Buxar Top News: न्यायालय के फैसले से कटघरे में खड़ी हुई पब्लिक फ्रेंडली पुलिस..
पुलिस द्वारा आरोपी के विरुद्ध की गई कारवाई को गलत ठहराते हुए उसके विरुद्ध प्रयोग की गयी धारा को ही पूरी तरह से गलत ठहरा दिया.
- न्यायालय ने कहा पुलिस द्वारा लगाई गई धारा गलत.
- खनन के अपराध में नहीं लगनी चाहिए चोरी की धारा.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: व्यवहार न्यायालय के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी राजेश कुमार त्रिपाठी की अदालत में एक जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पुलिस द्वारा आरोपी के विरुद्ध की गई कारवाई को गलत ठहराते हुए उसके विरुद्ध प्रयोग की गयी धारा को ही पूरी तरह से गलत ठहरा दिया. न्यायालय ने कहा की आरोपी द्वारा कारित अपराध के लिए कहीं से भी यह धारा युक्तिसंगत नहीं है.
दरअसल, ठोरा नदी से अवैध बालू के उत्खनन के मामले में पुलिस ने इटाढी थाना क्षेत्र से चार युवकों को गिरफ्तार किया था. ये युवक इटाढ़ी में हो रहे एक मंदिर निर्माण के लिए ठोरा नदी से बलुहट मिट्टी निकालने के लिए गए थे, तभी अंचलाधिकारी अंशु कुमार सिंह के निर्देश पर की गई कारवाई में उन्हें ट्रैक्टर एवं बालू के साथ गिरफ्तार कर लिया गया. बाद में अंचलाधिकारी के द्वारा दिए गए आवेदन के आधार पर पुलिस ने उन युवकों के विरुद्ध धारा 379 का प्रयोग करते हुए मामला दर्ज किया था. मामले में बहस करते हुए वरीय अधिवक्ता कृपाशंकर राय ने पुलिस द्वारा प्रयोग की गई धारा 379 को गलत बताते हुए कहा था कि मामला पहले तो खनन से जुड़ा हुआ है दूसरी तरफ जो युवक वहां खनन करने गए थे उन्हें भी कहीं इस प्रकार की सूचना नहीं लिखी दिखी कि वहां खनन मना है. जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता की दलील सुनने के बाद न्यायालय ने सीधे तौर पर पुलिस के इस कार्यवाही को गलत बताते हुए कहा कि मामला खनन से जुड़ा हुआ है. लेकिन इसमें चोरी की धारा का प्रयोग किया गया है. न्यायाधीश ने कहा के प्रथम दृष्टया ही यह मामला चोरी से जुड़ा हुआ नहीं प्रतीत होता. ऐसे में पुलिस द्वारा लगाई गई धारा 379 न्याय संगत नहीं है.
मामले में इटाढ़ी थाना में मामला दर्ज होने के बाद से ही विधिक जानकारों ने धारा 379 का प्रयोग इस मामले में अनुचित बताया था. कई वरीय अधिवक्ताओं का कहना था कि धारा 379 कहीं न कहीं पुलिस द्वारा भयभीत करने के उद्देश्य से लगायी गयी है.
वहीं मामले में आरक्षी अधीक्षक ने पुलिस की कारवाई को सही बताया था. और कहा था कि मामले में अंचलाधिकारी द्वारा दी गयी शिकायत के आलोक में ये धारा लगाई गयी है.
हालांकि, न्यायालय ने पुलिस की समझ पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं.
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