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Buxar Top News: संकल्प, पुरुषार्थ, प्रार्थना, प्रतीक्षा, एवं समर्पण से प्राप्त होते हैं भगवान - आचार्य रणधीर ओझा ।

ध्रुव को जब उसकी मां ने अपमानित किया तो वह ग्लानि से भरे हुए वृन्दावन गए जहां उन्होंने मात्र छह माह में घोर तपस्या करके हरी दर्शन प्राप्त किया.

- वामनेश्वर भगवान मंदिर में चल रहा है भागवत कथा सप्ताह.
- तीसरे दिन भी रही भागवत कथा श्रोताओं की भारी भीड़.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सोमेश्वर नाथ के पास स्थित वामन भगवान मंदिर के प्रांगण में चल रहे भागवत कथा  समारोह के तीसरे दिन भागवत भक्त श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए आचार्य रणधीर ओझा ने कहा कि जब राजा परीक्षित को सन्त द्वारा श्राप दिया गया तो राजा परीक्षित शुकदेव जी की शरण में गए. तब शुकदेव जी महाराज ने राजा परीक्षित को भागवत कथा सुनाई. उन्होंने कहा कि परमात्मा तो सबका भला ही चाहता हैं परन्तु जीव उसकी लीला को समझ नहीं पाता. संकल्प, पुरुषार्थ, प्राथना, एवं समर्पण के बिना को भी व्यक्ति नारायण को नहीं पा सकता.  उदाहरण के लिए ध्रुव को जब उसकी मां ने अपमानित किया तो वह ग्लानि से भरे हुए वृन्दावन गए जहां उन्होंने मात्र छह माह में घोर तपस्या करके हरी दर्शन प्राप्त किया. हमे भी सुख दुःख, मान अपमान दोनों स्थितियों में सावधान रहना चाहिए. आचार्य रणधीर ओझा ने  आशीर्वचन देते हुए कहा कि सांसारिक नश्वर वस्तुओ या सम्बन्धो में मन लगाने से कभी भी सुख, शांति नहीं मिल सकती परिणामत दुःख ही प्राप्त होगा. परन्तु साथ में यह भी कहा की इसका अर्थ यह नहीं की संसार को छोड़ देना चाहिए बल्कि सांसारिक सभी कर्म कर्तव्य भाव से करते हुए मन सदा ईश्वर में लगाने से हर हाल में सुख और शांति ही प्राप्त होगी. ऐसे भक्त बाहरी अवस्था से तो दुःखो में नजर आ सकता हैं परन्तु उसके पास अविरल शांति व सुख का खजाना होता हैं.
भागवत कथा के तीसरे दिन भी श्रद्धालु श्रोताओं की भारी भीड़ मंदिर परिसर में जुटी थी.









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