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Buxar Top News: इतिहास के सौ वर्ष’ विषयक संगोष्ठी का हुआ आयोजन, इतिहास के स्वरुप पर हुई चर्चा...

इतिहास के सौ वर्ष’ विषयक संगोष्ठी चौथे और अंतिम दिन शुक्रवार को ‘रंगश्री’ तथा ‘क्रियेटीव हिस्ट्री’ के संयुक्त तत्वावधान में डाॅ. ब्रज कुमार पाण्डेय की अध्यक्षता में संपन्न हुई.

- वक्ताओं ने बताई ग्रामीण इतिहास को सामने लाने की जरूरत.
- प्रगतिशीलता का रहा है भारतीय इतिहास.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: इतिहास के सौ वर्ष’ विषयक संगोष्ठी चौथे और अंतिम दिन शुक्रवार को ‘रंगश्री’ तथा ‘क्रियेटीव हिस्ट्री’ के संयुक्त तत्वावधान में डाॅ. ब्रज कुमार पाण्डेय की अध्यक्षता में संपन्न हुई. कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व सांसद नागेन्द्र नाथ ओझा ने किया. प्रो. अरूण कुमार (राँची) ने कार्यक्रम की रूप-रेखा तथा उसकी भूमि प्रस्तुत किया की जेएनयू के प्रध्यापक प्रो. देवेन्द्र कुमार चौबे ने और स्वागत किया कुमार नयन ने. 

कार्यक्रम का संचालन करते हुए डाॅ. दीपक कुमार राय ने कहा कि हमारा उद्देश्य ग्रामीण इतिहास को सामने लाना है. पूर्व सांसद नागेन्द्र नाथ ओझा ने सौ साल के इतिहास का विश्लेषण करते हुए कहा कि इन सालों में उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद समाप्त हुआ है. प्रो. देवेन्द्र कुमार चौबे ने कहा कि इतिहास हमेशा कमजोर वंचित वर्ग के पक्ष में खड़ा होता है. डाॅ. दीपक कुमार राय ने कहा कि हम अभिजनों का नहीं, आमजनों का इतिहास रचना चाहते है. बीज व कृव्य देते हुए रांची के प्राध्यापक प्रो. अरूण कुमार ने कहा कि इतिहास को इतिहास की नजर से देखा जाना चाहिए न कि अपनी या किसी दूसरे की नजर से. इतिहास लिखा नहीं जाता, उसे सृजित किया जाता है. उन्होंने कहा कि सौ वर्षों के इतिहास में बाजारवाद बढ़ा है और समानान्तर राष्ट्रवाद का उदय हुआ है, जो मानवता पर खड़ा है. इतिहास लेखक जवाहर प्रसाद वर्मा ने कहा गांधी के चंपारण के शुरू आंदोलन ने देश को आजादी दिलाई और जे.पी. आंदोलन से आज तक का इतिहास प्रगतिशीलता का इतिहास है. अध्यक्ष डाॅ. ब्रज कुमार पाण्डेय ने विस्तार से विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि सबसे अधिक प्रामाणिक इतिहास कार्ल मार्क्स ने दिया है. इतिहास बनने तथा बनाने के उनके सिद्धान्त वैज्ञानिक और प्रामाणिक है. उन्होंने कहा कि द्वंद्वात्मक भौतिकवाद के सिद्धांत के आधार पर इतिहास का विश्लेषण सर्वाधिक प्रमाणिक है. इस अवसर पर काव्य गोष्ठी भी हुई. 

जिसमें सुरेश कांटक, लक्ष्मीकांत मुकुल, शिव बहादुर पाण्डेय प्रीतम, उमाशंकर, अनुज, धन्नुलाल प्रेमातुर, रामविलास मिश्र, डाॅ. शशांक शेखर आदि ने अपनी रचनाएं सुनाई. गोष्ठी में ई. राम सुरेश पाण्डेय, कृष्णानंद  चौबेे, सिद्धेश्वरानंद बक्सरी, सरोज वन्दना, रागिनी, राममुरारी, कृष्ण मुरारी, सत्येन्द्र सिंह, नरेन्द्र कुमार शर्मा, वंश नारायण सिंह सहित भोजपुरी गायक गोपाल राय उपस्थित रहे. कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन विमल कुमार सिंह ने किया.
 














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