Buxar Top News: मर्यादित एवं धार्मिक होना चाहिए मनुष्य का जीवन -कृष्णानन्द शास्त्री |
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: "जिसका जीवन धर्महीन हो वो मानव नहीं, मनुष्य का जीवन मर्यादित एवं धार्मिक होना चाहिए। धर्म एवं मर्यादा ये दोनो जिसके पास होते है। उसी के पास मानवता होती है जीवन में मर्यादा से भी महत्वपूर्ण धर्म है।" उक्त बाते रामरेखा घाट स्थित लक्ष्मीनरायण महायज्ञ के दौरान आयोजित कथा के दौरान अचार्य कृष्णानन्द शास्त्री ने कहा।
उन्होने कहा कि जब धर्म एवं मर्यादा दोनों मे से एक का चयन करना हो तो धर्म का ही करना चाहिए। सीता ने यही आचरण किया था वनवास के समय जब पंचवटी में रावण सन्यासी बनकर आया तब सीता लक्ष्मण द्वारा खींची गई मर्यादा की रेखा के भीतर से भिक्षा देने लगी किन्तु सन्यासी रावण बंधी भिक्षा लेने से इनकार कर दिया। तब सीता ने मर्यादा को दरकिनार कर गृहस्थ धर्म का पालन कर रेखा से बाहर जाकर रावण को भिक्षा दी। परिणामस्वरूप उनका हरण हुआ। किन्तु अतिथि देवो भव की धार्मिक परम्परा का र्निवहन करने के कारण सीता रावण के विनाश का कारण बनी और पुनः श्रीराम से मिलन हुआ। जो लोग धर्म की रक्षा करते है धर्म उनकी रक्षा करता है। जो धर्म को छोड़कर लाभ का सौदा करते है ऐसे लोगो का विनाश अवश्य होता है।
उन्होने कहा कि जब धर्म एवं मर्यादा दोनों मे से एक का चयन करना हो तो धर्म का ही करना चाहिए। सीता ने यही आचरण किया था वनवास के समय जब पंचवटी में रावण सन्यासी बनकर आया तब सीता लक्ष्मण द्वारा खींची गई मर्यादा की रेखा के भीतर से भिक्षा देने लगी किन्तु सन्यासी रावण बंधी भिक्षा लेने से इनकार कर दिया। तब सीता ने मर्यादा को दरकिनार कर गृहस्थ धर्म का पालन कर रेखा से बाहर जाकर रावण को भिक्षा दी। परिणामस्वरूप उनका हरण हुआ। किन्तु अतिथि देवो भव की धार्मिक परम्परा का र्निवहन करने के कारण सीता रावण के विनाश का कारण बनी और पुनः श्रीराम से मिलन हुआ। जो लोग धर्म की रक्षा करते है धर्म उनकी रक्षा करता है। जो धर्म को छोड़कर लाभ का सौदा करते है ऐसे लोगो का विनाश अवश्य होता है।
Post a Comment