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वीडियो: डुमरांव राजशाही परंपरा के स्वर्णिम अध्याय का हुआ अंत - रणजीत सिंह राणा

आज डुमरांव रियासत के भी एक स्वर्णिम अध्याय का अंत हो गया. उन्होंने बताया कि महाराज कमल सिंह उनके बड़े भाई थे तथा उनके व्यक्तित्व की यह विशेषता थी कि, उन्होंने कभी भी शानो-शौकत तथा विलासिता का जीवन पसंद नहीं किया. वह सादगी तथा प्रेम के प्रतिमूर्ति थे. उनकी कमी हमेशा खलेगी.

- अकबर के शासन काल में मध्य प्रदेश से शाहाबाद क्षेत्र में पहुंचे थे तीन भाई, तीन राजघरानों की हुई थी स्थापना
- बोले चौगाईं नरेश राजा होते हुए भी कभी नहीं रखी राजशाही जीते थे किसानों का जीवन.

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बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: "डुमराँव महाराज कमल सिंह के पंचतत्व में विलीन होने के साथ ही डुमराँव राजशाही परंपरा के स्वर्णिम अध्याय का अंत हो गया। वह डुमराँव रियासत के आखिरी महाराज थे. हालांकि, वह कभी राजशाही में नहीं रहे वह एक आम किसान की तरह ही लोगों से मिलते जुलते तथा व्यवहार करते थे." यह बातें चौगाईं स्टेट के रणजीत सिंह राणा ने कही उन्होंने बताया कि, अकबर के समय में जब वे लोग मध्य प्रदेश से बिहार पहुंचे थे तो डुमराँव चौगाईं तथा जगदीशपुर तीन रियासतों की स्थापना की गई थी. जिसमें जगदीशपुर रियासत तो पूर्व में ही खत्म हो गई है. आज डुमरांव रियासत के भी एक स्वर्णिम अध्याय का अंत हो गया. उन्होंने बताया कि महाराज कमल सिंह उनके बड़े भाई थे तथा उनके व्यक्तित्व की यह विशेषता थी कि, उन्होंने कभी भी शानो-शौकत तथा विलासिता का जीवन पसंद नहीं किया. वह सादगी तथा प्रेम के प्रतिमूर्ति थे. उनकी कमी हमेशा खलेगी.


















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