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Buxar Top News: सामने आया सदर अस्पताल प्रबंधन का अमानवीय चेहरा, दो मामलों में छोड़ा हैवानियत को भी पीछे, समाजसेवियों व जिलाधिकारी की पहल ने दिलाई राहत ..

सोमवार के दिन कुछ ऐसा हुआ जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया. 

- दर्द से तड़पती रही जली हुई युवती, प्रक्रियाओं का हवाला देकर मरने के बाद भी लाश के साथ किया दुर्व्यवहार. 
- सदर अस्पताल में युवा नेता रामजी सिंह तथा विकास तिवारी की पहल पर जिलाधिकारी ने व्यथित परिजनों को दिलायी राहत. 


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सदर अस्पताल में व्यवस्थाओं की कमी एवं अव्यवस्थाओं का आलम तो अक्सर सुनने को मिलता है, लेकिन सोमवार के दिन कुछ ऐसा हुआ जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया. सोमवार के दिन हुई दो घटनाओं ने यह साबित कर दिया की अस्पताल प्रबंधन के पास मानवता नाम की कोई चीज नहीं बची है. आज हम आपको जो दो घटनाएं बताने जा रहे हैं उन घटनाओं ने सदर अस्पताल में व्याप्त व्यवस्थाओं की गंदी तस्वीर पेश की है. 

पहले मामले में गुजरात में रहने वाली नीतू देवी जो कि डुमराँव विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता की बहन थी वह गुजरात में ही बुरी तरह जल गई थी जहां से परिजन उन्हें वहां से एंबुलेंस के माध्यम से बक्सर ले आए तथा सदर अस्पताल में भर्ती कराया. सुबह 6:30 बजे से भर्ती महिला को दिन के 11:00 बजे तक ना तो कोई चिकित्सक देखने आया ना किसी स्वास्थ्य कर्मी ने परिजनों का भी हाल-चाल लेने की कोशिश की. इस दौरान नीतू का पति कई बार अस्पताल के अधिकारियों के पास भी गया लेकिन उन्होंने उस गरीब की एक न सुनी. कई बार संपर्क करने पर भी टालमटोल वाली बातें ही की गई. मजदूरी का कार्य करने वाले नीतू के पति के पास इतनी राशि नहीं थी कि वह निजी अस्पताल में उसका इलाज करा सके. दिन में करीब 1:11 बजे जानकारी मिलने पर युवा नेता राम जी सिंह सदर अस्पताल पहुंचे तथा स्थिति को देखकर तत्काल मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी से बात की मगर उन्होंने टालने वाले लहजे में अस्पताल में मौजूद कर्मियों से बात करने को कहा. तब उन्होंने जिलाधिकारी अरविंद कुमार वर्मा से बात की. जिलाधिकारी ने मामले में तत्काल संज्ञान लेते हुए चिकित्सा पदाधिकारी को मामले में कार्यवाही करने की बात कही. जिस पर आनन-फानन में महिला को पीएमसीएच रेफर कर दिया गया. 


बात यहीं खत्म नहीं हुई इस दौरान पीएमसीएच ले जाने वाले एंबुलेंस चालक ने भी नाजायज तरीके से पैसों की मांग परिजनों से की. आर्थिक विवरण परिजनों ने असमर्थता जताई तो एंबुलेंस चालक ने भी उन्हें ले जाने से इंकार कर दिया. संयोगवश युवा नेता रामजी मौके पर मौजूद थे, उन्होंने पुनः जिलाधिकारी को इस बात की जानकारी दी. जिस पर उन्होंने मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी को फटकार लगाई. जिसके बाद निशुल्क एंबुलेंस द्वारा महिला को पीएमसीएच रेफर किया गया, जहां पहले से मौजूद केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री के पुत्र अविरल शाश्वत चौबे ने महिला के बेहतर इलाज की व्यवस्था की. छात्र नेता रामजी सिंह ने बताया कि महिला बुरी तरह जल गई थी. हालांकि, उसका इलाज हो जाने पर उसके बच जाने की संभावना है. लेकिन सदर अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्था देखने के बाद एक बात तो साफ़ हो जाती है की  सदर अस्पताल प्रबंधन को लोगों की जान की कोई परवाह नहीं है. वहीं उन्होंने जिलाधिकारी अरविंद कुमार वर्मा को धन्यवाद देते हुए कहा की ऐसे अधिकारी सदैव लोगों के दिलों पर राज करते हैं. 

दूसरी तरफ एक अन्य मामले में सिकरौल थाना के इटौना गांव के निवासी सुरेंद्र कुशवाहा की पुत्री सीमा कुमारी की मृत्यु के बाद की स्थिति ने एक बार पुनः अस्पताल प्रबंधन को घेरे में ले लिया. दरअसल, युवती अपने बहन के ससुराल सिमरी थाना क्षेत्र के मंझवारी गांव गई थी. जहां बहन-बहनोई के बीच हो रहे मारपीट के दौरान सिर पर ईंट लगने से वह घायल हो गई थी. बाद में इलाज के वाराणसी ले जाने के दौरान रास्ते में उसकी मौत हो गई थी. बाद में परिजन शव को लेकर सदर अस्पताल पहुंचे. जहां शव का पोस्टमार्टम कराना था. लेकिन सुबह 11:00 बजे पहुंचे परिजनों की सुध शाम 5:00 बजे तक कोई भी अधिकारी या कर्मचारी लेने नहीं आया. सीमा के पिता सुरेंद्र कुशवाहा जमीन पर उसकी लाश रखकर रोते जा रहे थे तभी समाजसेवी विकास कुमार तिवारी सदर अस्पताल पहुंचे तथा परिजनों की स्थिति देखकर बक्सर टॉप न्यूज़ को मामले की पूरी जानकारी दी. मामले में जब अस्पताल के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी तथा उपाधीक्षक से बात की गई तो उन्होंने प्रक्रियाओं का हवाला देते देख लेने की बात कही. आधे घंटे बाद भी जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो जिलाधिकारी अरविंद कुमार वर्मा को मामले की जानकारी दी गई. जिलाधिकारी ने तत्काल फोन कर कार्रवाई करने की बात कही तब जाकर सदर अस्पताल प्रबंधन जागा और आनन-फानन में तकरीबन 6:00 बजे युवती के शव का पोस्टमार्टम कराया जा सका. बहरहाल, दोनों मामलों में समाजसेवियों की पहल कामयाब रही लेकिन दोनों मामलों ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या सदर अस्पताल प्रबंधन बिल्कुल ही नाकारा हो गया है. वहीं जिलाधिकारी अरविंद कुमार वर्मा की भी जितनी सराहना की जाए उतनी कम है क्योंकि उन्होंने दोनों मामलों में तत्काल संज्ञान लेते हुए परिजनों को न्याय दिलाया ..


 














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