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Buxar Top News: पंचकोशी परिक्रमा का दूसरा पड़ाव: यहाँ मिली थी नारद मुनि को श्राप से मुक्ति, त्रेता युग में पहुंचे थे भगवान राम ..

पंचकोसी परिक्रमा के दूसरे दिन बक्सर जिले एवं दूर-दराज से आए श्रद्धालु परिक्रमा के दूसरे पड़ाव नदांव पहुँचे. 

- दूसरे पड़ाव नारद मुनि के आश्रम पर सुबह से देर रात तक लगी रही श्रद्धालुओं की भीड़. 
- त्रेता युग में भगवान राम ने सत्तू और मूली का खाया था प्रसाद.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: गुरुवार को पंचकोसी परिक्रमा के दूसरे दिन बक्सर जिले एवं दूर-दराज से आए श्रद्धालु परिक्रमा के दूसरे पड़ाव नदांव पहुँचे. जहाँ नारद मुनि के आश्रम स्थित भगवान विघ्नेश्वर शंकर के मंदिर में पूजा अर्चना कर सत्तू और मूली का प्रसाद ग्रहण किया. इसके पूर्व श्रद्धालुओं ने नारद सरोवर में स्नान किया तथा निरोगी काया की कामना की.

 तत्पश्चात, विघ्नेश्वर भगवान शंकर के मंदिर की परिक्रमा कर विधि-विधान से भगवान शंकर की पूजा अर्चना की.  दूसरे पड़ाव नदांव में साधु संतों ने विधिवत स्नान के बाद विघ्नेश्वर भगवान शंकर की पूजा अर्चना की इस दौरान व्याघ्रसर पंचकोसी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष बसांव मठ के महंत अत्चुत प्रपन्नाचार्य महाराज, उपाध्यक्ष व सीता राम विवाह आश्रम के महंत राजा राम शरण दास जी महाराज तथा समिति के सचिव डॉ. राम नाथ ओझा के साथ सैकडों की तादाद में विभिन्न क्षेत्रों से आए साधु-संतों ने नारद सरोवर की परिक्रमा की.

जुड़ी है एक पौराणिक मान्यता: जैसा कि सभी को ज्ञात है के नारद मुनि काफी चंचल स्वभाव के हैं, अपनी इसी चंचलता के कारण नारद मुनि को श्राप मिला था कि उनकी काया बंदर की तरह हो जाए श्राप से मुक्ति के लिए नारद मुनि ने नदांव में भक्ति भाव से तपस्या की थी. तपस्या के पूर्ण होने के पश्चात उन्होंने इसी तालाब में स्नान के बाद अपनी पुरानी काया वापस पाई थी, और उन्हें श्राप से मुक्ति मिली  इसी दौरान त्रेता युग में भगवान श्री राम भी नारद मुनि के आश्रम पहुंचे थे, जहां पहुंच कर उन्होंने नारद मुनि आशीर्वाद प्राप्त किया था. आज के इस पड़ाव के दौरान पंचकोशी परिक्रमा समिति द्वारा आए हुए श्रद्धालुओं के लिए खिचड़ी का विशाल भंडारा किया गया था वहीं दूसरी तरफ ग्रामीणों ने भी स्थानीय स्तर पर दूर दराज से आए श्रद्धालुओं के नि:शुल्क चाय की व्यवस्था कराई थी. इस दौरान आश्रम के आसपास विशाल मेले का भी आयोजन किया गया था. इस मेले में छोटे बच्चों के खिलौने, गुरही जलेबी एवं विभिन्न प्रकार की दुकानें लगाई गई थी. सुबह से ही लगा श्रद्धालुओं की भीड़ देर रात तक आश्रम परिसर मैं जमी रही.
 














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