Header Ads

Buxar Top News: पायलट बनना चाहती थी बक्सर की बेटी शेफाली, अब दे रही है कई नए पंखों को परवाज, हुई यंग अचीवर अवार्ड से सम्मानित


"ज़रा पंख खोलो फिर उड़ान देखना,
ज़रा मौका तो दो फिर आसमान देखना।
बराबर की लकीर तो खींचो ज़रा,
फिर हिम्मत बड़ी या भगवान देखना।।"

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जानी मानी समाज सेविका शेफाली भारद्वाज भले ही आसमान में कुलांचे नही भर सकी हो लेकिन वह महिलाओं और लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाकर उन्हे कामयाबी की मंजिल पर पहुंचाने के लिये कृत संकल्पित है। शेफाली भारद्वाज को  हाल ही में एनजीटाउन का फाउंडेशन डे और सीसीएल 2 के जर्सी लॉन्च पर यंग अचीवर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया है। इस समारोह का आयोजन एनजी टाउन के सीएमडी (संजय सिंह और नमिता सिंह) द्वारा प्रायोजित कॉर्पोरेट क्रिकेट लीग (सी.सी.एल.) सीजन-2 की जर्सी लॉन्चिंग के उपलक्ष्य में किया गया जिसमे यंग अचीवर्स अवार्ड से उन 25 महिलाओं एवं पुरुषों को सम्मानित किया गया जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में राज्य एवं देश का नाम रौशन करने के साथ-साथ समाज के लिए प्रेरणादायी कार्य किया है।

बिहार के बक्सर की बेटी शेफाली भारद्वाज  बचपन के दिनों में पायलट बनने का सपना देखा करती थी। परंतु आर्थिक कारणों से ये सपना पूरा न हो सका। लेकिन शेफाली को नीले गगन में उड़ान भरने के अलावा समाज सेवा में भी गहरी रूचि थी। शेफाली ने इंटरमीडियट की परीक्षा पास की और वह किशोरियों को शिक्षित करने के क्षेत्र में काम करने लगी। झुग्गी- झोपड़ियों में रहने वाली बच्चियों को समाज के मुख्या धरा से जोड़ने का संकल्प ले किशोरियों को मुफ्त में शिक्षा देने का कार्य शेफाली द्वारा शुरू किया गया इसी जज्बा को देखते हुए TRY संस्थान के सचिव उत्पल दत्त जी ने शेफाली को अंतरराष्ट्रीय संस्था यूनिसेफ से जुड़ने की सलाह दी। वहाँ से शुरुआत हुई सामजिक क्षेत्र में कार्य करने की पारी। बिपरीत हालातों में भी सूझ बुझ के साथ शेफाली में आगे बढ़ने का गजब का हौसला था। महज 800 रूपये की मासिक मानदेय से शुरुआत करने वाली शेफाली आज सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में किसी पहचान की मोहताज़ नही। पूर्व प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी को प्रेरणा मानने वाली शेफाली महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देना चाहती थी और इसी को देखते हुये वह यूनीसेफ, पाथ फाउंडर और बिभिन्न NGOs और INGOs के साथ जुड़ गयी और महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर काम करना शुरू किया। शेफाली का मानना है कि  वक्त का पहिया घूम चुका है। नारी शक्ति के रूप में एक सशक्त क्रांति के आगाज़ का गंभीर दस्तक दे रही है। शुरुआत जरूर मंथर गति से हुई पर वह धीरे धीरे लेकिन बहुत मजबूती से पांव जमा रही है। हर अग्नि परीक्षा से वह कुंदन बनकर निखर रही है। चाहे सीमाओं की निगहबानी हो, सागर के लहरों पर रोमांच हो या फिर ब्रह्मांड के रहस्यों का उद्घाटन, हर जगह वह अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रही है।

वर्ष 2009 में दहेज़ मुक्त विवाह की नींव रख उनके परिवार ने एक अलग ही परिपाटी की शुरुआत की थी। शादी के बाद भी शेफाली भारद्वाज सामाजिक कार्यों में बढ चढ़कर हिस्सा लेती रही हैं। वर्ष 2012 में शेफाली ने अपने पति कमल किशोर सिंह के सहयोग से रुद्रा डेवलपमेंट फाउंडेशन की स्थापना की। शेफाली अपने फाउंडेशन के जरिये महिलाओं के स्वस्थ्य, शिक्षा और उनके स्किल को निखारने में लगी है। वह महिलाओं को घरेलू उद्योग में जोड़ने में लगी हुयी है। शेफाली ने बताया कि उनके संगठन से अभी तक 1000 से भी अधिक महिलायें अब आत्मनिर्भर बन गयी हैं और अलग-अलग व्यवसाय से जुड़कर अपने पारिवारिक दायित्व का सफलता पूर्वक निर्वहन कर रही हैं। शेफाली का मानना है कि आज की महिलाएं, पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। इसलिए हमारा फर्ज है कि हम समाज की आधी आबादी और भावी पीढ़ी की जन्मदात्री होने के नाते उनका सम्मान और आदर करें, इसी में समाज का हित है।  स्वस्थ्य नारी ही स्वस्थ्य समाज का निर्माण कर सकती है।

शेफाली भारद्वाज को हाल ही में बिहार की 101 सशक्त महिलाओं में शामिल किया गया है जिन्होंने अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। शेफाली को यह सम्मान राष्ट्रीय लोक समता पार्टी अध्यक्ष एवं केन्द्रीय राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा के द्वारा प्रदान किया गया। शेफाली अपनी सफलता का श्रेय अपने पति कमल किशोर सिंह जो कि स्वयं ही एक जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता हैं, और अपने माता-पिता को देती हैं जिन्होंने उन्हें हर कदम पर प्रोत्साहित किया है। स्वयं शेफाली के शब्दों में जीवन का सार इन्ही पंक्तियों में समाये हुये हैं
"ज़िंदगी कि असली उड़ान बाकी है, 
जिंदगी के कई इम्तेहान अभी बाकी है।
अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीन हमने,
अभी तो सारा आसमान बाकी है।।"














No comments