Buxar Top News: बलिया, बक्सर से बांग्लादेश तक होती है पशुओं की तस्करी, कानूनी ज्ञान का अभाव है मुख्य वजह - सिम्मी घई.
पशु व्यापार करने वाले लोग भी सरकार के बनाए कानून की जानकारी नहीं रखते, जिसके चलते हुए इस व्यापार में लग जाते हैं. ऐसे लोगों को रास्ते पर लाने जाने के प्रयास करने की बात कही.
- पशु कल्याण विभाग से आए अधिकारियों ने की प्रेस वार्ता
- कहां, करोड़ों के बजट के बावजूद नहीं हो पा रही पशुओं की देखभाल.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: "परमेश्वर ये नहीं जानते ये क्या कर रहे हैं. इनके अपराधों को क्षमा करना."
कुछ ऐसी ही बात गिरफ्तार पशु कल्याण विभाग भारत सरकार के अधिकारियों ने प्रेस के साथ मुलाकात में की. मीडिया से बातचीत करते हुए हैदराबाद से आए अधिकारी सिम्मी घई ने बताया कि सीमावर्ती उत्तर प्रदेश का बलिया जिला एवं बक्सर से देशभर में पशु तस्करी की शिकायतें मिलती रहती हैं. इन्हीं सब मामलों के संदर्भ में शिकायतें मिलने पर गौ ज्ञान फाउंडेशन के स्वयंसेवक तथा पशु कल्याण विभाग का 8 सदस्यीय दल का गठन कर विभाग के सदस्य बक्सर पहुंचे.
बक्सर आने के क्रम में उन्हें गंगा पुल के समीप स्थिति सहारनपुर के पास बड़ी संख्या में पशुओं के होने की सूचना मिली वे तत्क्षण उस स्थान पर पहुंच गए वहां उन्होंने देखा कि बहुत सारी गायें बहुत ही बुरी स्थिति में वहां बांध कर रखी गई है उनके रहने के लिए ना तो वहां किसी प्रकार के शेड की व्यवस्था की गई है. और ना ही उन के चारे-पानी का उचित प्रबंध किया गया है. यह स्थिति देखते हैं उन्होंने तुरंत आरक्षी अधीक्षक मोहम्मद अब्दुल्लाह को दूरभाष पर मामले से अवगत कराते हुए पुलिस बलों को भेजे जाने की बात कही जिससे बात आरक्षी अधीक्षक के निर्देश पर औद्योगिक थाना तथा नगर थाना की पुलिस फोर्स मौके पर पहुंच गई हालांकि पुलिस के पहुंचने के पूर्व ही मौके पर मौजूद व्यक्ति फरार हो चुके थे अधिकारियों ने बताया कि गाए भूख-प्यास से बहुत ही बुरी अवस्था में थी इस बात की सूचना प्रभारी जिलाधिकारी अरविंद कुमार को सूचना देकर उन्हे फायर ब्रिगेड से पानी मंगाकर उन की प्यास बुझाई गई. हालांकि बाद में इतनी ज्यादा संख्या में पशुओं को कहीं रखे जाने की जगह ना होने के कारण उन्हें उसी स्थान पर पुलिस की अभिरक्षा में रखा गया है.
प्राथमिकी दर्ज करने के दौरान पुलिस ने अपनाया मनमाना रवैया, आरक्षी अधीक्षक एवं नगर थानाध्यक्ष ने की विशेष मदद:
अधिकारियों ने बताया कि छापेमारी के बाद जब औद्योगिक थाना पुलिस को लिखित शिकायत देकर मामला दर्ज किए जाने का अनुरोध किया गया तो पहले तो उन्हें तकरीबन 4 घंटे का लंबा इंतजार कराया गया. उसके बाद पुलिस ने जानबूझकर हल्की धाराओं का प्रयोग करते हुए पशु तस्करों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की. हालांकि अधिकारियों ने बताया कि आरक्षी अधीक्षक मोहम्मद अब्दुल्लाह एवं नगर थानाध्यक्ष अविनाश कुमार ने उन्हें विशेष सहयोग किया.
