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Buxar Top News: हर घंटे दहेज की भेंट चढ़ती है एक बेटी, कानून का ज्ञान है आवश्यक - गुप्तेश्वर पांडेय ।

वरीय पुलिस अधिकारी ने बताया है कि दहेज़ के विरुद्ध कौन सा कानून प्रभावी है.

- बिहार में दहेज विरोधी मुहीम हुई है शुरु.
- दहेज एवं बाल विवाह पर दी जाती रहेगी जानकारियां.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर; दहेज प्रथा को लेकर हमारे बिहार राज्य में जोरों-शोरों से सरकारी स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है. इसी विषय को लेकर बक्सर टॉप न्यूज के सह-संपादक अमित राय ने बिहार पुलिस के डीजी वरिष्ठ आईपीएस गुप्तेश्वर पाण्डेय से बातचीत की, इस दौरान कई जानकारियां डीजी गुप्तेश्वर पाण्डेय ने दी जिसे साझा करना सामाजिक दायित्व बनता है.

आइये बिहार पुलिस के डीजी गुप्तेश्वर पाण्डेय ने जो जानकारियाँ दी उसे जानते हैं, उसपर चर्चा करें.

वरीय आईपीएस अफसर गुप्तेश्वर पाण्डेय ने बताया कि देश में औसतन हर एक घंटे में एक महिला दहेज संबंधी कारणों से मौत का शिकार होती है. और वर्ष 2007 से 2011 के बीच इस प्रकार के मामलों में काफी वृद्धि देखी गई है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि विभिन्न राज्यों से वर्ष 2012 में दहेज हत्या के 8,233 मामले सामने आए. आंकड़ों का औसत बताता है कि प्रत्येक घंटे में एक महिला दहेज की बलि चढ़ रही है. इसका मतलब प्रतिदिन ऐसे मामलों की बढ़ोतरी होती जा रही है. यह आंकड़ा 2012 तक का ही है पर आप अनुमान लगा सकते हैं कि आज के परिवेश में स्थिति क्या है?

कानून

दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के अनुसार दहेज लेने, देने या इसके लेन-देन में सहयोग करने पर 5 वर्ष की कैद और 15,000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान है.
दहेज के लिए उत्पीड़न करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए जो कि पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा सम्पत्ति अथवा कीमती वस्तुओं के लिए अवैधानिक मांग के मामले से संबंधित है, के अन्तर्गत 3 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है.
धारा 406 के अन्तर्गत लड़की के पति और ससुराल वालों के लिए 3 साल की कैद अथवा जुर्माना या दोनों, यदि वे लड़की के स्त्रीधन को उसे सौंपने से मना करते हैं.
यदि किसी लड़की की विवाह के सात साल के भीतर असामान्य परिस्थितियों में मौत होती है और यह साबित कर दिया जाता है कि मौत से पहले उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता था, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 304-बी के अन्तर्गत लड़की के पति और रिश्तेदारों को कम से कम सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. यह संविधान प्रदत्त कानून है, जिसमे बिहार में बड़े पैमाने पर बदलाव भी किया गया है.
दहेज़ प्रथा व बाल-विवाह को लेकर चर्चा या जानकारी देने की हमारी प्रक्रिया जारी रहेगी। बक्सर टॉप न्यूज़ बाल-विवाह व दहेज प्रथा के खिलाफ रहा है. तथा डीजी साहब व नितीश सरकार के सम्बंधित इस फैसले के साथ हमेशा खड़ा है.
 














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