Buxar Top News: छात्रवृति घोटाला: बक्सर के 50 छात्रों से निगरानी की तीसरी बार पूछताछ, अधिकारियों में हड़कंप ...
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: वित्तीय वर्ष 14-15 व 15-16 में छात्रवृत्ति के नाम पर जिले में हुए दो करोड़ रुपये के घोटाले में निगरानी ने अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. निगरानी ब्यूरो ने छह जून को जिले के करीब 50 छात्रों से पूछताछ की है. इसके पूर्व मार्च में भी पूछताछ की गयी थी. पूछताछ से लौटे छात्रों की मानें, तो निगरानी ने सख्ती बरतने के संकेत दिये हैं. एक छात्र ने बताया कि निगरानी के डीएसपी रमेश कुमार मल्ल ने आवश्यक पूछताछ की.
इसके लिए लाभुक छात्रों को निगरानी विभाग ने पत्र भेजा था. बताया जा रहा है कि निगरानी ब्यूरो, पटना में सुनवाई की तारीख पर नहीं पहुंचनेवालों पर निगरानी ने कार्रवाई की बात कही थी, जिसके बाद छात्र निगरानी ब्यूरो पहुंचे थे. ब्यूरो से लौटे छात्रों ने मामले से अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई किये जाने के संकेत दिये हैं. इस सूचना से जिले के शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है. जांच की जद में कई ओहदेदार भी आयेंगे.
नियम विरुद्ध फर्जी नामों से खोले थे बैंक अकाउंट : पिछड़े व दलित बच्चों का हक लूटने के लिए फर्जी नामों से स्कूल के एकाउंट खोले गये थे. इसमें कल्याण विभाग के अधिकारी पर भी गाज गिर चुकी है. नियमों के विरुद्ध विभाग का एकाउंट निजी बैंक में खोला गया था और बाद में उसी एकाउंट से घोटाले की रकम फर्जी स्कूलों के नाम पर ट्रांसफर की गयी थी.
इससे संबंधित केनरा, विजया, एक्सिस व सेंट्रल बैंक के तत्कालीन बैंक प्रबंधक समेत जिला कल्याण पदाधिकारी व जिला कार्यक्रम पदाधिकारी लेखा व योजना से स्पष्टीकरण मांगा गया था. जिला कल्याण पदाधिकारी समेत 19 लोगों पर एफआइआर दर्ज की गयी थी. अब तक दो लोग जेल भी जा चुके हैं. डीएम रमण कुमार द्वारा डीडीसी की अध्यक्षता में गठित जांच समिति द्वारा रिपोर्ट सौंपने के बाद अनियमितता पाए जाने पर कल्याण विभाग के तत्कालीन लिपिक समेत फर्जी विद्यालय और इन विद्यालयों का संचालन कर रही एजेंसी के लोगों पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी.
ऐसे हुआ था घोटाले का खेल : जिले में छात्रवृत्ति के नाम पर हुए फर्जीवाड़े में सबकुछ फर्जी तरीके से किया गया था. जिन विद्यालयों के नाम पर छात्रवृत्ति की राशि बांटी गयी, वे विद्यालय धरातल पर थे ही नहीं. इन फर्जी विद्यालयों के संचालक का खाता तक बैंक में मौजूद था. बकायदे बच्चों के नाम भी दर्ज थे, जिनके नाम पर पैसों का आवंटन मंगाया गया है. उसी सूची के आधार पर छात्रों से निगरानी के अधिकारियों ने पूछताछ करनी शुरू की है.
निजी बैंक के जरिये हुआ था भुगतान : निगरानी की जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि समाज कल्याण विभाग के खाते निजी बैंक से संचालित हो रहे थे और इसी के माध्यम से फर्जी स्कूलों के नाम पर भुगतान हुआ था. फर्जी स्कूलों ने अपने फर्जी खाते केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक व विजया बैंक में खोले थे. जांच में पता चला था कि सभी स्कूलों के प्रस्तावकों के नाम एक लेकिन, प्राचार्य के नाम अलग-अलग थे, जिससे जाहिर है कि पूरे सुनियोजित तरीके से घोटाले की साजिश रची गयी.
इन फर्जी स्कूलों के नाम आवंटित हुई थी राशि
किशोरी सिन्हा बालिका उच्च विद्यालय इटाढ़ी 320400
किशोरी उच्च विद्यालय तियरा 3987000
सीताराम केताकि उच्च विद्यालय रौनी 2948300
लक्ष्मी उच्च विद्यालय नगवार सिकरौल 3059000
सूर्य नारायण उच्च विद्यालय रहथुआ 2827800
देवकीनंदन उच्च विद्यालय जमौली 2327400
केताकि मेमोरियल उच्च विद्यालय तियरा 2002500
किशोरी सिन्हा बालिका उच्च विद्यालय बक्सर 1869600
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