हटकर किया जा रहा श्राद्धकर्म

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: डुमरांव महाराजा कमल सिंह का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनको बक्सर स्थित चरित्र वन श्मशान घाट पर अंतिम विदाई दी गई. महाराज को मुखाग्नि उनके बड़े पुत्र युवराज चंद्र विजय सिंह ने दी.

 इस दौरान महाराज को गॉड ऑफ ऑनर भी दिया गया. इसके पूर्व डुमरांव से निकली अंतिम यात्रा में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए महाराज के पार्थिव शरीर पर कई जगह पर पुष्प वर्षा की गई तथा कई लोगों ने रास्ते में ही माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया. 


महाराज के अंतिम यात्रा में शामिल लोगों ने महाराज कमल सिंह अमर रहे के नारों से नगर को गुंजायमान कर दिया. महाराज की अंतिम यात्रा को लेकर नगर में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे.

 अंतिम यात्रा में सुरक्षा के इंतजामों को देखते हुए एसडीपीओ कृष्ण कुमार सिंह तथा एसडीओ हरेंद्र राम बक्सर तक पहुंचे. श्मशान घाट पर जिलाधिकारी राघवेंद्र सिंह, आरक्षी अधीक्षक उपेंद्र नाथ वर्मा तथा अनुमंडल पदाधिकारी कृष्ण कुमार उपाध्याय के साथ-साथ व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए गए थे.

अंतिम यात्रा में शामिल होने पहुंचे कई चर्चित चेहरे:

डुमराँव रियासत के महाराज कमल सिंह के अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए केवल शाहाबाद से ही नहीं बल्कि देश-विदेश के कई चर्चित चेहरे पहुंचे थे. राजपरिवार के सदस्यों में युवराज चंद्रविजय सिंह, मानविजय सिंह, तथा शिवांग विजय सिंह, राज सिंह, राजेश राज, ऋषभ राज, सुमेर सिंह, समृत सिंह के साथ ही सांसद सह केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे जहां श्मशान घाट पर महाराज के अंत्येष्टि के समय उपस्थित थे.

वहीं, दूसरी तरफ उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए बिहार सरकार की तरफ से मंत्री जयकुमार सिंह पहुंचे थे. इसके साथ ही जदयू के प्रतिनिधि के तौर पर पूर्व प्रदेश महासचिव छोटू सिंह के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह, जमानिया विधायक सुनीता सिंह के अतिरिक्त चौगाईं राजशाही के रणजीत सिंह राणा, पूर्व जिला परिषद सदस्य कतवारु सिंह, बिक्रमगंज से पहुंचे वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश सिंह, पूर्व बीडीसी दीनू सिंह, जदयू के वरिष्ठ नेता रामबिहारी सिंह, आरा के पूर्व विधायक अमरेंद्र प्रताप सिंह, पूर्व एमएलसी हरेंद्र प्रताप, प्रदेश महासचिव शैलेंद्र प्रताप सिंह, सदर विधायक संजय कुमार तिवारी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बलराज ठाकुर, जदयू के सीनेट सदस्य डॉ. विनोद कुमार सिंह के अतिरिक्त राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह तथा उनके पुत्र भी श्मशान घर पर मौजूद थे. 


इसके अतिरिक्त प्रोफेसर सुभाष चंद्र शेखर चितरंजन सिंह, प्रोफेसर डी.के.सिंह, मिथिलेश सिंह, जदयू जिलाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह, समाजसेवी टीपू सिंह, कुँवर कमलेश सिंह, पप्पू सिंह, संजय सिंह राजनेता, टीएन चौबे, सत्यदेव प्रसाद, विमल सिंह केदारनाथ तिवारी, पिंकी पाठक, प्रदीप राय, भाजपा जिला अध्यक्ष माधुरी कुंवर, मयूर सिंह, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सी.एम.सिंह, डॉ. महेंद्र प्रसाद, प्रेस क्लब के अध्यक्ष डॉ. शशांक शेखर, ग्रामीण बैंक के प्रबंधक धनंजय सिंह, प्रदीप दूबे, अरविंद प्रताप शाही, जैन कॉलेज के पूर्व प्राचार्य एससी साहा, कृषि कॉलेज के प्राचार्य अजय राय, डुमरांव के अजीत सिंह, अजीत चौधरी, सामाजिक कार्यकर्ता जितेंद्र मिश्रा, रेडक्रॉस अध्यक्ष डॉ. आशुतोष सिंह, सचिव डॉ.श्रवण तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. हनुमान प्रसाद अग्रवाल समेत कई लोग मौजूद थे.


