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Buxar Top News: डर को बनाया मुनाफ़े का औज़ार, बक्सर में 400 करोड़ पहुँचा मौत के पानी का कारोबार, लोग हैं मरने को लाचार ..

बक्सर में आर्सेनिक का प्रभाव चरम पर है. लेकिन शासन प्रशासन की चुप्पी लोगों के सामने मौत के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ती.


- रोगों के साथ बोतल बैंड पानी के कारोबार में भी हुई है बढ़ोतरी.
- आर्सेनिक युक्त पानी को शुद्ध करने के दावे हैं खोखले.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: ज़िले में मां गंगा नदी निर्मल नहीं रही. जीवनदायिनी गंगा की गोद मे बसे जिला मुख्यालय सहित कई गाँव भूजल में जानलेवा भारी मात्रा में आर्सेनिक कई लोगों को  काल का ग्रास बना रहा है. कई लोग कैंसर पथरी और त्वचा रोगों से जूझ रहे हैं. इलाज़ का रास्ता नहीं है कहीं नहीं (शायद माननीय चौबे जी के पास भी नहीं).

लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की प्रयोगशाला में ज़िले की आर्सेनिक की मात्रा कहीं 500 पी पी एम तो कहीं 1500 पी पी एम है और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 50 पी पी एम आर्सेनिक वाले पानी दूषित है.
गंगा नदी का प्रदूषण इतना बढ़ा है कि गंगा नदी बेसिन का भूजल प्रदूषित हो गया है.
इसके लिए आर ओ का पानी भी साफ नहीं है क्योंकि वह भी आर्सेनिक जैसा भारी तत्व साफ़ नहीं कर सकता.

नतीजतन सामान्य पेयजल में प्रदूषण के कारण लोग डब्बे का पानी व्यवसाय शुरू कर दिये हैं.
उनके प्लांट से भी आर्सेनिक हट नहीं पाता है लेकिन  शुद्ध पेयजल के नाम पर पानी का कारोबार 400 करोड़ रुपये सालाना के पार हो गया है. अब गांव के लोग भी डब्बे का पानी पी रहे हैं लेकिन गंगा मैया एक बराबर सबकों आर्सेनिक पिला रहीं है.
शहर के हर गली में छोटे गाड़ियों से पानी पहुंचाया जा रहा है लेकिन आर्सेनिक से वह भी मुक्त नहीं है.

ज़िले में, खासकर गंगा नदी के किनारे मानव बसावटों में कैंसर पथरी त्वचा की बीमारी एक दशक में बढ़ी है लेकिन यह न तो कोई सामाजिक मुद्दा है नहीं पत्रकारों के लिए कोई विषय है. लेकिन जिस मौत की गली में सबको जाना है आर्सेनिक ने उस गली में जाने की गति को तेज किया हैं. 

बहरहाल, देखना यह होगा कि माननीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री सह सांसद इस गंभीर मुद्दे पर स्वयं कब गंभीर हो पाते हैं?














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