Buxar Top News: बक्सर के लाल के जज़्बे और समर्पण के गूँज.. की गाथा
"हज़ारो सालो से नरगिस अपनी बेनूरी पर रोती है,
बड़ी मुश्किल से पैदा होता है चमन में दीदावर कोई!"
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: देश की अग्रणी सामाजिक संस्था गूँज.. के बिहार राज्य के संयोजक श्री शिवजी चतुर्वेदी जी के लिए ऊपर वाली पंक्तियां शत प्रतिशत चरित्रार्थ होती है। पुरे बिहार के बद से बदतर हालात को जिस तरह से इन्होंने समझा और उसको सुधारने के लिए जी जान से लगे हुए है वह कोई साधारण व्यक्तित्व वाला इंसान नहीं कर सकता। बहुत से लोग इस समाज सेवा के कार्य में है परंतु सिर्फ श्री शिवजी चतुर्वेदी जैसा संवेदनशील व्यक्ति ही उस पीड़ा को महसूस कर सकता है जो बाढ़, आगजनी, या अन्य आपदा के दौरान लोग सहते है।
श्री शिवजी चतुर्वेदी ने वह दुनिया देखी जो एक आम इंसान कभी कल्पना नहीं कर सकता। अगर आप ना होते तो शायद कभी उनलोगों की पीड़ा और कष्ट को समाज में ऊपर तक कोई महसूस ही नहीं कर पाता। श्री शिवजी चतुर्वेदी जैसे व्यक्ति ने लाखों लोगो की जिंदगी संवार दी है।
बक्सर के एक छोटे से गांव से शुरू हुई यह गाथा आज राष्ट्रिय पटल पर वट वृक्ष का रूप ले चुकी है। एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार के
एक आदर्श शिक्षक पिता श्री विंध्याचल चौबे एवं कुशल गृहिणी माता की पाँच संतानो में शिवजी चतुर्वेदी सबसे छोटे है। स्वभाव से कोमल, मृदुभाषी एवं बातचीत में मितव्ययी लेकिन प्रखर बुद्धि के स्वामी श्री शिवजी चतुर्वेदी मूलतः बक्सर जिले के राजपुर प्रखंड के राजापुर गाँव से है। पिता के मझरिया मध्य विद्यालय में शिक्षक के रूप में पदस्थापित होने के कारण इनका जन्म, पालन पोषण एवं प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा मझरिया में ही हुयी। बचपन से ही पढ़ाई के अलावा अन्य विषयों में भी श्री शिवजी चतुर्वेदी अव्वल और निपुण थे। काशी के प्रतिष्ठित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक डिग्री धारी शिवजी चतुर्वेदी पहले संघ लोक सेवाओं में जाना चाहते थे। स्नातक की पढ़ाई के साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) से भी खुद को जोड़ लिया जिसके अंतर्गत उन्होंने कई जगह जाकर जरूरतमंदों को मदद पहुंचाई और यही से उनके मन में सेवा भाव का उदय हुआ। स्नातक के बाद उन्होंने सोशल वर्क में अपनी स्नातकोत्तर (MSW) की पढ़ाई पूरी करी। फिर 2006 में जब वो पहली बार गूँज के संस्थापक और निदेशक श्री अंशु गुप्ता से मिलने के बाद उन्होंने पूरी तरह से अपने आप को सामाजिक सेवाओं में समर्पित कर दिया। श्री अंशु गुप्ता जी के साथ अपने पहले अनुभव के बारे में शिवजी बताते है- "पहली बार जब मैं उनसे मिलने गया तो सोच रहा था कि कैसे कोई व्यक्ति इतने सरल भाषा में एक व्यवस्थित जीवनशैली के साथ उनलोगों की जिंदगी को संवार सकता है जिन्हें वो जानता भी नहीं। पर अंशु सर से कुछ देर तक बात करके मैं उनके विचारों और दृष्टिकोण का अनुयायी हो गया और मैंने अपने आपको गूँज के लिए, एक विचारधारा के लिए समार्पित कर दिया। वो आपको पल भर में अपने जादुई व्यक्तित्व से अपना बना लेते है।"