करोड़ों रुपए का है पशुपालन का बजट पर 160 पशुओं को रखने/ खाने की नहीं है व्यवस्था:
पशु कल्याण विभाग से आए अधिकारियों ने एक अन्य चौंकाने वाली बात बताई उन्होंने कहा कि पशुओं की बरामदगी के बाद से अब तक जिला प्रशासन पशुओं को रखने के लिए न तो कोई विशेष व्यवस्था करा सका है और ना ही उनके चारे-पानी का बेहतर प्रबंध करा सका है. ऐसे में उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि जिस बिहार राज्य में पशुपालन विभाग का सालाना बजट करोड़ों रुपए का होता है ऐसे बिहार प्रदेश में पशुओं की यह स्थिति कैसे हो सकती है?
बलिया और बक्सर से पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश तक है गौ तस्करी का कारोबार:
विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पशु तस्कर सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नरही, बयासी तथा फेफना से बिना किसी वैध कागजात या परमिट के अवैध रूप से प्रशासन के नाको तले गंगा नदी के रास्ते सिमरी से बक्सर जिले में प्रवेश करते हैं, जहां से हुए पशुओं को चौसा आदि हाटों पर कसाइयों को बेचा जाता है जहां से इनकी तस्करी पश्चिम बंगाल और फिर बांग्लादेश तक की जाती है.
आतंकवाद हथियारों की तस्करी और जाली नोटों के व्यापार मैं प्रयुक्त होता है गौ तस्करी से अर्जित काला धन:
उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया से उत्पादित काला धन आतंकवाद हथियारों की तस्करी और जाली नोटों के व्यापार में प्रयुक्त होता है
उत्तर प्रदेश और बिहार में मवेशियों को लेकर बनाए गए हैं कानून अधिकारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश प्रिवेंशन एंड कैप्टन चार्टर एक्ट 1955 के तहत बिना परमिट के मवेशियों को राज्य की सीमा से बाहर ले जाना वर्जित है. वहीं बिहार प्रिजर्वेशन एंड इंप्रूवमेंट ऑफ एनिमल्स 1855 के तहत 15 वर्ष से छोटे और स्वस्थ मवेशियों का वध प्रतिबंधित है. साथ ही प्रिवेंशन ऑफ क्वालिटी अगेंस्ट एनिमल्स एक्ट 1960 और आईपीसी की धारा 528 और 429 के तहत जानवरों पर अत्याचार दंडनीय अपराध है.
संप्रदायवाद का नहीं है मुद्दा सभी धर्म करते हैं पशु शोषण और हत्या का विरोध:
अधिकारियों ने बताया कि पशु तस्करी का मुद्दा संप्रदायवाद का नहीं है क्योंकि सभी धर्म पशु शोषण और हत्या का विरोध करते हैं. इस्लामिक स्कॉलर गजली की हदीस के अनुसार मांस मर्ज़ है कुरान के सुरा अल बकर में कुर्बानी के लिए बताए गए चौपदीय जानवरों में गाय का जिक्र नहीं इसलिए इसे संप्रदायवाद का रंग नहीं दिया जाए बल्कि कानून की हो रही अवहेलना तस्करों के बढ़ते हौसलों पशुओं की पीड़ा और नेशनल सिक्योरिटी की दृष्टि से पशुओं के प्रति हो रहे इस पाप की रोकथाम के लिए सरकार पुलिस मीडिया और जन साधारण सभी सहयोग करें.
पशुओं की देखरेख पर विभाग करेगा पुरस्कृत, तस्करी रोकने के लिए दे सकते हैं गुप्त सूचना:
अधिकारियों ने बताया कि पशुओं के देखरेख के लिए हर व्यक्ति को आगे आना चाहिए तथा जो व्यक्ति इनकी रक्षा एवं उनकी देखरेख का प्रण लेगा उसे विभाग के द्वारा पुरस्कृत किया जाएगा साथ ही साथ उन्होंने बताया कि पशु तस्करी की किसी प्रकार की सूचना होने पर मोबाइल संख्या 98 21 124614 पर दी जा सकती है.
कानून का पालन करने कराने वाले लोग ही नहीं जानते क्या है कानून :
अधिकारियों ने बताया कि कानून का पालन कराने वाले लोगो तथा पशु व्यापार करने वाले लोग भी सरकार के बनाए कानून की जानकारी नहीं रखते, जिसके चलते हुए इस व्यापार में लग जाते हैं. ऐसे लोगों को रास्ते पर लाने जाने के प्रयास करने की बात कही.
प्रेस वार्ता के दौरान अधिकारी राकेश पांडे अनीता मारवा चंद्रानी तथा आर्ची मौजूद रहे
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