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Buxar Top News: सांसद, विधायक को नहीं आयी शर्म, पंद्रह वर्षीय गोधन की मौत की खबर पर बक्सर पहुंचे अख़लाक़ अहमद !

"माननीय" सांसद अश्विनी कुमार चौबे तथा खुद को "गरीबों का मसीहा" बताने वाले "माननीय" सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ़ मुन्ना तिवारी ने भी उस गरीब को बचाने के लिए ना तो कोइ प्रयास किया और ना ही मृत किशोर के परिजनों से मिल कर अपनी संवेदना व्यक्त करने की कोशिश की.  

- पटना में निष्ठुर चिकित्सक के दरवाजे पर ही माँ की गोद में हमेशा के  लिए सो गया गोधन.
- 20 हज़ार की राशि कम होने के कारण चिकित्सक ने नहीं खोला दरवाजा. 

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: बक्सर नगर के शांति नगर इलाके का रहने वाला एक किशोर संवेदनहीन व्यवस्था की भेंट चढ़ गया. वैसे तो यह कोई नयी बात नहीं थी. आये दिनों रोगी बक्सर के सदर अस्पताल में लाखों की सैलरी पर कार्यरत चिकित्सकों की मेहरबानी से असमय काल के गाल में समा जाते हैं. बक्सर के सरकारी कौन कहे निजी अस्पतालों में स्थितियां कुछ ऐसी हैं कि या तो इलाज के नाम पर मरीज के परिजनों का शोषण किया जाता है या उन्हें बाहर रेफर कर के अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली जाती है. 


मगर गोधन नामक  किशोर की मौत आज इस लिए चर्चा में है क्योंकि, कान का पर्दा फट जाने तथा मस्तिष्क में मवाद चले जाने के कारण उसकी सर्जरी करनी थी. सर्जरी के लिए जब पैसों की जरूरत पड़ी तो किशोर की माँ ने जहाँ अपने सारे गहने बेच दिए वहीँ बक्सर के एक नौजवान रामजी सिंह ने सोशल साईट्स पर अपील तथा व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर लोगों से चंदे की वसूली कर हजारों की आर्थिक सहायता भी उसके परिजनों को उपलब्ध करायी थी. परन्तु पटना के निष्ठुर चिकित्सक की मेहरबानी से उस किशोर को बचाया नहीं जा सका.  


जाड़े की रात में ठंढ से ठिठुरती काया को लेकर पटना के प्रसिद्ध न्यूरोलोजिस्ट अरुण कुमार अग्रवाल के दरवाजे पर इंतज़ार करती माँ की गोद में ही उसके जिगर के टुकड़े ने दम तोड़ दिया. लेकिन 1 लाख की फ़ीस में महज़ 20 हज़ार रुपए कम होने के कारण चिकित्सक ने दरवाजा नहीं खोला. 


सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात तो यह रही की वर्तमान समय में केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री के पद को शुशोभित कर रहे बक्सर के माननीय सांसद अश्विनी कुमार चौबे तथा खुद को गरीबों का मसीहा बताने वाले माननीय सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ़ मुन्ना तिवारी ने भी उस गरीब को बचाने के लिए ना तो कोइ प्रयास किया और ना ही मृत किशोर के परिजनों से मिल कर अपनी संवेदना व्यक्त करने की कोशिश की.  जबकि सोशल साइट्स पर ये दोनों जनप्रतिनिधि व इनके *** बखूबी इस मामले से परिचित होते रहे.

बक्सर के जनप्रतिनिधियों को भले ही गोधन की मौत का कोई गम न हो, परन्तु सांसद पप्पू यादव के निर्देश पर उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व मंत्री अखलाक अहमद रविवार को गोधन के घर पहुंचे और उसकी मां से मिल अपनी संवेदना व्यक्त की और हर संभव सहायता करने का वादा किया.

गोधन की मौत के बाद भले ही अनेकों सवाल जेहन में उठें लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या अब भी हमारे जनप्रतिनिधि आगामी चुनाव में जनता के दरबार में जायेंगे? 
















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