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सिय-पिय मिलन महोत्सव: महर्षि विश्वामित्र के साथ जनकपुर पहुंचे श्री राम लक्ष्मण, .. आज मनमोहक फुलवारी प्रसंग ..

राजा हरिशचंद्र सत्य का पालन करते हैं. जिनके प्रभाव से इंद्र का सिंहासन हिलने लगता है. जिसके कारण इंद्र ने राजा के सत्य के पथ से हटाने के लिए महर्षि विश्वामित्र को भेजा. महर्षि विश्वामित्र नाना प्रकार से राजा की परीक्षा लेते है. लेकिन, वह सत्य का मार्ग नहीं छोड़ते. 

  •   -अनेकों कष्ट प्राप्त करने के बावजूद राजा हरिश्चंद्र ने नहीं छोड़ा सत्य का पथ.
  • सुंदर राजकुमारों को देखकर हर्षित हुए जनकपुर वासी.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सिय-पिय मिलन महोत्सव महर्षि खाकी बाबा सरकार के 50 वें निर्वाण दिवस के अवसर पर सीता राम विवाह स्थल पर कार्यक्रम के दौरान सुबह से ही कार्यक्रमों का आयोजन लगातार जारी रहा. सुबह से ही आश्रम परिसर स्थित राम जानकी मंदिर में श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना शुरू कर दिया. कार्यक्रम स्थल पर भक्ति की रसधार पूजन-अर्चन के साथ ही बहनी शुरु हो गयी. कार्यक्रम पूजा अर्चना के बाद सुबह रामचरितमानस का सामूहिक नावाह परायण पाठ से शुरू हुआ. उसके बाद पूरे दिन कार्यक्रमों का दौर चलता रहा और देर रात रामलीला के मंचन के साथ ही विराम हुआ. दोपहर में मिथिला के श्री विश्वनाथ शुक्ला श्रृंगारी जी के द्वारा झांकी एवं पदगायन किया गया. दिन में रासलीला, पदगायन, भक्तमाल कथा कथा रामलीला मंचन का लाभ पूरे दिन तथा देर रात तक श्रद्धालु उठाते रहे. विवाह की तिथि निकट होने के साथ ही दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है.

अनेकों कष्ट आने के बाद भी सत्य का मार्ग नहीं छोड़ते राजा हरिश्चंद्र:

रासलीला में वृंदावन की श्री राधा कृपा रासलीला संस्थान के द्वारा फतेह कृष्ण शर्मा के निर्देशन में राजा हरिश्चंद्र का भव्य मंचन किया गया. राजा हरिश्चंद्र की भूमिका में रमेश चंद्र शर्मा ने अभिनय किया वही तारावती की भूमिका रोहित ने निभाई विश्वामित्र की भूमिका में रामवीर शर्मा तथा वशिष्ठ की भूमिका में बच्चू राम शर्मा रहे. साथ ही राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहित की भूमिका विष्णु शर्मा तथा चांडाल की भूमिका में निरंजन शर्मा एवं सत्यदेव जी की भूमिका में लखन शर्मा रहे. धर्मदेव जी की भूमिका में वीरेंद्र शर्मा तथा नारद जी की भूमिका में देव राम शर्मा एवं लक्ष्मी जी की भूमिका में नृत्य गोपाल शर्मा और दरिद्र नारायण की भूमिका में रघुवर प्रसाद नजर आए.

प्रसंग में यह दिखाया गया कि, अयोध्या के सूर्यवंश के इक्ष्वाकुवंशी राजा हरिशचंद्र सत्य का पालन करते हैं. जिनके प्रभाव से इंद्र का सिंहासन हिलने लगता है. जिसके कारण इंद्र ने राजा के सत्य के पथ से हटाने के लिए महर्षि विश्वामित्र को भेजा. महर्षि विश्वामित्र नाना प्रकार से राजा की परीक्षा लेते है. लेकिन, वह सत्य का मार्ग नहीं छोड़ते. उसके बाद विश्वामित्र ऋषि छल से राजा का साम्राज्य व उनकी सम्पत्ति हड़प लेते हैं और राजा को काशी में ले जाकर बेच देते हैं. काशी में ले जाकर उनको बेच दिया जाता है. इसी षड़यंत्र के तहत राजा की पत्नी तारावती व बेटे रोहित को भी बेच दिया जाता है. काशी में राजा हरिश्चंद्र नौकरी की तलाश में भटकते रहते हैं. लेकिन, उन्हें कहीं काम नहीं मिलता. अंततः वह श्मशान घाट पर जा कर बैठ जाते हैं. जहां उनकी मुलाकात घाट के डोम से होती है. राजा की स्थिति देखकर डोम उन्हें खाने के लिए कुछ देता है. लेकिन, राजा बिना काम के खाना स्वीकार नहीं करते. ऐसे में राजा हरिश्चन्द्र के काफी अनुरोध पर वह उनको अपने यहां नौकरी पर रख लेता है. हालांकि, डोम ने राजा को यह हिदायत भी दे दी कि, वह बिना कफन का पैसा लिये किसी का अंतिम संस्कार नहीं करने का आदेश देते हैं.