आज श्री शिवजी को सामाजिक क्षेत्र में कार्य करते हुए 10 साल से भी ज्यादा का अनुभव हो गया है। बकौल शिवजी- "अगर सही मायने में पूछे तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि अपना कैरियर सामाजिक क्षेत्र में बनाऊंगा। न ऐसी कोई ख़्वाहिश थी और न ही इस प्रोफेशन में मेरा कोई दोस्त था। परन्तु, इन 10 सालो में कई तरह के अनुभवों से रूबरू हुआ। कोशी की त्रासदी देखी जिसकी दास्ताँ बहुत ही दर्दनाक और सीने को चाक करने वाली थी, बाढ़ से प्रभावित लगभग सभी गांवो की एक ही टीस, तड़प, दर्द, सीलन, चुभन दिखाई दी। कोशी बेल्ट में हमने अपनी टीम के साथ मिलकर बहुत सारे प्रोजेक्ट पर काम किया और अलग अलग तरह के सफल प्रयोग किये I साथ ही इस दौरान देश के कई हिस्सों में भी घुमने, उन्हें करीब से देखने और वहाँ पर कार्य करने का मौका मिला। इसके अलावा रमन मैग्सेसे सम्मान समारोह, फिलीपिंस में भाग लेने का मौका मिला (श्री अंशु सर- मैग्सेसे अवार्ड विजेता- 2015 सम्मान समारोह)।"
अपने सामाजिक कार्य के सबसे कठिन कार्य के अनुभव के बारे में पूछने पर श्री शिवजी बताते है- "उत्तराखंड की भीषण त्रासदी से निपटना सबसे त्रासद अनुभव रहा साथ ही 2008 में बिहार के कोशी में आये विनाशकारी बाढ़ में राहत का कार्य सँभालने के लिए मुझे 10 दिनों के लिए भेजा गया लेकिन वहां की परिस्थितिया देखते हुए मुझे लगा कि यहाँ अभी बहुत काम करने की जरुरत हैं। अत: श्री अंशु सर से मैंने इस बारे में आग्रह किया जिसके बाद तब से लेकर अब तक यही बिहार में ही हूँ। बिहार में कार्य करना खासतौर से कोशी की बाढ़ आपदा से निपटना सबसे कठिन और शिक्षाप्रद कार्य होता है।"
सामाजिक क्षेत्र में कार्य के अपने अनुभव के बारे में श्री शिवजी चतुर्वेदी ने बताया- "मेरा व्यक्तिगत अनुभव रहा है कि देश के प्रत्येक क्षेत्र में कुछ न कुछ सुधार अवश्य हुआ है, लेकिन अगर हम सामाजिक क्षेत्रो में सेवा की बात करे तो इसकी गति अत्यंत धीमी रही है जहा सुधार कम, समस्याएं अधिक बढ़ी है और सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले लोग भी अपने अस्तित्व की लड़ाई के साथ अपने निहित स्वार्थ के वशीभूत भी कार्य कर रहे हैं। हो सकता है कि इस पर बाकी लोगो की राय अलग अलग हो लेकिन अपने पुराने सहपाठियों, सहकर्मियों, अग्रजो व् अन्य संस्थाओ/ संगठनो में कार्य करने वाले लोगो से बातचीत के आधार पर मेरा अनुभव और अधिक मजबूत हुआ है। जरुरत है कि इस परिस्थिति पर विचार करने की और बदलाव के लिए आवाज़ बुलंद करने की।"
बिहार के लगभग सभी जिलों में गूँज ने किसी ना किसी की जिंदगी को छूकर उसे बेहतर बनाया है। पुरे बिहार और झारखंड में गूँज के कुछ अनूठे पहल जैसे 'स्कूल टू स्कूल', 'क्लॉथ फॉर वर्क', 'माय पैड', गूँज की गुल्लक हो या आपदा राहत या अन्य कार्य हो, हर जगह गूँज की गूँज सबसे पहले सुनाई देती है। बक्सर ही नहीं बल्कि पूरे बिहार को गर्व है अपने इस लाल पर। बक्सर कॉलिंग श्री शिवजी चतुर्वेदी जी के इस जज़्बे को सलाम करते हुए कहता है कि अपने बक्सर और बिहार के भविष्य को गढ़ने और संवारने के लिए जरुरत है ऐसे ही अनेको 'शिवजी' की। उम्मीद है लोगो की आशाओं का यह देदीप्यमान सूर्य ऐसे ही उन्मुक्त नभ में अपनी दिव्य आभा चारो तरफ़ बिखेरता रहेगा!
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