Buxar Top News: होटल प्रबंधन का आरोप: कमरा नंबर 101 से शुरू हुई कहानी छापेमारी पर आकर हुई खत्म ..
बक्सर पुलिस द्वारा होटल विश्वामित्र विहार में की गई छापेमारी मामले में प्रबंधन ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
- आरोप, जबरन एक सप्ताह तक कमरे पर पुलिसकर्मी ने किया था कब्जा.
- चाबी मांगे जाने पर दी थी फंसाने की धमकी.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: मंगलवार को होटल विश्वामित्र बिहार में हुई छापेमारी के दौरान पुलिस को कुछ भी आपत्तिजनक नहीं बरामद हुआ. लेकिन इस कार्रवाई के बाद होटल प्रबंधक संतोष कुमार सिंह द्वारा पुलिस पर ऐसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं. जो कहीं न कहीं पुलिस को शक के दायरे में खड़ा कर देते हैं.
इस बाबत होटल प्रबंधन द्वारा बताया गया कि दिनांक 23 सितंबर को गोलंबर पर बने नवनिर्मित थाना के थानाध्यक्ष दीपक राव द्वारा फ्रेश होने के नाम पर एक एसी रूम (कमरा संख्या 101) खुलवाया गया. फ्रेश होने के बाद वह चाबी अपने साथ लेते गए तकरीबन एक सप्ताह तक वह कमरे का उपयोग करते रहें इस दौरान ना तो उन्होंने कमरे का किराया दिया और ना ही उन्होंने कमरा खाली करने की बात कही. एक सप्ताह बाद जब प्रबंधन द्वारा बुकिंग का हवाला देते हुए कमरे की चाबी की मांग की गई तो उन्होंने चाबी देने से इंकार करते हुए कहा कि वह जिले के वरीय अधिकारियों के निर्देश पर वहां रह रहे है, तथा वह कमरे की चाबी नहीं सौंपेंगे. इस पर प्रबंधन ने पुलिस कप्तान से इस बात की शिकायत की, जिसके बाद पुलिस कप्तान ने त्वरित कार्रवाई करते हुए थानाध्यक्ष को फटकार लगाई, जिसका असर यह हुआ कि थानाध्यक्ष ने चाबी प्रबंधन के सुपुर्द कर दी. हालांकि इस दौरान थानाध्यक्ष ने कथित तौर पर प्रबंधन को कहा था कि वह इस बेइज्जती का बदला जरूर लेंगे तथा शीघ्र ही होटल में छापेमारी करवाएंगे. प्रबंधन द्वारा बताया गया के मंगलवार को की गई पुलिसिया कार्रवाई कहीं ना कहीं इसी घटनाक्रम से प्रेरित है.
मामले में थानाध्यक्ष दीपक राव से उनका पक्ष जाना गया तो उन्होंने होटल प्रबंधन के सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. उनका कहना था कि उन्होंने होटल की चाबी तो ली थी लेकिन बाद में आरक्षी अधीक्षक का फोन आने के बाद वापस कर दी थी. हालांकि उन्होंने इस बात से इनकार किया की प्रबंधन ने कभी उनसे किराया या फिर चाबी वापस करने की भी बात कही थी. दूसरी तरफ होटल प्रबंधन मामले को लेकर आरक्षी अधीक्षक के पास शिकायत लेकर जाने के मूड में है. उनका कहना है की बिहार टूरिज्म द्वारा संचालित यह होटल के लीज पर लिया गया है तथा होटल को लेने के लिए निवेशित एक भारी धनराशि किराए के रूप में प्राप्त आमदनी से पूरी की जाती है, ऐसे में एक सप्ताह का किराया (जो कि 900 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से है)कौन देगा?
बहरहाल, मामला चाहे जो भी हो लेकिन यह तो स्पष्ट है कि नवनिर्मित थाना प्रभाव में आते ही चर्चा का केंद्र बनने लगा है.
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