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Buxar Top News: भक्तों के कल्याण के लिए भगवान ने स्वयं को श्रीमद्भागवत के रूप में किया उपस्थित - आचार्य कृष्णानंद शास्त्री "पौराणिक"



संपूर्ण लोगों का कल्याण श्रीमद् भागवत महापुराण से ही होता है. भगवान श्री कृष्ण का अक्षरात्मक अवतार है श्रीमद्भागवत.  

- सर्व जन कल्याण सेवा समिति द्वारा किया गया है भागवत कथा का आयोजन.
- कथा के दूसरे दिन कथावाचक ने बताया भागवत का महात्म्य.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सर्वजन कल्याण सेवा समिति के बारहवें धर्म आयोजन के द्वितीय दिवस पर भागवत महापुराण कथावाचन के दौरान आचार्य कृष्णानंद शास्त्री पौराणिक ने कहा कि संपूर्ण लोगों का कल्याण श्रीमद् भागवत महापुराण से ही होता है. भगवान श्री कृष्ण का अक्षरात्मक अवतार है श्रीमद्भागवत.  जैसे राम ने रावण आदि सभी राक्षसों एवं श्री कृष्ण ने कंस जरासंघ आदि आततायियों राजाओं को मारकर संसार को सुखी बनाया, ठीक उसी तरह कलि काल में स्वार्थ, मोह, काम, क्रोध, लोभ आदि दुर्गुणों का समापन कर सुख, शांति, समृद्धि के साथ बैकुंठ प्राप्त करने के लिए भगवान ने स्वयं को भागवत के रुप में उपस्थित किया. भागवत भगवान श्रीमन्नारायण की मूर्ति है. यह मूर्ति चिंतामणि कल्पवृक्ष एवं कामधेनु की तरह संपूर्ण भौतिक समृद्धि तो देती ही है. साथ ही साथ भगवान को अर्थात स्वयं को भी प्रदान कर देती है. मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य भगवत प्राप्ति ही होना चाहिए. भागवत ने स्पष्ट उद्घोष किया है कि जब तक हृदय सांसारिक वस्तुओं का कोषागार बना रहेगा मैं उस में बैठना स्वीकार नहीं करूंगा. जिस दिन हृदय में मेरी चाहत होगी उसे छोड़ना भी स्वीकार नहीं करूंगा. यह कार्य व्यक्ति का है कि वह चाहता किससे है. जैसे सूर्य के आते हैं दीपक की कोई आवश्यकता नहीं होती क्योंकि संपूर्ण प्रकाश सूर्य से प्राप्त होता है. ठीक उसी प्रकार भगवान के प्राप्त होते ही संपूर्ण पदार्थों की प्राप्ति स्वम् ही हो जाती है. यदि हम पदार्थों की कामना अलग से करते हैं तो यह निश्चित हो गया कि हम मानवीय आचरण से रहित है. माननीय संविधान भगवान के अर्थात मोक्ष के प्रति उत्तरदायी है. मोल जो धर्म से प्रारंभ होता है. अर्थ और काम धर्म एवं मोक्ष के लिए होते हैं. इस प्रकार भागवत के अंतिम प्राप्तव्य भगवान ही हैं.
















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