Buxar Top News: सिय-पिय मिलन महोत्सव: .. जब श्रीराम ने लगाए वैदेही के जयकारे ! पुष्प वाटिका प्रसंग में दिखी त्रेता युग की अलौकिक झलक ..
देश विदेश से आए हैं श्रद्धालु, भक्तिमय है माहौल.
- मुख्य माली बने महंत राजा राम शरण दास जी महाराज.
- शामिल हुए शाहनवाज हुसैन, कल निकलेगी भव्य बारात.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: पंडाल के बीचो-बीच फूलों से सजी एक घूमते मंच का नजारा कुछ अलग हे बयां कर रहा था. मंच के चारों ओर हजारों की संख्या में महिला, पुरुष, बच्चे, बूढ़े श्रद्धालु संत समाज के लोग बैठे हुए थे. हजारों की संख्या की उपस्थिति के बीच शांति गजब का माहौल बना दिया था. सभी की निगाहें पंडाल के बीचो-बीच बने घूमते हुए मंच पर टिकी हुई थी. त्रेतायुग जैसा माहौल कायम हो गया था. मौका था दिन के उजाले में पुष्प वाटिका प्रसंग का. राम और सीता की एक झलक पाने का. जनप्रिय प्रसंग को देखने की साक्षी बनने का.
वैदेही वाटिका के रखवाली करने वाले माली अपने कार्य पर लगे हुए थे. इसी बीच श्री राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण के साथ फूल की डलिया लेकर पुष्प वाटिका पहुंचते हैं. यह अवसर था पुष्प वाटिका प्रसंग के मार्मिक मंचन का. यह दृश्य सीय पिय मिलन महोत्सव 2017 के छठ में दिन पुष्प वाटिका प्रसंग के साक्षी बनने के लिए देश के कई जगहों से श्रद्धालु पहुंचे थे. छठवें दिन सुबह से ही आश्रम परिसर स्थित राम जानकी मंदिर में श्रद्धालुओं के पूजा अर्चना से शुरू हुई. उसके बाद श्रीरामचरितमानस का सामूहिक नवाह परायण पाठ से हुआ. सामूहिक नवाह परायण पाठ से भक्ति का जो प्रवास शुरू हुआ वह देर रात तक रामलीला में धनुष यज्ञ मंचन के साथ विराम हुआ. दिन में भक्तमाल कथा का आयोजन एवं रामलीला के मंचन का अंधेरा तक श्रद्धालु लाभ उठाते रहे. रामलीला में शामिल होने के लिए भक्तों के आने का सिलसिला परवान पर है. पुष्प वाटिका प्रसंग को देखने के लिए श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ पड़ी थी. कई संत महात्मा पुष्प वाटिका प्रसंग का आनंद लेने के साक्षी बने.
"कोमल-कोमल हाथ से कैसे आप फूल तोड़ब धनुषधारी हो .."
अजब का नजारा देख रहा था. चारों तरफ से श्रद्धालु भक्त की नजरें पंडाल के बीच में बने पुष्प वाटिका मंच पर ही थी. भगवान राम एवं सीता के एक दूसरे की दीदार की झलक पाने का अवसर कहीं चूक ना जाए. इस प्रश्न के जीवंत मंचन देखने के साक्षी होने का सभी को गौरव जो मिलने वाला था. सबकी निगाहें पुष्प वाटिका के मंच के शुरुआत की अगले भाग पर टिकी हुई थी कि कब भगवान श्रीराम पुष्प वाटिका में पुष्प लेने पहुंचते हैं. इसके पहले राजा जनक के महल में अवस्थित पुष्पवाटिका की रखवाली में लगे माली अपने चुस्ती दिखा रहे थे. इसी बीच भगवान श्रीराम का पुष्प वाटिका के द्वार पर पदार्पण होता है.श्री राम को पुष्प वाटिका की ओर आते देख हजारों की संख्या में मंच के चारों तरफ बैठे महिला पुरुष संत समाज पूरी तरह शांत चित्त हो गए. वाटिका के प्रमुख द्वार पर तैनात वाटिका का मुख्य माली मिथलेश जी ने श्री राम को वाटिका में प्रवेश से रोक देते हैं. इस पर श्रीराम ने माली से वाटिका में प्रवेश की अनुमति मांगते हुए कहा कि
"बंधु माली हो हमके चाही कछू तुलसी दल और फूल.."
परंतु माली तो प्रभु श्रीराम के कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे. इसके बाद मुख्य माली के साथ संवाद शुरू हुआ. माली कहते हैं कि
"कैसे फूल आप तोडब धनुषधारी हो.."
के माध्यम से संवाद आगे की ओर बढ़ाते हैं. पुष्प वाटिका प्रसंग में मुख्य माली की भूमिका आश्रम के महंत श्री राजा राम शरण दास जी महाराज निभाए. जिनके सहयोगी की भूमिका आश्रम की परी की भूमिका निभायी.
"फूल लेबे आईनी की किशोरी जी के देखे जी. ईमानदारी से करी ई स्वीकार जी....."