राजशाही परंपरा से अलग हटकर होगा श्राद्ध कर्म:

महाराज का श्राद्ध कर्म राजशाही परंपरा से अलग हटकर होगा. यह पहला मौका होगा, जब डुमरांव राजघराने के किसी व्यक्ति के निधन पर लग्गी लेने की परंपरा तथा श्राद्धकर्म की पूरी पद्धति को राजघराने के किसी व्यक्ति द्वारा किया जाएगा. इसकी पहल महाराजा कमल बहादुर सिंह के बड़े पुत्र युवराज चंद्र विजय सिंह ने की है. उन्होंने अपने पिता के निधन के बाद न सिर्फ पिंडदान और मुखाग्नि की परंपरा को पूरा करने की ठानी है. बल्कि, 13 दिनों तक चलनेवाले श्राद्धकर्म तथा लग्गी लेकर जल देने की प्राचीन परंपरा का निर्वहन स्वयं करने का निर्णय लेकर सबको चौंका दिया है.

 अपने पिता के सद्गति के लिए यह एक पुत्र का परम कर्तव्य माना जाता है. युवराज चंद्र विजय सिंह ने अपने पिता के श्राद्ध कर्म स्वयं करने का फैसला लेकर अपने पिता के प्रति अथाह प्रेम और श्रद्धा को भी परिलक्षित किया है. इससे पूर्व डुमरांव के राजशाही परंपरा में किसी के निधन पर श्राद्ध कर्म की प्रक्रिया को दूसरे के द्वारा पूरा करने की प्राचीन परंपरा रही है. राजघराने से जुड़े शिवजी पाठक का कहना है कि डुमरांव राजघराने के लिए उदय सिंह का परिवार इस कार्य के लिए नियुक्त था. किसी के निधन पर उन्हीं के द्वारा श्राद्ध कर्म की प्रक्रिया पूरी की जाती थी. 13 दिन लग्गी लेकर घंट के सहारे जल अर्पित किया जाता था. इससे पूर्व राजघराने में जब भी किसी का निधन हुआ है तो उदय सिंह द्वारा  इस परंपरा का बखूबी निर्वहन किया गया है. महाराज कमल बहादुर सिंह के बाद यह सवाल सबकी जेहन में तैर रहा था कि महाराज कमल सिंह अपने आपमें एक ऐसी शख्सियत थे. जो खुद को कभी बहुत ऊंचा महसूस होने नहीं देते थे. ऐसे में सवाल यह था की उनका अंतिम संस्कार तथा श्राद्धकर्म की विधि क्या होगी. लेकिन, सोमवार को तड़के युवराज चंद्र विजय सिंह ने यह चौंकाने वाला निर्णय लिया. उन्होंने राजघराने के लोगों को बता दिया कि, महाराजा बहादुर कमल सिंह का श्राद्धकर्म परंपरा और राजशाही व्यवस्था से अलग होगा. वरिष्ठ पत्रकार शिवजी पाठक, शिक्षाविद् ब्रह्मा पांडेय आदि का कहना है कि, बड़े युवराज का यह फैसला महाराज के प्रति उनके अथाह प्रेम तथा एक पुत्र का अपने पिता के प्रति बड़ी श्रद्धा और आदर का परिचायक है. उन्होंने कहा कि श्राद्ध शब्द ही श्रद्धा से बनी है. इसलिए श्राद्धकर्म श्रद्धा के साथ ही करना चाहिए.
डोम राजा ने मांगे साढ़े पांच लाख रुपये व एक बीघा जमीन

डुमराँव महाराज कमल सिंह के अंतिम संस्कार के लिए दस मन आम एक मन देवदार के साथ-साथ 21 किलो चंदन की लकड़ी का प्रयोग किया गया. वहीं, मौके पर ब्राह्मण देवता पोंगा पंडित ने यथोचित दक्षिणा की मांग की. वहीं, डोम राजा सुखारी ने 5 लाख 51 हज़ार रुपये तथा एक बीघे खेत की मांग कर दी. बताया जा रहा है कि, बाद में उन्हें परंपरा के मुताबिक गुप्त दान दिया गया. जिसके बाद उन्होंने महाराज की जय-जयकार करते हुए उन्हें स्वर्ग में स्थान मिलने की कामना की.



















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