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न्यायालय का अनोखा फैसला: पुलवामा शहीद राहत कोष में अंशदान के बाद मिली जमानत ..

इस शर्त पर जमानत मिली उन्हें हमले में शहीद सैनिकों के लिए बनाए गए राहत कोष में सहायता राशि जमा करनी होगी. सहायता राशि जमा करने के उपरांत रसीद प्रस्तुत करने पर अभियुक्तों को जमानत दे दी गई

-पुलवामा की घटना से मर्माहत है न्यायिक कर्मी.

- अंशदान जमा कर न्यायालय में जमा कराई रसीद.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: पुलवामा हमले के बाद केवल देश एवं समाज ही नहीं बल्कि न्यायालय के पदाधिकारी भी मर्माहत हैं. इसका उदाहरण उस वक्त देखने को मिला जब न्यायालय में जमानत लेने पहुंचे दो अभियुक्तों को न्यायालय से इस शर्त पर जमानत मिली उन्हें हमले में शहीद सैनिकों के लिए बनाए गए राहत कोष में सहायता राशि जमा करनी होगी. सहायता राशि जमा करने के उपरांत रसीद प्रस्तुत करने पर अभियुक्तों को जमानत दे दी गई.

दरअसल वर्ष 2002 के एनडीपीएस से जुड़े एक मामले में सिविल लाइन्स के रहने वाले अभियुक्त संजय चौधरी एवं बलिराम चौधरी का बंध पत्र खारिज हो गया था. ऐसे में उन्होंने जमानत लेने के लिए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश षष्ठम राकेश मिश्रा के न्यायालय में आवेदन दिया. न्यायालय द्वारा उन्हें इस शर्त के साथ जमानत दी गई कि वह पुलवामा में शहीद हुए सैनिकों के लिए बनाए गए राहत कोष में 500 रुपये जमा करा कर उसकी रसीद न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें तभी उन्हें जमानत दी जाएगी. अभियुक्तों के तरफ से मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता अशफाक उल खान के द्वारा आरटीजीएस के माध्यम से सहायता राशि जमा कर उसकी रसीद न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गई. जिसके बाद न्यायालय ने अभियुक्त को जमानत दे दी गई. न्यायालय द्वारा किए गए इस कार्य से लोगों के बीच न्यायालय के प्रति सम्मान तथा शहीदों के प्रति श्रद्धा का संचार हो गया.











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