पुष्प वाटिका में हास-परिहास का चला दौर:
पुष्प वाटिका प्रसंग में माली और भगवान श्री राम के बीच संवादों का दौर चला. संवाद मालियो द्वारा ऐसा किया जा रहा था कि भगवान के सभी भक्त इस प्रश्न का आनंद लेते हुए भगवान भक्ति में गोता लगा रहे थे. मालियों के संवादों का बहुत ही चतुरता से श्री राम जवाब भी दे रहे थे.प्रभु श्रीराम के दर्शन पा माली उनकी भक्ति में खो गए. संवादों के माध्यम से मालियों ने प्रभु को और कुछ देर विलंब की ठान ली. श्रीराम के बार बार गुरु के फूल जल्दी ले जाने की बातों को अनसुना कर माली संवादों में प्रभु को फंसा लेते थे. भगवान श्रीराम को वह कह रहे थे कि आपके हाथ कमल के फूल से भी कोमल है इन हाथों से आप कैसे फूल तोड़ पाएंगे. हम माली ही फूल तोड़ कर आपको दे देते हैं. प्रभु स्वयं ही अपने हाथों से फूल तोड़ने के लिए लड़े थे. संवादो ही संवादों में मुख्य माली श्री राजा राम शरण जी महाराज ने प्रभु श्री राम को खूब छकाया. उन्होंने कहा कि जब आपके चरण धूलि से पत्थर नारी बन सकती है तो वैदेही वाटिका में आपको कैसे प्रवेश करने दिया जाए. अंत में मालियों ने श्रीराम को वैदेही की जय कहने को कहा. जिसे प्रभु ने रघुकुल के विरुद्ध माना और ऐसा करने से इंकार कर दिया. हार मानकर श्रीराम ने जनकपुर के निवासियों एवं जनक पुत्री के जयकारे लगाये. जयकारे के बाद मालियों ने प्रभु को वैदेही वाटिका में फूल तोड़ने को छूट दे दी. मालिकों ने मन ही मन श्री राम को वैदेही का वर मान लिया था. उन्होंने कहा कि फूल तोड़ना तो महज बहाना है.
"फूल लेबे अईनी की किशोरी जी के देखे जी इमानदारी से करी स्वीकार जी.."
पुष्पवाटिका मे मन ही मन वरण की श्रीराम ने सीता:
संयोगवश उस समय सीता जी बागीचे में पूजन करने जा रही थीं. बागीचे में प्रवेश की अनुमति दी कि आप दोनों भाई किसी पेड़ की आड़ मेंछुप जाइएगा, ताकि सीता जी की नजर आपलोगों पर न पड़े. दासियों की बात मानते हुए दोनों भाई पेड़ की आड़ में छिपकर सीता जी को देखते हैं. सीता जी को देखकर भगवान श्रीराम मुग्ध हो जाते हैं और जब इस बात का पताविश्वामित्र को होता है तो वे भगवान राम को सीतास्वयंवर में ले जाते हैं.उसी समय सीता जी भी अपनी सखियों के साथ गौरी पूजन को वाटिका में स्थित मंदिर जाती हैं यहाँ वह लताओं की ओट से श्रीरामजी को देखती हैं और मन ही मन उनका वरण कर लेती हैं.
"सुन सिय सत्य अशीष हमारी
पूजहिं मन कामना तुम्हारी…"
-"मूर्ख जनक जल्दी बतला यह धनुष किसने तोड़ा है, स्वयंवर में सीता से किसने नाता जोड़ा है...."
राजा जनक ने सीता विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन किया. इसमें दूर-दूर से राजा और राजकुमार आए थे, लेकिन कोई भी भगवान शिव के धनुष को तोड़ नहीं पाया. राजाजनक निराश होकर कहने लगे कि लगता है कि यह धरतीवीरों से खाली हैं. इस पर विश्वामित्र की आज्ञा प्राप्त करश्रीराम ने शिव धनुष को तोड़ दिया. शिव के अनन्य भक्त परशुराम का जनक दरबार में प्रवेश होता हैं. वे कहते है, मूर्खजनक जल्दी बतला यह धनुष किसने तोड़ा हैं, इस भरे स्वयंवरमें किसने सीता से नाता जोड़ा हैं, जल्दी उसकी सूरत दिखलावरना चौपट कर डालूंगा, जितना पृथ्वी पर राज तेरा सब उलट पुलट कर डालूंगा. अंत में श्रीराम ने परशुराम को समझाकर शांत किया. इसके बाद धूमधाम से श्रीराम बारात निकली,दूल्हे के रूप में श्रीराम का व्यक्तित्व आकर्षक लग रहा था.जैसे ही बारात जनकपुर पहुंची, नगरवासी उमड़ आए. बारातमें श्रीराम के साथ लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न साथसाथ चलरहे थे. विवाह के बाद सीता संग श्रीराम अयोध्या लौटे. श्रीरामविवाह को देखने के लिए काफी संख्या में दर्शक मौजूद थे. इस दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता सह राष्ट्रीय प्रवक्ता सैय्यद शाहनवाज हुसैन भी महोत्सव में शामिल हुए.
कल निकलेगी श्री राम की शोभा बारात :
सिय पिय मिलन समारोह के सातवें दिन श्री राम की शोभा बारात निकलेगी. शोभा बारात सीता राम विवाह आश्रम स्थित कार्यक्रम स्थल से निकल कर पूरे नगर का भ्रमण करेगी. शोभा बारात में दूर दराज से शामिल होने के लिए आते हैं. बरात कार्यक्रम स्थल से पैदल निकलकर मठिया मोड, चरित्रवन, पीपी रोड होते हुए पूरे नगर का भ्रमण करेगी. नगर से मेन रोड से ज्योति प्रकाश चौक, अंबेडकर चौक होते हुए पुनः कार्यक्रम स्थल पर पहुंच कर सुबह बारात संपन्न हो जाएगी.
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