Buxar Top News: उचित मुआवजे की माँग को लेकर सड़क पर उतरे भूमि अधिग्रहण संघर्ष समिति के किसान, देवकुली में प्रशासन के साथ हुई झड़प ..
राष्ट्रीय राजमार्ग 84 पर किसानों के भारी विरोध के बाद एनएचएआइ को काम बंद कर देना पड़ा.
- राष्ट्रीय राजमार्ग 84 पर भूमि अधिग्रहण का मामला.
- मांगों को लेकर बीच सड़क पर बैठ गए किसान प्रशासन ने कहा दर्ज की जाएगी प्राथमिकी.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: राष्ट्रीय राजमार्ग 84 पर किसानों के भारी विरोध के बाद एनएचएआइ को काम बंद कर देना पड़ा. किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रशासन झड़प भी हुई. किसानों ने देवकुली गांव के समीप नुआवन मोड़ के समीप कार्य को रोक कर पीएनसी के कर्मचारियों को खदेड़ दिया. किसानों का विरोध देखते हुए अधिकारियों ने किसानों से कई दौर की वार्ता की, लेकिन वार्ता बेनतीजा रही. विरोध को देखते हुए भारी मात्रा में पुलिस बलों की तैनाती कर दी गयी लेकिन अगर किसान व्यवसायिक दर पर मुआवजे की मांग को लेकर बीच सड़क पर ही धरने पर बैठ गए उन्होंने कहा की जब तक उनकी मांगों को सरकार पूरा नहीं करेगी किसान निर्माण कार्य को नहीं होने देंगे. धरना पर बैठे किसानों के ऊपर प्रशासन ने बल का भी प्रयोग किया . जिसके बाद प्रदर्शन कर रहे किसान और आक्रोशित हो उठे और सरकार के विरूद्ध नारेबाजी करने लगे.एक बार तो किसानों ने जवानों और अधिकारियों को खदेड़ दिया. किसानों का कहना था कि हम जान दे सकते हैं, लेकिन जमीन कृषि दर पर नहीं दे सकते हैं.
किसानों के प्रदर्शन के दौरान बिहार सरकार के पर्यटन मंत्री उस रास्ते से गुजर रहे थे. गाड़ी से उतरकर पर्यटन मंत्री ने किसानों से वार्ता की. उन्होंने कहा कि किसानों की जो भी समस्याएं हैं उसे दूर करने के लिए जिलाधिकारी को निर्देश दे दिया गया है. 15 मिनट तक किसानों से वार्ता करने के बाद आश्वासन देकर मंत्री चले गये.
दूसरी तरफ यह भी बताया गया एनएचएआइ का निर्माण कार्य रोके जाने तथा सरकारी कार्य में बाधा डालने वाले किसानों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी. इसके लिए घटनास्थल की विडियोग्राफी भी करायी गयी है. डीएसपी कमलापति सिंह ने बताया कि जिस स्थल से काम हो रहा है. वहां के एनएचएआइ के नियमानुसार 60 प्रतिशत किसानों ने मुआवजे की राशि ले ली है. इसके बावजूद भी काम को रोका जाना ठीक नहीं है. दूसरी तरफ डुमरांव एसडीओ प्रमोद कुमार ने ने कहा कि किसानों से जिलाधिकारी अरविंद कुमार वर्मा वार्ता करेंगे. इसके बाद आगे का निर्णय लिया जायेगा.किसान नेता डॉ सुभाषचंद्र ओझा, त्रिवेणी मिश्रा, श्रीनाथ ओझा, शम्भु दुबे, अनिल राय, बलिराम दुबे का कहना है कि प्रशासन बलपूर्वक किसानों की आवाज को दबाना चाहती है,लेकिन हमारे सामने अब करो या मरो की स्थिति है.हम अपानी मांग पर अड़े रहेंगे. किसानों के आंदोलन के बाद दिनभर अफरा-तफरी का माहौल कायम रहा
Post a Comment