सुंदर राजकुमारों को देखकर हर्षित हुए जनकपुर वासी:

गुरुवार की रात्रि में रामलीला के तहत जनकपुर प्रवेश एवं नगर दर्शन प्रसंग का बहुत ही आकर्षक रूप से मंचन किया गया. जिसे देख श्रद्धालु आनंदमय हो गये. वही, शुक्रवार को दिन में रामलीला के तहत पुष्प वाटिका प्रसंग के मार्मिक दृश्य को देखने के लिए विभिन्न क्षेत्रों से हजारों श्रद्धालु पहुंच गए हैं तथा अभी भी बाहर से आश्रम पर श्रद्धालुओं के आने का क्रम लगातार जारी है.

आमंत्रण पा विश्वामित्र राम लक्ष्मण के साथ पहुँचे जनकपुर: 

जनकपुर में सीता जी के स्वयंवर की तैयारियां के साथ शुरू हुयीं और इस उत्सव में भाग लेने के लिये राजा जनक ने गुरु विश्वामित्र को आमंत्रण भेजा. गुरू विश्वामित्र अपने साथ दोनों राजकुमारों राम और लक्ष्मण को लेकर जनकपुर की ओर रवाना होते हैं. गंगा नदी के घाट पर राम लक्ष्मण का पंडा से रोचक संवाद होता है. जिस समय ऋषि विश्वामित्र ने जनकपुर में प्रवेश किया. उनके स्वागत को जनक जी दौड़े आए. जनक जी ने ऋषिराज से कुशल क्षेम जाना और साथ में आये दोनों राजकुमार के बारे में जानकारी ली. जनकपुर में उनके पहुँचने पर भव्य अगुवानी होती है.


दोनों भाइयों को देख मंत्रमुग्ध हुई जनकपुर की नारी:

जनकपुर में राम और लक्ष्मण अपने गुरू से नगर घूमने कीइच्छा जताते हैं. गुरु की आज्ञा पाकर नगर भ्रमण पर निकले दोनों कुमारों को देखकर जनकपुर के नर-नारी हर्षित होते हैं और बहुत जल्दी दोनों कुमारों की पुरवासियों से मित्रता हो जाती है.

हिय हर्षहिं बरसहिं सुमन,सुमखि सुलोचन वृंद

"जायें जायें जहां जहां बंधु दोई, तँह तँह परमानन्द .."

झरोखों से जनकपुर की नारियाँ दोनों कुमारों की शोभा देखकरप्रफुल्लित हो रही हैं और हर ओर चर्चाओं में अवध के कुमार ही छाये हैं. महिलायें शगुन साध रही हैं कि इन दोनों में से ही यदि किसी का सीता जी से विवाह हो जाये तो कितना अच्छा होगा. जब इनकी हमारे राजा से रिश्तेदारी हो जायेगी तो इनका जनकपुर में आना जाना बना रहेगा और इस बहाने हम सभी को भी उनके मनभावन दर्शन प्राप्त होते रहेंगे.झरोखा में सखियों के कर्णप्रिय गीतों ने अच्छा समां बांध दिया.

आज होगा पुष्प वाटिका प्रसंग का मंचन, मोरारी बापू होंगे शामिल:

रामलीला के मंचन में महत्वपूर्ण व मार्मिक प्रसंग का विशेष आयोजन पुष्प वाटिका का मंचन कल दिन में होगा. श्रद्धालु प्रिय पुष्प वाटिका प्रसंग के लिए मुख्य रूप से मंच से अलग मंच का निर्माण होगा. यह मंच पंडाल के बीच में बनाया जाएगा. पुष्प वाटिका प्रसंग का आश्रम के परिकरों द्वारा जीवंत प्रस्तुति की जाएगी. सीता राम विवाह आश्रम के महंत राजा राम शरण जी महाराज पुष्प वाटिका प्रसंग में माली की भूमिका बरसों से स्वयं निभाते हैं. पुष्प वाटिका प्रसंग में आज मोरारी बापू भी शामिल होंगे. उनकी कथा दिन में 12:00 बजे तक ही चलेगी. जिसके बाद वह आश्रम के पीछे विवाह स्थल पर पहुंचेंगे.



















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